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Bitcoin का क्या होगा?

By- Milind Khandekar

Bitcoin में अगर आप ने एक साल पहले ₹1 लाख लगाए थे तो आज उसकी क़ीमत ₹2.22 लाख होती. वो छोड़िए अगर आपने अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव से पहले यानी चार नवंबर को ₹1 लाख लगाए होते तो आज उसकी क़ीमत होती ₹1.41 लाख होती. Bitcoin जैसी क्रिप्टो करेंसी में भारी तेज़ी का कारण है अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप .सवाल है कि क्या ये तेज़ी बनी रहेगी?

पहले समझ लेते हैं कि क्रिप्टो क्या है?

• रुपये का नोट जैसे काग़ज़ पर छपा होता है. Bitcoin डिजिटल है. ये ऐसी करेंसी है जिसे आप अपनी जेब में नहीं रख सकते हैं. डिजिटल बटुए या वॉलेट में रखी जा सकती है.

• रुपया सरकार के सार्वभौमिक अधिकार पर रिज़र्व बैंक जारी करती है. क्रिप्टो लोग ख़ुद बनाते हैं और लेनदेन भी मैनेज करते हैं. कोई बिचौलिया जैसे बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी बीच में नहीं होती है.

• Bitcoin को सोतोशी नकामोतो नाम के व्यक्ति ने 2009 में बनाया था. आज तक इसकी पहचान रहस्य बनी हुई है. वो Bitcoin बनाकर ग़ायब है. इसके बाद हज़ारों क्रिप्टो करेंसी बाज़ार में आ गई है.

क्रिप्टो में उतार चढ़ाव 

पिछले पाँच साल में क्रिप्टो में उतार चढ़ाव आता रहा है. दो साल पहले मान लिया गया था कि क्रिप्टो डूब गया है. इस साल की शुरुआत में तेज़ी आना शुरू हुई. अमेरिका में Bitcoin ETF यानी Exchange Traded Fund को Securities & Exchange Commission (SEC) की मंज़ूरी. Bitcoin को सीधे ख़रीदने बेचने की प्रक्रिया जटिल है. अब इस झंझट के बिना फंड के ज़रिए Bitcoin ख़रीद सकते हैं लेकिन क्रिप्टो को रॉकेट पर चढ़ाया डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी कैंपेन ने.

ट्रंप ने वादा किया है कि वो अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल बनाएँगे.20 बिलियन डॉलर का क्रिप्टो रिज़र्व बनाएँगे यानी सरकार क्रिप्टो ख़रीदकर अपने पास रखेगी जैसे ऑयल रिज़र्व बनाकर . इससे क्रिप्टो को सरकारी मान्यता मिलेगी. White house में वो Pay Pal के पूर्व Executive डेविड सेकस  को AI और क्रिप्टो सलाहकार नियुक्त कर रहे हैं. रेगुलेटर SEC के प्रमुख के तौर पर वो जिस व्यक्ति को ला रहे हैं वो क्रिप्टो की वकालत करते हैं.

ट्रंप के चुनाव में सबसे ज़्यादा चंदा देने वाले और दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति एलन मस्क पहले से इसकी वकालत करते रहे हैं. उनकी कंपनी Tesla से कार आप अब Bitcoin देकर भी ख़रीद सकते हैं.Bitcoin का आइडिया तो करेंसी बनाने का था लेकिन इसमें ज़्यादा सफलता नहीं मिली है. अभी भी कुल करेंसी का 2-5% ही लेनदेन में इस्तेमाल हो रहा है. इससे ज़्यादा यह Asset की तरह इस्तेमाल हो रहा है जैसे शेयर, सोना, रियल इस्टेट. क्रिप्टो के विरोधी कहते हैं कि इसका कोई इस्तेमाल नहीं है. शेयर के पीछे कंपनी का कारोबार है, रियल इस्टेट से आप घर ऑफिस बना सकते हैं. उर्वर ज़मीन पर खेती हो सकती है. सोने से गहने बन सकते हैं. क्रिप्टो से कुछ नहीं बनेगा.

क्रिप्टो की तेज़ी पर फ़िलहाल ब्रेक लगा है. एक Bitcoin एक लाख डॉलर तक पहुँच गया था लेकिन अब 96 हज़ार डॉलर के आसपास है. इस ब्रेक लगने के दो कारण हैं.

  • अमेरिका के फ़ेड रिज़र्व ने कहा कि अभी Bitcoin रिज़र्व बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उसे Bitcoin रखने की अनुमति नहीं है. अमेरिका की कांग्रेस यानी संसद क़ानून बनाएँगे तब देखेंगे.
  • अल साल्वाडोर ने Bitcoin को 2021 में करेंसी के तौर पर जो मान्यता दी थी उससे हाथ खिंच लिए है. IMF ने क़र्ज़ देने से पहले शर्त रखी थी कि Bitcoin के इस्तेमाल कम होना चाहिए. अब प्राइवेट कंपनियाँ Bitcoin में लेनदेन के लिए बाध्य नहीं होगी.

क्रिप्टो की दिशा अगले महीने ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद तय होगी , लेकिन हमें यह नहीं भुलना चाहिए कि क्रिप्टो के पीछे कोई assets नहीं है. इसका भाव इस उम्मीद में बढ़ रहा है कि कल कोई और इसके लिए ज़्यादा पैसे दे देगा.

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