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शेयर बाज़ार क्यों गिर रहा है?

-Milind Khanekar

पिछले डेढ़ महीने में शेयरों की क़ीमत ₹50 लाख करोड़ कम हो गई है. बाज़ार में आने वाले समय में भी गिरावट की आशंका बनी हुई है. हिसाब किताब में आज समझेंगे कि शेयर बाज़ार में अचानक संकट के बादल कैसे छा गए हैं तो इसका एक ही जवाब है फ़ंडामेंटल. कंपनियों के फ़ंडामेंटल और अर्थव्यवस्था के फ़ंडामेंटल. ये दोनों हिलने से बाज़ार भी हिल गया है.

हम भूल जाते हैं कि शेयर बाज़ार में कंपनियों का कारोबार होता है. आप जब किसी कंपनी के शेयर ख़रीदते हैं तो उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक आप भी बनते हैं. आप जब SIP से म्यूचुअल फंड में पैसे लगा रहे हैं तो वो फंड भी किसी कंपनी के शेयर में पैसे लगाते हैं यानी आप अपरोक्ष रूप से कंपनी के मालिक बन जाते हैं. अब जिस कंपनी के मालिक आप हैं और उसका मुनाफ़ा ना बढ़ रहा हो तो आपकी कंपनी की क़ीमत घटेगी या बढ़ेगी? ज़ाहिर है क़ीमत घटेगी. शेयर बाज़ार में यही हो रहा है. कंपनियों के दूसरी तिमाही के रिज़ल्ट ख़राब आए तो बाज़ार में बिकवाली शुरू हो गई. रिसर्च फ़र्म Jeffries का कहना है कि वो जिन 121 कंपनियों को ट्रैक करता है उसमें से लगभग 63% यानी 75 कंपनियों के मुनाफ़े में इस वित्त वर्ष में गिरावट आएगी . बात सिर्फ़ पिछली तिमाही की नहीं है, आगे भी कंपनियों के रिज़ल्ट्स ख़राब हो सकते हैं. इसका कारण बताया है अर्थव्यवस्था में मंदी.

कंपनी के फ़ंडामेंटल भी अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं. कंपनियों का मुनाफ़ा तो आख़िर ख़रीदने वालों पर निर्भर करता है. ग्राहकों की आमदनी ना बढ़े और चीज़ें महँगी होती रहे तो ग्राहक क्या करेगा? वो हाथ खिंच लेगा. आँकड़े बताते हैं कि गाड़ियों की बिक्री पिछले 6 महीने में बढ़ी नहीं है. FMCG कंपनियों का माल भी नहीं बिक रहा है. महंगाई की दर अक्टूबर में 6.21% रही हैं. यह रिज़र्व बैंक के बैंड से बाहर हो गई है. महंगाई की दर रिज़र्व बैंक को 6% के अंदर रखना है. टार्गेट 4% का है. अब जब तक महंगाई की दर 4% तक ना पहुँचे तब तक रिज़र्व बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. इसका असर ग्रोथ पर पड़ सकता है यानी लोगों की आमदनी पर. पहले उम्मीद दिसंबर में कटौती की थी, अब बात फ़रवरी मार्च तक चली गई है.

अभी बाज़ार को एक और बुरी ख़बर मिल सकती है .इस महीने के आख़िर में दूसरी तिमाही के जीडीपी के आँकड़े आएँगे. स्टेट बैंक की रिपोर्ट कह चुकी हैं कि यह आँकड़े नीचे जा सकते हैं. पहली तिमाही में ग्रोथ अनुमान से कम रही थी. ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती की ज़रूरत है. महंगाई बढ़ने से कटौती टल रही है.

आख़िर में सबके मन में सवाल है कि करें तो करें क्या तो इसका जवाब जाने माने इनवेस्टर चार्ली मंगर ने दिया था

The big money is not in the buying and selling, but in the waiting.”

Jeffries भले कह रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में सावधान रहने की ज़रूरत है लेकिन वो इस भविष्यवाणी पर क़ायम है कि 2030 में भारत के शेयर बाज़ार का Valuation 10 ट्रिलियन डॉलर होगा. अभी 5 ट्रिलियन डॉलर है यानी पाँच साल में क़ीमत दो गुना होने की उम्मीद है. मतलब लाँग टर्म में कंपनियों और अर्थव्यवस्था दोनों के फ़ंडामेंटल मज़बूत है , समस्या शॉर्ट टर्म में है.

वैधानिक चेतावनी : यह लेख सिर्फ़ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है.इसके आधार पर निवेश का फ़ैसला नहीं करें. शेयर बाज़ार में निवेश के लिए SEBI  से मान्यता प्राप्त सलाहकारों से बात करना चाहिए.

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