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एक साल बाद धारचूला फिर आपदा की चपेट में है : 5 लोगों की मौत, 11 लापता

–उत्तराखंड हिमालय के लिए त्रिलोचन भट्ट —

देहरादून, 8 सितम्बर। नेपाल के दार्चूला के ऊंचाई वाले क्षेत्र दल लेख में बादल फटने से उफनाए लास्कू नाले ने भारी तबाही मचाई है। इसका पानी काली नदी में जाने से नवगाड़ गांव और महाकाली नगर पालिका में पांच लोगों की मौत हो गई और 11 लोग लापता हैं जबकि 30 से अधिक मकान जमींदोज हो गए हैं। इधर, भारतीय क्षेत्र में भी भारी मात्रा में आए पानी और मलबे की वजह से धारचूला के खोतिला में 36 मकानों में मलबा, पानी भर गया ।

पिथौरागढ़ पुलिस के अनुसार धारचूला क्षेत्रान्तर्गत लगातार हो रही भारी वर्षा तथा नेपाल के लासको गदेरे में बादल फटने के कारण धारचूला क्षेत्र में तल्ला खोतिला गाँव में लगभग 50 मकान मलबे में गए हैं तथा पूर्व से भूस्खलित क्षेत्र एलधारा से पानी और मलवा नीचे नगर धारचूला में आने से मल्ली बाजार सड़क में पानी भर गया है। मलबे से सड़क पर खड़े कुछ वाहन मलबे में दबे हैं।

स्थानीय पुलिस, जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर यूनिट की टीमों द्वारा लगातार राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है। इस क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया जा रहा है। उनके खाने-पीने  रहने की व्यवस्था की जा रही है। घटना में एक महिला श्रीमती पशुपति देवी ,उम्र लगभग 65 वर्ष पत्नी श्री मानबहादुर निवासी खोतिला के गुम होने की सूचना प्राप्त हुई है अन्य कोई जनहानि नहीं हुई है। नदी का जलस्तर काफी बड़ा हुआ है जिससे खतरे की सम्भावना बनी हुई है। काली नदी का जलस्तर खतरे के ऊपर बहने से भारत-नेपाल झूलापुल के निकट गौशाला के क्षतिग्रस्त होने तथा कुछ जानवरों के बहने की संभावना है।

जनपद पिथौरागढ़ पुलिस की स्थानीय जनता से अपील है कि वर्षा काल के दौरान नदी, नालों, रोखड़ों के आस-पास न जाएं तथा सुरक्षित स्थानों पर बने रहें। सड़क मार्गों की स्थिति की जानकारी लेने के बाद ही सुरक्षित रुप से यात्रा करें ।

हिमालय पर बादल फटने की घटनाएं सबसे बड़ा चिन्ता का विषय बनी हुयी हैं। बादल फटने से न केवल त्वरित बाढ़ बल्कि भूस्खलन के मामले भी बढ़ गये हैं। उत्तराखण्ड के आपदा प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केन्द्र के निदेशक डा. पियूष रौतेला के अनुसार इस साल राज्य में मानसूनी आपदा में कुल 44 लोग मरे, 8 लापता और 40 घायल हो चुके हैं। इनमें 18 मृतक और 8 लापता केवल बादल फटने और त्वरित बाढ़ की आपदाओं के हैं। राज्य में 568 मकान भी आपदा की चपेट में आये जिनमें से 38 पूरी तरह जमींदोज हुये है। पशु और खेती की हानि अलग है। केदारनाथ आपदा में तो हजारों लोग मरे थे जिनमें से लगभग 5 हजार की ही पुष्टि हो पायी।

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