मौनकांडा स्कूल में बच्चे की मौत के बाद जागी सरकार, जर्जर स्कूल भवनों को ध्वस्थ करने के आदेश

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–उषा रावत द्वारा –

देहरादून, 15 सितम्बर।चम्पावत जिले के मौनकांडा स्कूल में बच्च्चे के दब कर मरने के बाद उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री की नींद अब खुली है। स्कूल के जर्जर शौचालय हादसे के बाद शिक्षा मंत्री धन सिंह ने अब राज्य के जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण के आदेश दिये है। राज्य में ऐसे 500 से अधिक खस्ताहाल स्कूल हैँ । इनको तोड़ने के आदेश तो दे दिये मगर इस बरसात में बच्च्चे कहाँ पढ़ेंगे, इसका विकल्प नहीं दिया। स्कूलों की यह दुर्दशा नयी नहीं है लेकिन हादसे के बाद सरकार का ध्यान अब इस ओर जा रहा है।  जनत का मानना है कि अगर नेताओं के बच्च्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे होते तो तब उनको ऐसे स्कूलों का ध्यान रहता।

विद्यालयी शिक्षा मंत्री  धन सिंह रावत ने प्रदेशभर में जर्जर हो चुके विद्यालयी भवनों का जनपदवार सर्वे करा कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश उच्चाधिकारियों को दिये हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सके।

बुधवार को चम्पावत जिले की पाटी ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय मौनकांडा में शौचालय की छत गिरने से एक छात्र की दुःखद मृत्यु हो गई थी। जिसकी सूचना मिलते ही विद्यालयी शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने सचिव शिक्षा रविनाथ रमन को भविष्य में इस तरह की घटना रोकने के लिये प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिये। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रदेशभर में जीर्ण-शीर्ण विद्यालयी भवनों का सर्वे करा कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सुनिश्चित की जाय, साथ ही जो भवन मरम्मत योग्य हैं उनकी डीपीआर तैयार कर शीघ्र शासन को प्रस्ताव भेजा जाय।

डॉ0 रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने उक्त घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद अधिकारियों ने मामले का त्वरित संज्ञान लेते हुये बुधवार को ही समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेज कर जीर्ण-शीर्ण भवनों के ध्वस्तीकरण के निर्देश जारी कर दिये। विभागीय की ओर से महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने अपने आदेश में प्रदेशभर के जीर्ण-शीर्ण भवन जो निष्प्रयोज्य हो चुके हैं का चिन्हिकरण कर ध्वस्त करने व ऐसे भवनों का उपयोग न करने को कहा है। ऐसे भवनों को आपदा की श्रेणी में मानते हुये तत्काल ध्वस्तीकरण करने को कहा गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटना को रोका जा सके। महानिदेशक ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि इससे पूर्व भी समय-समय पर जर्जर भवनों को उपयोग में न लाने के निर्देश दिये जाते रहे हैं इसके बावजूद इस तरह की घटनाएं घटित होना कहीं न कहीं विद्यालय प्रशासन की लापरवाही प्रतीत होती है। उन्होंने पत्र में छात्र-छात्राओं को सुरक्षित भवनों में बिठाने और विद्यालय परिसर में स्थित पेड़, बिजली की तार व ट्रांसफार्मर से छात्रों को दूर रखे जाने के निर्देश भी जारी किये हैं।

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