राजनीति

उत्तराखण्ड में फरबरी के तीसरे सप्ताह हो सकते हैं विधानसभा चुनाव

देहरादून, 24 दिसम्बर (उहि)।  उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने निर्वाचन आयोग की टीम देहरादून में है। आयोग इस सिलसिले में राजनीतिक दलों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा कर रहा है। राजनीतिक दलों की बैठक में ज्यादातर दलों ने जल्दी से जल्दी चुनाव कराने का सुझाव दिया है। समझा जाता है कि आयोग फरबरी के तीसरे सप्ताह तक चुनाव करा सकता है। वर्ष 2007 में भी आयोग ने 21 फरबरी को राज्य में चुनाव कराये थे।

भारत निर्वाचन आयोग के साथ मुलाकात में राजनीतिक दलों ने चुनाव जल्दी से जल्दी कराने की पैरवी की है। इसके पीछे मुख्य वजह चुनाव खर्च सीमित रखने की मंशा है। यदि आयोग ने दलों की सुनी तो प्रदेश में मतदान प्रक्रिया फरवरी तीसरे सप्ताह तक सम्पन्न हो सकती है।

गुरुवार को भाजपा- कांग्रेस ने एक स्वर में पिछले चार चुनावों के अनुसार ही कराने की मांग उठाई है। प्रदेश में सबसे देर में मतदान साल 2007 में 21 फरवरी को हुआ था, इस तरह आयोग ने यदि सियासी दलों की बात मानी तो प्रदेश में फरवरी तीसरे सप्ताह तक मतदान प्रक्रिया सम्पन्न हो सकती है। सियासी दलों को खतरा है कि यदि उत्तराखंड में मतदान की तिथि मार्च तक जाती है तो दलों और प्रत्याशियों का खर्चा बढ़ जाएगा।

अगर पिछले चुनावों पर गौर करें तो वर्ष 2002 में पहला चुनाव 14 फरबरी को हुआ था। उसके बाद 2007 में 21 फरबरी को, 20012 में 30 जनवरी को तथा 2017 में 15फरबरी को मतदान हुआ था।

यद्यपि कहने को निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संस्था है मगर विगत अनुभवों से लेगता है कि हकीकत में आयोग वही करता है जो उसे केन्द्र सरकार द्वारा करने को कहा जाता है।

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