एक दिलचस्प किस्सा : सुंदरता केवल गोरे रंग में निवास नहीं करती
-गोविंद प्रसाद बहुगुणा
“चतुर्मुखमुखाम्भोजवनहंसवधूर्मम।
मानसे रमतां नित्यं सर्वशुक्ला सरस्वती।।-
जो ब्रह्माजी के मुखरूपी कमलों के वन में विचरने वाली राजहंसी हैं, वे सब ओर से श्वेत कान्तिवाली सरस्वती देवी हमारे मन रूपी मानस में नित्य विहार करें॥”
पौराणिक कथाओं के अनुसार सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री बताई गईं है इसलिए उसकी प्रार्थना में पिता- पुत्री दोनों का नाम लिया गया है । लेकिन साहित्यकारों ने अपने काव्य कौशल दिखाते हुए उसकी अलग- अलग तरह से प्रशंसा की है, उनमें संस्कृत के कवि दंडी का नाम उल्लेखनीय हैं जिन्होने इस बहुपठित श्लोक की रचना की थी –
“वुक्लां ब्रहा विचार सार परमां आद्यां जगद्वापिनीं
वीणां पुस्तक धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहां ।हस्तैस्पाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिता़ं वन्दे यां परमेश्वरीं भगवतीं निशेषजाड्यापहां।।”
दंडी की इस रचना पर कर्णाटक की एक विदुषी ने व्यंग्य कर दिया कि दंडी ने बिना जाने यह लिख दिया कि सरस्वती गोरी उजली बुद्धि संपन्न सुन्दरी स्त्री थी अगर उसने श्याम सुन्दरी विदुषी विजयाम्बिका को देखा होता तो शायद ऐसा न लिखते।-
नीलोत्पलदलश्यामां विजयाङ्कामजानता ।
वृथैव दण्डिना प्रोक्ता ‘सर्वशुक्ला सरस्वती..”.
विजयाम्बिका दक्षिण भारत के सभी राज्यों में पापुलर नाम है जो विजय और सुन्दरता का द्योतक है । दक्षिण भारत के सौन्दर्य की अलग ही चमक धमक होती है , हमारे डा०राममनोहर लोहिया आदिवासी श्यामवर्णी सुन्दरता के बड़े प्रशंसक थे । कृष्ण का नाम ही इसलिए कृष्ण रखा गया कि वह सांवले थे और सबको आकर्षित करते थे ।
मेरा भी व्यक्तिगत मत है कि खूबसूरती सिर्फ गोरे रंग में निवास नहीं करती। संस्कृत साहित्य में ही कालिदास को पढ़ लीजिए जिन्होंने मेघदूत में एक श्लोक के मार्फत यक्ष की पत्नी की प्रशंसा में लिखा -तन्वी श्यामा शिखर दशना पक्वबिम्बाधरोष्ठी मध्येक्षामा चकित हिरणी प्रेक्ष्णा निम्न नाभि… अंग्रेजी के महान कवि शेक्सपिअर ने ब्लैक Lady के नाम से पूरे एक सौ गीत लिखा डाले थे।…