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डिजिटल राष्ट्र की ओर भारत की यात्रा की रीढ़ है भारतनेट

BharatNet promises to transform rural India into a digitally empowered society. By addressing these challenges and maintaining its momentum, the initiative can pave the way for a more inclusive and connected future. BharatNet is more than an infrastructure project; it is a lifeline for millions of rural Indians aspiring to connect with opportunities beyond their immediate surroundings. With robust execution and sustained efforts, BharatNet will continue to bridge the digital divide and empower every corner of India with the transformative power of the internet.

 

 

-A PIB Feature-

तेजी से डिजिटल नवाचार से प्रेरित दुनिया में, इंटरनेट कनेक्टिविटी आर्थिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शासन के लिए आधारशिला बन गई है। डिजिटल विभाजन विशेष रूप से ग्रामीण भारत में महत्वपूर्ण चुनौती थी, और इससे निपटने के लिए, भारत सरकार ने अक्टूबर 2011 में भारतनेट की शुरुआत की, जो महत्वाकांक्षी परियोजना है।  इसका उद्देश्य देश की प्रत्येक ग्राम पंचायत को किफायती हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंच प्रदान करना है। संचार मंत्रालय के तहत यह पहल, ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने, समावेशी विकास को बढ़ावा देने और शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच अंतर को पाटने का प्रयास करती है। भारतनेट मात्र बुनियादी ढांचा परियोजना नहीं है; यह वास्तव में डिजिटल राष्ट्र की ओर भारत की यात्रा की रीढ़ है।

 

 

अगस्त 2023 में, सरकार ने संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (एबीपी) को मंजूरी दे दी। यह कार्यक्रम रिंग टोपोलॉजी में 2.64 लाख जीपी तक ऑप्टिकल फाइबर (ओएफ) कनेक्टिविटी द्वारा इंटरनेट पहुंच प्रदान करता है और मांग के आधार पर शेष गैर-जीपी गांवों (लगभग 3.8 लाख) को ओएफ कनेक्टिविटी प्रदान करता है। एबीपी में 1,39,579 करोड़ रुपये की लागत पर डिजाइन में सुधार का लक्ष्य है:

 

  • रिंग टोपोलॉजी में ब्लॉक से जीपी तक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी
  • ब्लॉक और जीपी पर राउटर के साथ आईपी-एमपीएलएस नेटवर्क
  • मांग के आधार पर गैर-जीपी गांवों में ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी का प्रावधान
  • 10 वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव का प्रावधान, जिसमें केंद्रीकृत नेटवर्क ऑपरेटिंग सेंटर (सीएनओसी) के माध्यम से नेटवर्क अपटाइम की निगरानी और सेवा स्तर समझौते (एसएलए) के अनुसार परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी (पीआईए) को भुगतान शामिल है।
  • ग्राम पंचायतों और ब्लॉकों में पर्याप्त स्तर के पावर बैकअप का प्रावधान
  • फाइबर मॉनिटरिंग के लिए ब्लॉक में रिमोट फाइबर मॉनिटरिंग सिस्टम (आरएफएमएस) का प्रावधान

 

डिजिटल भारत निधि: फंडिंग भारतनेट

 

डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) एक फंड है जिसका उद्देश्य भारत में दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना है। इसे भारत सरकार द्वारा यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के प्रतिस्थापन के रूप में स्थापित किया गया था। डीबीएन के लक्ष्य हैं:

 

  • ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली मोबाइल और डिजिटल सेवाएं प्रदान करना
  • ज्ञान और सूचना तक समान पहुंच सुनिश्चित करना
  • डिजिटल कनेक्टिविटी और सेवाओं को बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
  • डिजिटल विभाजन को कम करना और पहुंच में आने वाली बाधाओं को दूर करना

 

 

भारतनेट की कार्यप्रणाली

भारतनेट दुनिया के सबसे बड़े ग्रामीण ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी कार्यक्रम के रूप में कार्य करता है। यह परियोजना विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) अर्थात् भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जिसे 25.02.2012 को शामिल किया गया है। 30.04.2016 को दूरसंचार आयोग ने परियोजना को तीन चरणों में लागू करने की मंजूरी दी:

 

 

1. चरण I: मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। दिसंबर 2017 में पूरे हुए इस चरण ने मूलभूत नेटवर्क की स्थापना की।

2. चरण II: ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो और उपग्रह प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अतिरिक्त 1.5 लाख ग्राम पंचायतों तक कवरेज का विस्तार किया गया। इस चरण में राज्य सरकारों और निजी संस्थाओं के साथ सहयोगात्मक प्रयास शामिल थे।

3. चरण III: 5जी प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, बैंडविड्थ क्षमता को बढ़ाकर और मजबूत अंतिम-मील कनेक्टिविटी सुनिश्चित करके नेटवर्क को भविष्य में सुरक्षित बनाने का लक्ष्य है। पहुंच और विश्वसनीयता में सुधार पर ध्यान देने के साथ यह चरण जारी है।

इस नेटवर्क का मूल ऑप्टिकल फाइबर केबल, दूरदराज के क्षेत्रों के लिए उपग्रह लिंक और अंतिम-मील कनेक्टिविटी के लिए वायरलेस प्रौद्योगिकियों पर निर्भर करता है। यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के तहत कार्यान्वित, भारतनेट कुशल निष्पादन और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाता है।

भारतनेट का प्रभाव

भारतनेट ने ग्रामीण भारत पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है और कई तरीकों से सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया है:

1. डिजिटल समावेशन: इस परियोजना ने दूरदराज के गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा है, जिससे ई-गवर्नेंस सेवाओं, ऑनलाइन शिक्षा और टेलीमेडिसिन तक पहुंच संभव हो गई है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम जैसी पहल भारतनेट के बुनियादी ढांचे पर फलती-फूलती है।

2. आर्थिक अवसर: इंटरनेट पहुंच के साथ, ग्रामीण समुदाय डिजिटल वाणिज्य में भाग ले सकते हैं, वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सकते हैं और उद्यमशीलता के अवसरों का पता लगा सकते हैं। इससे वंचित क्षेत्रों में आय सर्जन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

3. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा: भारतनेट ने ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन अंतर को पाटते हुए डिजिटल कक्षाओं और टेलीहेल्थ सेवाओं को सक्षम किया है। विद्यार्थियों और रोगियों को अब शहरी केंद्रों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा विशेषज्ञता तक पहुंच प्राप्त है।

4. स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाना: ग्राम पंचायतें ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को लागू करने, सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता, दक्षता और नागरिक जुड़ाव में सुधार करने के लिए भारतनेट का उपयोग करती हैं।

प्रमुख उपलब्धियाँ और मील के पत्थर

 

 

भारत में इंटरनेट समावेशिता

वायरलेस मोबाइल और फिक्स्ड वायरलाइन ब्रॉडबैंड के माध्यम से दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश में इंटरनेट की पहुंच उपलब्ध है। सरकार ने मोबाइल कनेक्टिविटी और ऑप्टिकल फाइबर रोलआउट के माध्यम से भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं। परिणामस्वरूप, अक्टूबर, 2024 तक:

 

  • 783 जिलों में फैले 4जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) की संख्या 24,96,644 तक पहुंच गई है।
  • भारत ने 779 जिलों में 4,62,084 बीटीएस तैनात करके दुनिया में 5जी सेवाओं का सबसे तेज रोलआउट देखा है।
  • डेटा की कीमत 269 रुपये प्रति जीबी (मार्च 2014 में) से काफी कम होकर  9.08 प्रति जीबी रह गई है।
  • मेडियन मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड मार्च 2014 में 1.30 एमबीपीएस से बढ़कर 95.67 एमबीपीएस हो गई है।
  • प्रति ग्राहक डेटा का औसत वायरलेस उपयोग बढ़कर 22.24 जीबी प्रति ग्राहक प्रति माह हो गया है।
  • देश में 6,44,131 गांवों में से 6,15,836 गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है।

निष्कर्ष

भारतनेट ग्रामीण भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने का वादा करता है। इन चुनौतियों का समाधान करके और अपनी गति को बनाए रखते हुए, यह पहल अधिक समावेशी और कनेक्‍टेड भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। भारतनेट बुनियादी ढांचा परियोजना से कहीं अधिक है; यह उन लाखों ग्रामीण भारतीयों के लिए एक जीवन रेखा है जो अपने आस-पास के परिवेश से परे अवसरों से जुड़ने की इच्छा रखते हैं। मजबूत कार्यान्वयन और निरंतर प्रयासों के साथ, भारतनेट डिजिटल विभाजन को पाटना जारी रखेगा और इंटरनेट की परिवर्तनकारी शक्ति से भारत के हर कोने को सशक्त बनाएगा।

 

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