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सीएम धामी ने कहा – उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

उत्तराखंड की दशा और दिखा का खिंच गया खाका : धामी बोले, 
 जनता की आकांक्षाओं की हर हाल में पूर्ति करेंगे

 

-महिपाल गुसाईं-
भराड़ीसैंण, 14 नवंबर। उत्तराखंड के जनमानस की चिर प्रतिक्षित मांग के अनुरूप जल्द ही सख्त भू-कानून जल्द लागू होने जा रहा है। सशक्त भू-काननू का क्रियान्वयन और इसको लागू करने को लेकर बुधवार 13 नवंबर, 2024 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में हुई उच्चस्तरीय बैठक में इसका खाका तैयार कर लिया गया है, भू-कानून लागू करने हेतु सभी पहलुओं पर गंभीरता से मंथन किया गया। समझा जा सकता है कि राज्य की मूल अवधारणा की दिशा में प्रदेश की धामी सरकार आगे बढ़ रही है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में सशक्त भू कानून को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार भू कानून लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। धामी कह चुके हैं कि सरकार के लिए जन भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है। भू-कानून को लागू करने हेतु सभी पहलुओं पर विचार कर लिया गया है। जल्द ही राज्य में सशक्त भू-कानून लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भू-कानून बनाने के लिए सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट के अध्ययन व परीक्षण के लिए गठित मंत्रिमंडल उपसमिति और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट और सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है।

धामी ने दो टूक कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ भमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि सरकार भू-कानून एवं मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवदेनशील है। अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप एक वृहद भू-कानून लाकर उसे पारित करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मार्च 2021 से अब तक लंबे समय से चले आ रहे विभिन्न मामलों का निस्तारण हमारी सरकार ने किया है, उसी प्रकार हम सरकार भू-कानून के मुद्दे का समाधान भी करेगी।

वर्तमान में राज्य के नगर निकाय क्षेत्र से बाहर कोई भी गैर कृषक व्यक्ति 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद सकता है, लेकिन संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग- अलग नामों से जमीन खरीद के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसकी जांच कराएंगे और जिन व्यक्तियों ने ऐसा किया है उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में जिन व्यक्तियों ने पर्यटन, उद्योग, शिक्षण संस्थान जैसी गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर जमीन खरीदी, लेकिन उसका उपयोग इस प्रयोजन के लिए नहीं किया, उनका ब्यौरा भी तैयार कराया जा रहा है। ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उनकी जमीनें भी राज्य सरकार में निहित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि 2018 में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950) में हुए संशोधन का सकारात्मक परिणाम नहीं है। इसके तहत 12.50 एकड़ से अधिक जमीन खरीद के प्रावधानों की समीक्षा होगी और उन्हें खत्म किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के उद्देश्य से उठाए जा रहे इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। ऐसे निवेशकों के लिए सरकार भूमि उपलब्ध कराएगी।

*भू-कानून पृष्ठभूमि*
उत्तराखंड राज्य में पहली बार भू कानून 9 नवंबर 2000 को राज्य की स्थापना के बाद 2002 में एक प्रावधान किया गया था कि राज्यके ग्रामीण क्षेत्र में गैर कृषक कृषि आवासीय प्रयोजन के लिए सिर्फ 500 वर्ग मीटर तक जमीन खरीद सकते थे लेकिन बाद में 2007 में इसे घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया। इसके तहत गैर कृषक व्यक्ति को अगर उत्तराखंड में जमीन खरीदनी है तो वह अधिकतम 250 वर्ग मीटर कृषि जमीन ही खरीद सकता था।

लेकिन 6 अक्टूबर 2018 को उत्तराखंड सरकार एक नया अध्यादेश लेकर आई जिसके मुताबिक उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन का विधेयक पारित किया गया। इसमें दो धाराओं 143 और धारा 154 में नये संशोधन जोड़े गये। जिनके कारण भूमि की खरीद फरोख्त और आसान हो गयी। इसमें औदयोगिक प्रयोजन के लिए पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को ही समाप्त कर दिया गया। यह फैसला उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में निवेश और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किया था। इससे बाहरी व्यक्ति उद्योग और निवेश के नाम पर राज्य में जितनी चाहे जमीन खरीदने लगे। ऐसे उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त भू-कानून की मांग की जाने लगी। जिस पर सरकार ने गंभीरता से विचार कर रही है।

 

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