सीएम धामी की सुरक्षा में तैनात कमांडो ने खुद को गोली मारी ; पहले भी हो चुकी सीएम आवास पर आत्महत्या
मृतक कमांडो 40 वीं वाहिनी पीएससी में था तैनात : वर्ष 2016 से सीएम आवास में था तैनात
देहरादून, 1 जून ( जाहिद)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा में तैनात कमांडो ने अपने आप को गोली मार ली है। बताया जा रहा है कि छुट्टी न मिलने की वजह से मानसिक तनाव में था, जिसके बाद कमांडो ने घातक कदम उठाया है। मौजूदा समय में कमांडो सीएम आवास पर तैनात था। घटना के बाद अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने इस घटना का पुष्टि की है।
मृतक कमांडो प्रमोद रावत के परिवार में भागवत कथा होने के कारण लगातार छुट्टी मांग रहा था। छुट्टी ने मिलने के कारण वह तनाव में था। प्रमोद ने बैरक में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक कमांडो सीएम आवास से राजभवन के बीच बने बैरक में रहता था। कमांडो की आत्महत्या की सूचना मिलते ही सीएम आवास व सीनियर पुलिस अधिकारियों में हंगामा मंच गया। सूचना मिलते ही सभी अधिकारी सीएम आवास की और दौड़ पड़े। मृतक कमांडो 40 वीं वाहिनी पीएससी की जावान है और मूल रूप से पौड़ी का रहने वाला है। साल 2016 से प्रमोद रावत मुख्यमंत्री आवास में ड्यूटी पर तैनात थे। घटना की सूचना मिलने पर आईजी गढ़वाल करण सिंह नागलियाल, एसएसपी दिलीप सिंह, एसपी सिटी सरिता डोभाल व सीओ डालनवाला अभिनव चौधरी मौके पर पहुंचे। मामले की जांच की जा रही है। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
सीएम आवास पर पहले भी हुई है ऐसी घटना
मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात कमांडो का मुख्यमंत्री आवास पर ही खुद को गोली मारना बेहद ही गंभीर मामला है। हैरानी की बात ये भी है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री आवास में एक 25 साल की लड़की ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। 10 नवंबर 2022 के दिन मुख्यमंत्री आवास पर एक लड़की ने सर्वेंट क्वार्टर में आत्महत्या कर ली थी। दरअसल, रुद्रप्रयाग की रहने वाली युवती अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास में ही रहती थी। उस वक्त यह भी बताया जा रहा था कि लड़की पुलिस में भर्ती होने की तैयारी कर रही थी और किसी कारण डिप्रेशन में उसने यह कदम उठाया था
ड्यूटी का तनाव करने करने के लिए काउंसलिंग जरूरी
मुख्यमंत्री आवास पर 7 महीने के अंदर दो आत्महत्याओं होना यह बताता है कि ड्यूटी में तैनात कर्मचारी हों या अन्य लोग, समय-समय पर उनकी काउंसिलिंग होना बहुत जरूरी है। दरअसल, वीआईपी ड्यूटी में तैनात कोई भी कर्मचारी बाहर की दुनिया से थोड़ा सा कटा हुआ रहता है। उसे ड्यूटी के दौरान अपनी सभी सूचनाएं भी देनी पड़ती हैं।