कांग्रेस का आरोप, बेलगाम पहलवान बने मंत्री को लगातार बचाते रहे हैं मुख्यमंत्री
देहरादून 8 मई। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने ऋषिकेश में मंत्री द्वारा नौजवान की पिटाई के मामले में आरोप लगाया कि उत्तराखंड सरकार के बेलगाम पहलवान बने मंत्री को मुख्यमंत्री धामी ने लगातार बचाने का प्रयास किया है।
करन माहरा ने कहा कि चाहे विधानसभा भर्ती घोटाला हो या अन्य मामले, जिस ऋषिकेश के मामले पर पुलिस को स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए थी उस पर आज जनता के दबाव में पुलिस को मंत्री और उनके गुर्गों पर एफआईआर दर्ज करनी पड़ी है। परन्तु मामले की जांच में पुलिस कितनी निष्पक्ष भूमिका निभाएगी यह देखने वाली बात है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं से जुड़े मामलों में उत्तराखंड पुलिस का ढुलमुल रवैया ही रहा है तथा धामी सरकार ने भाजपा से जुड़े नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बचाने का भरपूर प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता से जुड़ा होने के चलते अंकिता भण्डारी हत्याकांड में आज तक वीआईपी के नाम का खुलासा नहीं हो पाया है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से लेकर लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाले में सफेदपोश का नाम उजागर नहीं हो पाया है। राज्य में लगातार बढ़ रहे महिला उत्पीड़न के अन्य मामलों में भी पुलिस की भूमिका निर्णायक नहीं ठहराई जा सकती है। सभी भर्ती घोटालों में हुए भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में भाजपा के तमाम नेताओं के नाम आने के बावजूद जांच को या तो प्रभावित करने का प्रयास किया गया या उनकी अनदेखी की गई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अनुषांगिक संगठनों द्वारा प्रदेश का साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की नीयत से मचाये गए उपद्रवो में भी राज्य की पुलिस का रवैया नकारात्मक ही रहा है। वहीं दूसरी ओर जनहित की आवाज को उठाने पर उत्तराखंड पुलिस ने धामी सरकार के दबाव में विभिन्न मौकों पर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए कांग्रेस नेताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज करने का काम किया है जिस पर मा0 न्यायालय को दखल देनी पड़ी है।
श्री करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री के तौर पर दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर प्रदेश में राजधर्म निभाने की नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों तथा अपनी सरकार के विधायक व नेताओं पर लगाम लगाने का काम करना चाहिए तथा ऋषिकेश मारपीट प्रकरण में संलिप्त मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए।