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बिजली के दामों में वृद्धि को कांग्रेस ने उत्तराखंड की जनता के साथ कुठाराघात बताया

 

देहरादून, 30 मार्च। उत्तराखंड में बढ़ते बिजली के दाम तथा आयोग द्वारा जारी किये गये नया टैरिफ को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसवानी ने बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही उत्तराखंड की गरीब जनता के साथ धोखा बताया है।

दसोनी ने कहा कि मौजूदा टैरिफ से 13.25 फीसदी महंगी हो जाएगी प्रदेश में बिजली। द सोनी ने कहा कि राज्य वासियों के लिए कितनी बड़ी विडंबना है कि उत्तराखंड को बड़े-बड़े मंचों से सत्तारूढ़ दल के नेता ऊर्जा प्रदेश बतलाने का काम करते हैं लेकिन ऊर्जा प्रदेश के राज्य वासियों को ही बिजली के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। दसोनी ने कहा कि हमसे कहा जाता है कि हम जल जंगल और जमीन वाले प्रदेश हैं परंतु हमारे ही जल से उत्पादित बिजली पर हमारा अधिकार नहीं। अधिकतर बिजली जो उत्तराखंड में उत्पादित होती है वह पड़ोसी राज्यों को चली जाती है ऐसे में जहां एक तरफ आम जनता तो बिजली कटौती और बिजली के बढ़े हुए दामों से परेशान होती ही है वहीं दूसरी ओर किसान को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है
दसोनी ने कहा कि आज लगातार लघु एवं मध्यम उद्योग प्रदेश से पलायन कर रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार उन्हें मूलभूत सुविधा ही नहीं दे पा रही है। दसोनी ने कहा कि राज्य में पूरी तरह से उलटी गंगा बह रही है शराब सस्ती और पानी बिजली महंगा होते चले जा रहा है ,दसोनी ने कहा कि पिछले 1 वर्ष के कार्यकाल में मुख्यमंत्री धामी ने चार बार बिजली के दामों में वृद्धि कर दी है जोकि सरासर स्थानीय जनता के साथ धोखा है।
दसोनी ने कहा कि अच्छे दिन का सपना दिखाकर भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर काबिज हुई थी परंतु जो जनता पहले से ही बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त हो उस पर कभी खाद्यान्न महंगा करके कभी रसोई गैस सिलेंडर महंगी करके कभी पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करके और अब बिजली पानी भी महंगा कर दिया गया है ऐसे में गरीब जनता के जीवन यापन का संकट सामने आ खड़ा हुआ है।

दसोनी ने जानकारी देते हुए बताया की मौजूदा टैरिफ से 13.25 फीसदी महंगी हुई बिजली
1 अप्रैल से जारी होगा बिजली का नया टैरिफ।
डॉमेस्टिक कंज्यूमर 100 यूनिट तक 25 पैसे प्रति यूनिट महंगी हुई बिजली
कॉमर्शियल कंज्यूमर पर 0.57% प्रति यूनिट बढ़े बिजली के दाम। दसवानी ने कहा कि यदि राज्य की आमदनी राज्य वासियों पर बोझ डालकर ही बढ़ानी थी तो फिर डबल इंजन की सरकार मांगी ही क्यों था?

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