शिक्षा/साहित्य

स्टुडेंट्स में निहित शक्तियों का विकास करें: प्रो. रघुवीर सिंह

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन एवम् जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: आत्मनिर्भर भारत पर ऑनलाइन शॉर्ट टर्म कोर्स

मरादाबाद, 11 मार्च ( प्रो0 भटिया)।तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ एजुकेशन एवम् जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: आत्मनिर्भर भारत पर सात दिनी शॉर्ट टर्म कोर्स यूजीसी- एचआरडीसी का ऑनलाइन आयोजन हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में जीजी केंद्रीय यूनिवर्सिटी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने बतौर मुख्य मुख्य अतिथि कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के अंदर गुणवत्तापूर्ण, कौशल आधारित शिक्षण के जरिए विभिन्न कौशलों का विकास सुनिश्चित करने में सफल होगी। जयप्रकाश यूनिवर्सिटी छपरा, बिहार के कुलपति प्रो. फारूक अली बतौर विशिष्ट अतिथि बोले, इस कार्यक्रम के जरिए शिक्षकों में अनुसंधान, तार्किक चिंतन और बहुआयामी शिक्षण तकनीकी का उपयोग सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सफलता प्राप्त होगी। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के संग हुआ ।

 

शॉर्ट टर्म कोर्स के द्वितीय सेशन में टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह बतौर मुख्य वक्ता बोले, शिक्षा का अर्थ स्टुडेंट्स में निहित शक्तियों का विकास करना है। शिक्षक का यह परम कर्तव्य है कि सर्वप्रथम वे छात्रों में निहित आंतरिक शक्तियों की पहचान कर उनका उचित मार्गदर्शन सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने शिक्षकों से आवाहन किया कि विद्यार्थियों को केवल ज्ञान आधारित शिक्षा नहीं प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में कौशल आधारित शिक्षण प्रणाली विकसित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो. सिंह ने प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए कोर्स आउटकम्स सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता बताई, जिसका आकलन उचित विधियों से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जिसके आधार पर प्रतिफल आधारित शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता हैं ।

 

तृतीय सेशन की मुख्य वक्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री अरबिंदो कॉलेज की प्राचार्या प्रो. नमिता राजपूत ने भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया, कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमल में लाने का उत्तरदायित्व शिक्षकों पर ही है, उन्हें अपने शिक्षण से बालकों की शक्तियों का उचित विकास करना है। इस शिक्षा नीति ने जो प्रावधान किए हैं, यदि उन्हें अमल में लाया जाता है तो राष्ट्र निश्चित रूप से वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भर बनेगा।

 

 

डीन छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने बताया, भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। यहां प्रत्येक गांव एक इकाई के रूप में एक आत्मनिर्भर गांव के रूप में था। किंतु वाहय आक्रमणों तथा बाहरी सत्ता से यह आत्मनिर्भरता समाप्त हो गई। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अपनाए गए कदमों पर चलकर पुनः आत्मनिर्भरता को प्राप्त करने का आह्वान किया। कार्यक्रम के फोर्थ सेशन में यूजीसी एचआरडीसी जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर के निदेशक प्रो. राजेश कुमार दुबे से प्रतिभागियों ने इंटरेक्शन किया, जिसमें पूछे गए सवालों का उन्होंने संतोषजनक उचित उत्तर देकर उनका ज्ञान वर्धन किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विनोद जैन ने अंत में सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों के 150 से अधिक प्राध्यापकों ने प्रतिभाग किया।

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