सुरक्षा

पूर्व सैनिकों ने 9वें सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस पर देशभर में कई स्थानों पर रैलियां आयोजित कर पुष्पांजलि अर्पित की

The ninth Armed Forces Veterans’ Day was celebrated at multiple locations across the country on January 14, 2025. Veterans’ rallies and wreath laying ceremonies were organised at a number of places, including Jammu, Mumbai, New Delhi, Pune, Nagpur, Visakhapatnam, Bengaluru, Bareilly, Jaipur and Siliguri to pay respects to the ex-servicemen for their selfless duty and reinforce solidarity towards the Next of Kin of these Bravehearts.

 

The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh graced the 9th Armed Forces Veterans’ Day celebrations at Tanda Artillery Brigade (Akhnoor), in Jammu on January 14, 2025.

 

नयी दिल्ली, 1 4 जनवरी ।   देश भर में कई स्थानों पर 14 जनवरी, 2025 को नौवां सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस मनाया गया। पूर्व सैनिकों को उनके निस्वार्थ कर्तव्य के लिए सम्मान देने और इन बहादुरों के परिजनों के प्रति एकजुटता को मजबूत करने के लिए जम्मू, मुंबई, नई दिल्ली, पुणे, नागपुर, विशाखापत्तनम, बेंगलुरु, बरेली, जयपुर और सिलीगुड़ी सहित कई स्थानों पर पूर्व सैनिकों की रैलियां और पुष्पांजलि समारोह आयोजित किए गए।

 

The Union Minister for Defence, Shri Rajnath Singh graced the 9th Armed Forces Veterans’ Day celebrations at Tanda Artillery Brigade (Akhnoor), in Jammu on January 14, 2025.

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने जम्मू के अखनूर में टांडा आर्टिलरी ब्रिगेड में आयोजित एक कार्यक्रम में लगभग 1,000 पूर्व सैनिकों को संबोधित कर समारोह का नेतृत्व किया। उन्होंने पूर्व सैनिकों से बातचीत की और सीमा की रक्षा के लिए अदम्‍य साहस, समर्पण, बलिदान और देशभक्ति के साथ निस्वार्थ सेवा करने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों, सेवानिवृत्त और सेवारत दोनों के प्रति आभार व्यक्त किया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्र हमेशा सशस्त्र बलों का ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि हर भारतीय वीर सैनिकों के प्रति गहरा सम्मान रखता है और सैनिकों के प्रति यह सम्मान देश के मूल्यों में समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि कई इस तरह के दिवस कार्यक्रमों का आयोजन उस सम्मान को दर्शाने का एक तरीका है।

श्री राजनाथ सिंह ने अखनूर में आयोजित ‘वेटरन्स डे’ समारोह को इस बात का प्रमाण बताया कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के जम्मू-कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच की दूरी को पाटने के दृढ़ संकल्प को दोहराया और अनुच्छेद 370 को हटाने को इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

रक्षा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025, भारत-पाकिस्‍तान के बीच 1965 में हुए युद्ध की हीरक जयंती वर्ष है और भारत की जीत सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान का परिणाम थी। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने भारत के साथ हर युद्ध में हार का सामना किया है, चाहे वह 1948 का हमला हो, 1965 का युद्ध हो, 1971 का युद्ध हो या 1999 का कारगिल युद्ध हो। पाकिस्तान 1965 से ही अवैध घुसपैठ और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और उसने जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आबादी को प्रभावित करने की कोशिश की है। लेकिन यहां के लोगों ने हमेशा उनके इरादों को खारिज किया है। पाकिस्तान अभी भी आतंकवाद का सहारा लेता है। आज भी भारत में घुसपैठ करने वाले 80 प्रतिशत से अधिक आतंकवादी वहीं से आते हैं। आतंकवाद तो 1965 में ही समाप्त हो गया होता, अगर तत्कालीन सरकार ने युद्ध के मैदान में प्राप्त रणनीतिक लाभों का उचित तरीके से फायदा उठाया होता। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जमीनी स्तर पर स्थिति में काफी सुधार हुआ है।”

श्री राजनाथ सिंह ने पाकिसतान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर को भारत का मुकुटरत्‍न बताते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए विदेशी क्षेत्र से अधिक कुछ नहीं है। उन्होंने कहा: “पीओके के बिना जम्मू-कश्मीर अधूरा है। वहां रहने वाले लोगों को सम्मानजनक जीवन से वंचित किया जा रहा है। पाकिस्तान द्वारा धर्म के नाम पर उन्हें गुमराह करने और भारत के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। पीओके की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किया जा रहा है। सीमा से सटे इलाकों में आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं और लॉन्च पैड बनाए गए हैं। भारत सरकार इस स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है। पाकिस्तान को अपने नापाक इरादों पर लगाम लगानी होगी।”

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन समापन में पूर्व सैनिकों, सेवारत सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्‍होंने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए आश्वासन दिया कि रक्षा मंत्रालय (एमओडी) अपने सैनिकों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए हमेशा अपनी क्षमता से अधिक काम करेगा। सेवानिवृत्ति के बाद भी सैनिक देश के लिए गौरव का प्रतीक हैं। उन्होंने रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा देते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकार हर कदम पर देश के सैनिकों के साथ है।

इस कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में, श्री राजनाथ सिंह ने 108 फीट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया और ‘अखनूर हेरिटेज म्यूजियम’ का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को समर्पित है। जम्मू को पुंछ से जोड़ने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग-144ए पर स्थित यह संग्रहालय क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और विरासत को दर्शाता है।

इस अवसर पर पूर्व सैनिकों को मोटराइज्ड व्हीलचेयर, ट्राई स्कूटर, स्कूटर और ऑटो रिक्शा जैसे कुछ गतिशीलता उपकरण सौंपे गए। कार्यक्रम स्थल पर शिकायत निवारण और जागरूकता के लिए विभिन्न अभिलेख कार्यालयों, रक्षा और सरकारी कल्याण संगठनों, बैंकों और रोजगार एजेंसियों के 40 से अधिक स्टॉल/सहायता डेस्क स्थापित किए गए थे।

इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा; जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला; चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान; उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार; युद्ध में घायल (वार वून्‍डेड) फाउंडेशन के निदेशक; भारतीय सेना के पूर्व सैनिक निदेशालय के निदेशक; पूर्व सैनिक और विभिन्न पूर्व सैनिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा अन्य वरिष्ठ सिविल एवं सैन्य अधिकारी शामिल हुए।

राज्य रक्षा मंत्री श्री संजय सेठ ने मुंबई में इस दिवस पर नौसेना डॉकयार्ड के गौरव स्तंभ (समुद्र में विजय स्मारक) पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद भारतीय नौसेना नाविक संस्थान (आईएनएसआई सागर) में तीनों सेनाओं के पूर्व सैनिकों की रैली (परेड) आयोजित की गई, जहाँ रक्षा राज्य मंत्री ने पूर्व सैनिकों से बातचीत की। इसमें लगभग 400 दिग्गज पूर्व सैनिक मौजूद थे। श्री संजय सेठ ने अपने संबोधन में इन सैनिकों की ईमानदारी, मूल्यों और अनुशासन की सराहना की, जो देश के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पुणे में सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस समारोह की अध्यक्षता की। वायु सेना प्रमुख, एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और थल सेना और नौसेना के उप प्रमुखों ने नई दिल्ली में इस समारोह में भाग लिया। तीनों सेनाओं के पूर्व सैनिकों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।

सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को सशस्त्र सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा की देश के प्रति की गई सेवा के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है, जो 1953 में इसी दिन सेवानिवृत्त हुए थे। यह दिवस पहली बार 2016 में मनाया गया था और तब से हर वर्ष पूर्व सैनिकों के सम्मान में संवादात्‍मक कार्यक्रमों की मेजबानी करते हुए इसे मनाया जाता है।

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