आनंद कुमार के सक्सेस मंत्र पाकर गदगद हुए दून विश्वविद्यालय के छात्र
देहरादून। प्रबल प्यास, सकारात्मक सोच,अथक प्रयास और असीम धैर्य, जैसे चार सक्सेस मंत्रों के साथ सुपर थर्टी के संस्थापक आनंद कुमार ने गुरुवार को दून विश्वविद्यालय के छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए बड़े सपने देखने को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि सुपर थर्टी अब पूरे देश से लेकर मेधा तरासेगाऔर इसे अब सुपर 100 किया जाएगा।
विश्वविद्यालय के नित्यानंद सभागार में आयोजित नवाचार कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे आनंद कुमार ने अपनी संघर्ष गाथा और 20 साल में गरीब बच्चों को गोद लेकर बहुत ही न्यून संसाधनों से अपनी जैसी 510 सक्सेस स्टोरीज गढ़ने की संक्षिप्त कहानी भी सुनाई। आनंद सर छात्रों को हकीकत में बदलने लायक कई सपने दे गए। लंबी भूमिका के बाद एक अपना सपना भी बताया जिसमें वह उत्तराखंड के किसी युवा या युवती को 18 साल बाद नोबेल पुरस्कार लेते देख रहे थे।
उदाहरणों के साथ ये सबक भी उन्होंने अपने खास अंदाज में समझाए कि जीवन हमेशा खुशियों से नहीं चलता, अकस्मात आने वाले संकट मजबूती देते हैं और रात जितनी अंधेरी हो सवेरा उतना ही उजला हो सकता है।
श्री आनंद कुमार में उनके प्रयासों आधारित फिल्म के प्रसंगों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनके पिताजी कहा करते थे कि मेहनत करने वाला ही राज करने का अधिकारी है और शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की प्रगति का मार्ग है। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र उपाय है। हमारे संस्थान में कई ऐसे होनहार विद्यार्थी आते हैं जिनके सामने रोटी तक का संकट रहता है परन्तु उनकी सच्ची लगन और मेहनत उनको कामयाब बनाती है।
आनंद कुमार में अपने विद्यार्थी जीवन साल से अब तक के कई रोचक संस्मरण विद्यार्थियों के साथ साझा करते कहा कि जीवन में चुनौतियां एवं कठिनाइयां हमेशा साथ-साथ चलती है । कई बार चुनौतियां अचानक खड़ी हो जाती है जिनके लिए हम मानसिक रूप से तैयार भी नहीं होते हैं परंतु हमें उस चुनौती का सामना करना होता है । आनंद कुमार ने कहा कि पैसा जीवन के लिए जरूरी है लेकिन पैसों के पीछे हमें भागने की आवश्यकता नहीं है । एक शिक्षक का विद्यार्थी जब कामयाब होता है तो वह उसकी सबसे बड़ी पूँजी होती है । उन्होंने कहा कि जीवन में उनके सामने कई बार प्रलोभन, धमकियां एवं कठिन से कठिन चुनौतियां खड़ी हुई लेकिन उन्होंने हमेशा धैर्य और साहस एवं सच्चाई के सहारे उनका सामना किया और खुद को टूटने से बचाया।
आनंद ने सुपर थर्टी पर बनी फिल्म से कट गए कुछ खास दृश्यों के शब्द चित्र भी सामने रखे जो बहुत मर्म भरे थे।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने प्रो आनंद ने अपने स्वागत भाषण ने उनका परिचय घर- घर पहुंचे रोल मॉडल के रूप में कराया। उन्होंने कहा कि मैं कर सकता हूँ और मैं करूंगा इस जज्बे को अपने जीवन में उतारने वाले आनंद कुमार को गरीब बच्चों के लिए मदद की जरूरत थी तो समाज और सरकार ने साथ नहीं दिया। आज तो दुनिया भर में बडी पोजिशन पर बैठे उनके शिष्य ही काफी हैं लेकिन वह तंगहाली में मजबूत बनने का सबक पढ़ाने वाले एक अनुकरणीय उदाहरण बने हुए हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एचसी पुरोहित, प्रोफेसर आर पी ममंगाई, उप कुलसचिव नरेन्द्र लाल, श्री आनंद कुमार के मित्र डाँ कपिल शर्मा सहित सभी शिक्षक उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन डॉ रीना सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉक्टर एम एस मंद्रवाल ने किया।
झलकियाँ :
– सभागार में सीट भर जाने के बाद जमीन पर बैठकर सुनने को आतुर थे युवा।
– सीढियों पर बैठे रहे, कार्यक्रम शुरू होने से एक घंटे पहले ही फुल हो गया था डाँ नित्यानंद सभागार।
– श्री आनंद कुमार के साथ संवाद करने को लेकर काफी उत्साहित थे विद्यार्थी ।
– कार्यक्रम के बाद सेल्फी के लिए होड़।
– अपने बीच देखकर बहुत खुश थे विद्धार्थी।