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स्वास्थ्य – बीमारी और आयुर्वेदिक निदान

–उषा रावत –

स्वास्थ्य मन, शरीर और सामाजिक जीवन शैली की पूर्ण भलाई को परिभाषित करता है न कि केवल बीमारियों और बीमारी की अनुपस्थिति को। जब मानव शरीर में किसी प्रकार के असंतुलन का अनुभव करता है, तो बीमारी का जन्म होता है। बीमारी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से हो सकती है। ये दोनों विषय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। बीमारी से मानव शरीर को तनाव और दर्द होता है। इसमें चोट, संक्रमण और अन्य कारक शामिल हो सकते हैं। मानव शरीर एक प्रकार की मशीन है जिसे उचित पोषण और रखरखाव की आवश्यकता होती है। जब इसे उचित सहायता नहीं मिलती है, तो यह नियंत्रण से बाहर हो जाता है और इसलिए इसे मरम्मत की आवश्यकता होती है। शरीर की विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज हैं। इसमें ड्रग्स का उपयोग, सर्जरी और कभी-कभी वातावरण में बदलाव शामिल है। एक मानव शरीर का इलाज दवाओं और विज्ञान का उपयोग करके किया जा सकता है। एक विशेष प्रकार की बीमारी का इलाज खोजने के लिए एक नई खोज लगभग ऱोज़ होती है। ऐसे कई कारक हैं जो मानव शरीर को बीमार बनाते हैं। यह भोजन, पानी, हवा आदि हो सकता है। बीमारी से बचने और मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तत्वों का संतुलन आवश्यक है। उचित आहार, सही जीवन-दिनचर्या, दवाओं के प्रशासन और निवारक रसायण और पंचकर्म चिकित्सा का सहारा लेकर अशांत शरीर-मस्तिष्क मैट्रिक्स के संतुलन को बहाल करना।

Health defines the complete well-being of mind, body, and social lifestyle and not just the absence of diseases and illness. When human experiences some kind of imbalance in the body, the birth of sickness takes place. Sickness is simply caused by diseases that can happen both physically and mentally. Both of these terms are interrelated to each other. Sickness causes stress and pain in the human body. It can include injuries, infections, and other factors. The human body is a type of machine that requires proper oiling and maintenance. When it does not get proper aid, it gets out of control and therefore it requires repairing. There are cures for different types of body sicknesses. It involves the usage of drugs, surgery, and sometimes a change in the atmosphere. The human body can be treated using medicines and science. A new discovery takes place almost daily to find a cure for a particular type of sickness. There are various factors that make the human body sick. It can be food, water, air, etc. A balance of several elements is required to avoid sickness and keep the human body healthy by restoring the balance of the disturbed body-mind matrix with proper diet, the right life routine, administration of drugs, and resorting to preventive Rasayana and Panchakarma therapy.

निदान (Diagnosis)

आयुर्वेद में, सभी कारकों पर विचार करने के बाद सबका विश्लेषण किया जाता नाकि बीमारी के एक ही कारक पर। उपचार की तरह ही, आयुर्वेद में निदान की अवधारणा भी पेचीदा है। रोगी के मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और व्यवहार संबंधी पहलुओं का अध्ययन करके निदान किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, निदान में तीन प्रारंभिक और बुनियादी विधियां शामिल हैं। इन तरीकों का उपयोग रोगी और बीमारी को स्पष्ट समझ पाने के लिए किया जाता है।

  1. पूछताछ ( qustioning)
  2. अवलोकन ( Observation)
  3. स्पर्श (Touch)

उपरोक्त सभी विधियां समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और हर आयुर्वेदिक निदान में अन्य पहलुओं के साथ ये तीन विधियां होनी चाहिए। आज, आयुर्वेद आधुनिक चिकित्सा अध्ययनों में मदद कर रहा है और रोगियों की बीमारी का एक बड़ा दृश्य दे रहा है। कोई व्यक्ति बीमार है या नहीं, यह आमतौर पर नाड़ी (स्पर्श) की जांच करके किया जाता है। कौशल से अधिक आयुर्वेदिक निदान करने के लिए अभ्यास करना पड़ता है। सरल शब्दों में, आयुर्वेद सभी उपचारों की जननी है और आयुर्वेदिक निदान चिकित्सा विज्ञान की दुनिया में सबसे बुनियादी और अभी तक कठिन प्रथाओं में से एक है।

निदान में निम्नलिखित परीक्षाएं भी शामिल हैं:

  • सामान्य शारीरिक परीक्षा (  General Physical  Examination)
  • मूत्र जाँच (Urine examination)
  • पल्स जाँच (Pulse examination)
  • जीभ और आंखों की जाँच ( Examination of tongue and eye)
  • चेहरों की परीक्षा ( Examination of Faces)
  • स्पर्श और श्रवण कार्यों सहित त्वचा और कान की जाँच। ( Examination of skin and ear including tactile and auditory funactions)

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