मैं अभागा पौड़ी गढ़वाल ! ! !
–रविन्द्र बिष्ट, रिखणीखाल की कलम से —
मैं उत्तराखंड राज्य का गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आता हूँ।हमारे लोकप्रिय सांसद सिर्फ चुनावी दौरे में ही भ्रमण पर दर्शन देते हैं।मैंने इस राज्य को चार प्रभावशाली मुख्यमंत्री दिये हैं,लेकिन आज भी भौतिक व मौलिक अधिकारों,सुविधाओं के अभाव में तड़प रहा हूँ।अब दम तोड़कर पलायन को मजबूर हूँ।
मैं जहाँ हर गाँव में बंजर खेत,टूटी फूटी सड़के,स्कूलों में मास्टर नहीं,अस्पताल में डाक्टर नहीं,जर्जर स्कूल भवन आदि देखे जा सकते हैं।
जहाँ हर गाँव में जनप्रतिनिधि के खास कर्मठ,जुझारू आदि अलंकरण से सुशोभित ठेकेदार,प्रधान,क्षेत्र पंचायत सदस्य,जिला पंचायत सदस्य व अन्य मेरे विकास व हक का मूल्य अपने घर परिवार पर व्यय कर अपने भोग विलासितापूर्ण जीवन बिता रहे हैं।
मैं उस जिले का हूँ जहाँ गर्भवती महिलायें,बीमार व्यक्ति उचित स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रैफर होकर वाहनों में धक्के खाने को मजबूर हैं।मेरे यहाँ के लोगों को मनरेगा में भी खूब भ्रष्टाचार देखने को मिलता है।मजदूर की ध्याडी गाँव में लगती है लेकिन मजदूर दिल्ली,देहरादून या अस्सी साल के ऊपर का है,बाहर रहता है।मेरी इन हरकतों से प्रदेश गरीब होता जा रहा है।मेरे रग रग में भ्रष्टाचार व कदम कदम पर भरा हुआ है।
मुझे जीवित रखना चाहते हो तो ये सब त्याग दो,वरन् मै देहरादून,ऊधमसिह नगर,हरिद्वार जैसे राज्यों में समाहित हो जाऊंगा।
रविन्द्र बिष्ट ,रिखणीखाल की कलम से।