सेना के कमांडरों के सम्मेलन में प्रमुख निर्णय लिए गए
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नयी दिल्ली, 27 अप्रैल ( PIB ) । सेना कमांडरों के सम्मेलन के नवीनतम संस्करण का आयोजन गत दिनों को पहली बार हाइब्रिड मॉडल में किया गया जिसमें व्यापक रूप से रणनीतिक, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास तथा प्रशासनिक पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया और भविष्य में सेना को आकार देने के लिए आधारभूत निर्णय लिए गए।
सेना के कमांडरों और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने वर्तमान/उभरते सुरक्षा परिदृश्यों का जायजा लिया और भारतीय सेना की प्रचालनगत तैयारियों तथा मुस्तैदी की समीक्षा की।
फोरम ने जनवरी 2023 में घोषित ‘‘ रूपांतरण का वर्ष ‘‘ के हिस्से के रूप में बल संरचना और इष्टतमीकरण, आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी समावेश, प्रक्रियाओं एवं कार्यों, मानव संसाधन प्रबंधन तथा संयुक्तता और समेकन के प्रमुख कार्य क्षेत्रों में वर्तमान में जारी रूपांतरकारी पहलों पर अखिल भारतीय मात्रात्मक प्रगति की समीक्षा की।
अग्निपथ स्कीम के प्रभावी कार्यान्वयन की प्रगति पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। शीर्ष नेतृत्व ने अन्य सेवाओं तथा सरकारी एजेन्सियों के साथ संयुक्तता और समेकन को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों और कार्रवाई योग्य बिन्दुओं की भी पहचान की।
सम्मेलन के दौरान सैन्य टुकड़ियों तथा भूतपूर्व सैनिकों के लिए कई कल्याणकारी उपायों और पहलों को कार्यान्वित करने का निर्णय लिया गया। नेट सेंट्रिसिटी, जो आधुनिक संचार प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता से संबंधित है, की दिशा में तेजी से बढ़ते स्थानांतरण के साथ, फोरम ने नेटवर्कों की सुरक्षा की आवश्यकता की समीक्षा की और निकट भविष्य में कमान साइबर प्रचालनों तथा सपोर्ट विंग्स ( सीसीओएसडब्ल्यू ) को प्रचालनगत करने का निर्णय लिया।
उत्कृष्ट प्रौद्योगिकीयों तथा उपकरण को शामिल करने के द्वारा बलों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, पूरी सेना द्वारा बेहतर उपयोग करने में सुविधा प्रदान करने हेतु इष्टतम रोजगार सिद्धांतों और परिमाणन को विकसित करने के लिए लीड निदेशालयों एवं ‘ टेस्ट बेड ‘ संरचनाओं को नामित करने का निर्णय लिया गया।
प्रभावी और घातक लड़ाकू बल बनाये रखने के लिए अवसंरचना, समय और संसाधनों को इष्टतम बनाने के लिए प्रशिक्षण पहलों पर व्यापक रूप से विचार विमर्श किया गया। अधिकारियों की प्रविष्टि के लिए टीईएस एंट्री स्कीम में, जनवरी 2024 के बाद से, वर्तमान 1+3+1 वर्ष तकनीकी प्रविष्टि स्कीम ( टीईएस ) मॉडल से 3+1 टीईएस मॉडल में स्थानांतिरत करने का निर्णय लिया गया। इस परिवर्तन से इकाइयों में अधिक संख्या में अधिकारियों की उपलब्धता का लाभ भी मिलेगा तथा अधिकारियों की कमी पर ध्यान दिया जा सकेगा। इस वर्ष 791 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 435 सिमुलेटरों की खरीद के माध्यम से सिमुलेटर प्रशिक्षण को भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है।
दिल्ली कैंट में थल सेना भवन के निर्माण का कार्य, जो मार्च 2023 में आरंभ हुआ, को भी रेखांकित किया गया। 2025 में इस कार्य के पूरा हो जाने के बाद, इससे न केवल कार्यालय के लिए स्थान की कमी पर ध्यान दिया जा सकेगा बल्कि यह सभी निदेशालयों को एक छत के नीचे लाने के जरिये सेना मुख्यालय की प्रचालनगत और कार्यात्मक दक्षता को भी बढ़ाएगा। इस अत्याधुनिक भवन में एक मजबूत, प्रौद्योगिकी के लिहाज से उन्नत वास्तुकला शामिल होगी और यह एक स्मार्ट, हरित और भविष्य के लिए तैयार परियोजना होगी।
युद्ध में और शारीरिक रूप से हताहत हो जाने वाले सैनिकों की अदम्य भावना और कभी भी हार न मानने वाली प्रवृत्ति का उपयोग करने के लिए, पैरालिंपिक स्पर्धाओं के लिए चयनित प्रेरित सैनिकों की पहचान करने तथा उन्हें प्रशिक्षित किए जाने के माध्यम से नौ खेल प्रतिस्पर्धाओं में आर्मी स्पोर्ट्स और मिशन ओलंपिक नोड्स में उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय किया गया।
सैनिकों का कल्याण नेतृत्व तथा संगठन का एक स्थायी उत्तरदायित्व है। उन सैनिकों जो कर्तव्य मार्ग (हार्नेस) में शहीद हो जाते हैं, के विशेष रूप से सक्षम बच्चों के कल्याण की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, एजीआईएफ के माध्यम से ऐसे बच्चों के भरण पोषण भत्ते को दोगुना कर देने का निर्णय लिया गया।