मनीषा कोइराला और विक्रमादित्य मोटवानी ने 55वें इफ्फी में ‘बड़े पर्दे से लेकर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म तक’ विषय पर खुलकर चर्चा की
A packed auditorium at the Kala Academy warmly welcomed veteran actor Manisha Koirala and visionary filmmaker Vikramaditya Motwane with a thunderous round of applause. The much-anticipated rendezvous between the iconic Mallikajaan from ‘Heeramandi’ and the director behind acclaimed films like ‘Udaan’, ‘Lootera’, and the series ‘Sacred Games’, among many others, took place today at the 55th International Film Festival of India (IFFI). The two film industry veterans engaged in an insightful ‘In-Conversation’ session on ‘From Big Screen to Streaming,’ attended by film aficionados, students, media personnel, and fans from across India, all gathered in Goa for the occasion.
पुणे, 25 नवंबर। कला अकादमी के खचाखच भरे ऑडिटोरियम में अनुभवी अभिनेत्री मनीषा कोइराला और दूरदर्शी फिल्म निर्माता विक्रमादित्य मोटवानी का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ‘हीरामंडी’ की मशहूर मल्लिकाजान और ‘उड़ान’, ‘लुटेरा’ और ‘सेक्रेड गेम्स’ जैसी कई फिल्मों के निर्देशक के बीच यह बहुप्रतीक्षित मुलाकात आज 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (ईफ्फी) में हुई। फिल्म जगत के इन दो दिग्गजों ने ‘बड़े पर्दे से लेकर स्ट्रीमिंग तक’ विषय पर एक ज्ञानवर्धक ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र में भाग लिया, जिसमें फिल्म प्रेमी, छात्र, मीडियाकर्मी और भारत भर से आए प्रशंसक शामिल हुए, जो इस अवसर पर गोवा में एकत्र हुए थे।
इस चर्चा में मनीषा कोइराला ने बताया कि थिएटर में रिलीज़ होने वाली फिल्मों और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर सीरीज या फिल्मों के लिए अभिनेताओं से समान स्तर के प्रयास, तैयारी, ईमानदारी और मानसिकता की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया, “मेरे तीस साल के करियर में, हीरामंडी सबसे बड़ा सेट था, जिस पर मैंने काम किया है।” उन्होंने दोनों अनुभवों के प्रति अपना प्यार भी व्यक्त करते हुए कहा,”मुझे थिएटर जाना पसंद है, लेकिन मुझे घर पर बैठकर अच्छा कंटेंट देखना भी पसंद है।” उनके अनुसार दोनों का अपना महत्व है और ओटीटी पर उत्कृष्ट सामग्री का खजाना उपलब्ध है। उन्होंने इस प्लेटफॉर्म के आकर्षण को स्वीकार करते हुए कहा, “मैं ओटीटी कंटेंट को लगातार देखती हूं।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या अभिनेता अभी भी ओटीटी शो में काम करने से कतराते हैं तो मनीषा ने खुलकर जवाब दिया कि इंडस्ट्री में इस बारे में चर्चा चल रही है। उन्होंने बताया, “किसी भी नए और अपरिचित काम को शुरू में अक्सर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।” “लेकिन अच्छे परिणाम लोगों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।” उन्होंने माना कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर प्रोजेक्ट्स को लेकर फिल्म उद्योग में अभी भी कुछ आशंकाएं हैं। हालाँकि उन्होंने आशा व्यक्त की कि “यह कुछ पीढ़ियों में खत्म हो जाएगा।” मनीषा और विक्रमादित्य मोटवानी दोनों ने कहा कि शाहिद कपूर, आलिया भट्ट और वरुण धवन सहित कई अभिनेता पहले ही ओटीटी प्लेटफार्मों पर रिलीज हुई फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं, जो इस माध्यम की बढ़ती स्वीकृति का संकेत है।
जब विक्रमादित्य मोटवानी ने पूछा कि क्या ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करना बड़े पर्दे से ‘नीचे उतरने’ जैसा लगता है, तो मनीषा ने जवाब दिया, “अब अभिनेताओं को पुराने ढर्रे से हटना चाहिए। मैं सिर्फ एक शैली तक सीमित नहीं रहना चाहती थी। एक अभिनेता के तौर पर आप अलग-अलग पहलुओं को तलाशना चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “स्ट्रीमिंग एक गेम चेंजर साबित होने जा रही है। यह नए अवसर खोल रही है और उभरते फिल्म निर्माताओं, लेखकों और अभिनेताओं को सुर्खियों में आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
मनीषा ने यह भी कहा कि पहले वरिष्ठ अभिनेत्रियों को जो भूमिकाएं दी जाती थीं, उनकी तुलना में अब बड़ी उम्र की महिलाओं के लिए भूमिकाएं विकसित हो रही हैं। उन्होंने कहा, “दर्शकों की बदौलत ओटीटी धीरे-धीरे पुराने ढर्रे को तोड़ रहा है।” अनुभवी अभिनेत्री ने कहा, “सिनेमा में भी अब उम्रदराज अभिनेताओं को अधिक महत्वपूर्ण भूमिकाएं दी जा रही हैं। 90 और 2000 के दशक के मुकाबले बहुत कुछ बदल गया है। सीखने के लिए बहुत कुछ है।”
बातचीत में निर्देशक के नजरिए को सामने लाते हुए विक्रमादित्य मोटवानी, जिन्हें दोनों प्रारूपों में सफल प्रोजेक्ट्स का श्रेय दिया जाता है, ने कहा, “अच्छी सीरीज़ में अलग तरह का जादू होता है। रचनात्मक दृष्टिकोण से कई सीज़न को लगातार जारी रखना कठिन होता है। प्रवाह को बनाए रखना एक कठिन काम है और यह महत्वपूर्ण है कि कलाकारों और क्रू की ऊर्जा इस अवधि में बनी रहे।”
दोनों प्रारूपों में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए दूरदर्शी निर्देशक ने कहा, “मुझे शैलियों को बदलने में आनंद आता है। मेरी पहली चार फिल्में सिनेमा के लिए थीं। जब भाषा की बात आती है तो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म आपको थोड़ी ज़्यादा आजादी देते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म अधिक स्वतंत्रता देते हैं। थिएटर में रिलीज के लिए बजट और लंबाई सीमित होती है, कहानियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के लिए होना चाहिए।” उन्होंने बताया, प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन लगभग एक जैसा ही है। उन्होंने कहा, “शूटिंग की प्रक्रिया अब तेज हो रही है। जुबली के 10 एपिसोड 90 दिनों में शूट किए गए,’सेक्रेड गेम्स’ 80 दिनों में शूट किया गया।” निर्देशक का मानना है कि शूटिंग के दौरान आपको अधिक सहज विकल्प चुनने होंगे।
दोनों प्रारूपों में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए दूरदर्शी निर्देशक ने कहा, “मुझे अलग-अलग विधाओं में काम करना पसंद है। मेरी पहली चार फिल्में सिनेमा के लिए थीं। जब भाषा की बात आती है तो स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म आपको थोड़ी ज़्यादा आजादी देते हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म अधिक स्वतंत्रता देते हैं। थिएटर में रिलीज के लिए बजट और लंबाई सीमित होती है, कहानियों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के लिए होना चाहिए।” उन्होंने बताया, प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन लगभग एक जैसा ही है। उन्होंने कहा, “शूटिंग की प्रक्रिया अब तेज हो रही है। जुबली के 10 एपिसोड 90 दिनों में शूट किए गए,’सेक्रेड गेम्स’ 80 दिनों में शूट किया गया।” निर्देशक का मानना है कि शूटिंग के दौरान आपको अधिक सहज विकल्प चुनने होंगे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए लेखन पर बात करते हुए, विक्रमादित्य ने बताया कि यह पूरी तरह से एक अलग प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि लिखते समय एपिसोड और समय को ध्यान में रखना चाहिए। मनीषा और विक्रम दोनों इस बात पर सहमत थे कि बड़े पर्दे और ओटीटी रिलीज के बीच संतुलन होना चाहिए।
विक्रम ने स्पष्ट रूप से इस बात पर सहमति जताई कि किसी सीरीज को निर्देशित करना थोड़ा मुश्किल है। उन्होंने कहा, “शो रनर के लिए यह मुश्किल है। कई अंतरराष्ट्रीय सीरीज के अलग-अलग सीजन के लिए अलग-अलग शो रनर रहे हैं। भारत में ओटीटी एक नई चीज़ है। हमें इस पर काम करना होगा। यह धीरे-धीरे होगा।”
अपनी समापन टिप्पणी में विक्रमादित्य ने यह भी कहा कि सिनेमाघरों में फिल्म देखने के अनुभव में सुधार की जरूरत है। उनका मानना है कि अनावश्यक अंतराल और लंबे विज्ञापन अक्सर दर्शकों को पसंद नहीं आते। उन्होंने कहा, “हालांकि, बड़े पर्दे पर सिनेमा का जादू हमेशा बना रहेगा।” दूसरी ओर उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म गुणवत्तापूर्ण पारिवारिक मनोरंजन और निजी तौर पर देखने की दोनो तरह की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। विक्रमादित्य मोटवानी ने कहा, “दोनों प्रारूपों का सही मिश्रण सिनेमा जगत में एक चमत्कार पैदा करेगा।”
बड़े पर्दे बनाम ओटीटी की बहस में दोनों प्रतिष्ठित विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हुए कि – ‘जब सीमाओं को आगे बढ़ाया जाता है, तो कई नई अद्भुत चीजें सामने आती हैं’।