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मनोज बाजपेयी और उनकी टीम ने डिस्पैच फिल्म निर्माण की पूरी कहानी बताई

Acclaimed actor Manoj Bajpayee, a four-time National Award winner and Padma Shri recipient is here at 55th International Film Festival of India (IFFI) where his highly anticipated film Despatch is featuring under ‘Special Presentations’. During a press conference organized by Press Information Bureau on the sidelines of IFFI 2024, the cast and crew of the film, including Bajpayee, director Kannu Behl, Ishani Banerjee, and actress Shahana Goswami, interacted with the media, shedding light on the film’s creation, challenges, and the gripping narrative that explores the dark side of journalism.

 

-A PIB Feature-

चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता और पद्मश्री से सम्मानित मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में मौजूद हैं, जहां उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘डिस्पैच को ‘विशेष प्रस्तुतियों’ के तहत प्रदर्शित किया जा रहा है। आईएफएफआई 2024 के मौके पर पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की ओर से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, मनोज बाजपेयी, निर्देशक कन्नू बहल, इशानी बनर्जी और अभिनेत्री शाहना गोस्वामी सहित फिल्म के कलाकारों और टीम के सदस्यों ने मीडिया से बातचीत की। इन सभी ने फिल्म के निर्माण, चुनौतियों और डिस्पैच फिल्म की थीम पत्रकारिता के अंधेरे पक्ष को उजागर करने वाली इस मनोरंजक कहानी पर प्रकाश डाला।

मनोज बाजपेयी ने डिस्पैच फिल्म के बनने के दौरान सामने आई चुनौतियों पर खुलकर बातचीत की। उन्होंने निर्देशक कन्नू बहल की उनके अभिनव फिल्म निर्माण संबंधी नए दृष्टिकोण के लिए सराहना करते हुए उन्हें समकालीन सबसे रोमांचक फिल्म निर्माताओं में से एक बताया।

मनोज बाजपेयी ने बताया, “हमने महामारी के दौरान फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती थी। हम कोरोना की डेल्टा लहर के दौरान मुंबई में शूटिंग कर रहे थे, और इस दौरान टीम के से कई लोग कोरोना संक्रमित हो गए थे। लेकिन उसके बाद भी हमने सभी बाधाओं को पार करते हुए शूटिंग को जारी रखा। इशानी और कन्नू द्वारा लिखी गई इस फिल्म की स्क्रिप्ट अविश्वसनीय रूप से वास्तविक और आकर्षक है। यह एक पत्रकार की कहानी है जिसकी महत्वाकांक्षा और काम के प्रति उसका जुनून उसके खुद के जीवन को प्रभावित करता है।”

मनोज बाजपेयी ने फिल्म की स्क्रिप्ट के प्रभाव पर भी जानकारी साझा की जिसमें किरदारों की गहराई को समझने के लिए कार्यशालाओं की आवश्यक लेकिन विस्तृत प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने बताया कि एक पत्रकार की भूमिका के लिए गहन तैयारी ने उन्हें मानसिक रूप से किस प्रकार प्रभावित किया, लेकिन इसने उन्हें एक अभिनेता के रूप में विकसित होने में भी मदद की।

मनोज बाजपेयी ने कहा, “इशानी और कन्नू की स्क्रिप्ट बहुत विस्तृत और वास्तविकता पर आधारित है। यह सभी कलाकारों के लिए मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अंत में, यह हर प्रयास के लायक थी।” इस संवाददाता सम्मेलन का संचालन श्री धर्मेंद्र तिवारी ने किया।

फिल्म के बारे में

डिस्पैच फिल्म एक क्राइम एडिटर जॉय की कहानी पर आधारित है जो अपने करियर को परिभाषित करने वाली खोजी पत्रकारिता से जूझता है। यह फिल्म गैंगवार से जुड़े गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करती है। अपने करियर में होने वाले उथल-पुथल के साथ-साथ, जॉय को अपनी शादी टूटने और अपने सबसे करीबी लोगों से विश्वासघात का सामना करना पड़ता है, जो अंततः दुखद परिणामों की ओर ले जाता है। यह फिल्म महत्वाकांक्षा, लालच और किसी के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बीच के अंतर को दर्शाती है। फिल्म आधिकारिक रुप से 13 दिसंबर, 2024 को रिलीज की जाएगी।

बातचीत सत्र

प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा, मनोज बाजपेयी ने आईएफएफआई के दौरान एक आकर्षक संवादात्मक सत्र (इन कन्वर्सेशन) में हिस्सा लिया और इस दौरान देश के सबसे सम्मानित अभिनेताओं में से एक के मन की बात जानने का मौका भी मिला।

मनोज बाजपेयी ने कहा, “अगर मैं अपनी कार के शीशे काले रखूंगा, तो मैं लोगों को, उनके दुखों और खुशियों को कैसे देख पाऊंगा और जीवन का अवलोकन किस तरह कर पाऊंगा। एक अभिनेता के रूप में, मैं भीड़ में दिखाई नहीं देना चाहता हूं मगर लोगों को देखना और उनसे जुड़ा रहना चाहता हूं। अगर आप लोगों से दूर रहेंगे, तो आप कभी भी अच्छा किरदार नहीं निभा पाएंगे।” उन्होंने कहा, किसी दूसरे व्यक्ति का किरदार निभाना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है।

मनोज बाजपेयी ने इस दौरान अभिनय के प्रति अपने दृष्टिकोण के आंतरिक कामकाज का खुलासा किया और यह भी कहा कि एक अभिनेता के रूप में उनका रोल केवल दर्शकों का मनोरंजन करना या उन्हें प्रभावित करना नहीं है, बल्कि वास्तव में उनका प्रतिनिधित्व करना है। उन्होंने कहा, “एक अभिनेता का रोल न केवल लोगों को प्रभावित करने या उनका मनोरंजन करने वाला होना चाहिए, बल्कि लोगों का प्रतिनिधित्व कर उनके दिलों की गहराई तक पहुंचना चाहिए।” उन्होंने कला के प्रति अपने जुनून के बारे में भी भावुकता से बात करते हुए कहा कि अभिनय एक कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है जो उन्हें मोहित और प्रेरित करती है।

मनोज बाजपेयी ने थिएटर और फिल्म में अंतर पर चर्चा करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि थिएटर जहां एक अभिनेता का माध्यम है, वहीं फिल्म मूल रूप से निर्देशक का माध्यम है। उन्होंने बताया, “सिनेमा में कई अन्य तत्व और आयाम भी होते हैं, जो अंत में इस कहानी को आकार देते हैं और यह एक सहयोगात्मक प्रक्रिया है।”

 

अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाने वाले मनोज बाजपेयी ने किसी विशेष प्रकार के सिनेमा या भूमिका तक ही सीमित रहने से इनकार करते हुए विविध भूमिकाओं और विधाओं की तलाश जारी रखने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मैं खुद को मुख्यधारा के सिनेमा या किसी विशेष विधा तक सीमित नहीं रखना चाहता। मैं हमेशा हर नए प्रोजेक्ट के साथ अपने किरदारों को तलाशने की कोशिश करता हूं। मेरा ध्यान हमेशा ऐसे रोल करने पर रहा है जिसमें कुछ नया हो।”

मनोज बाजपेयी ने समाज और फिल्म उद्योग की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “यह एक कठिन समय है, जब समाज के साथ-साथ फिल्म उद्योग भी अनिश्चितता, संघर्ष और भ्रम से भरा हुआ है। स्वतंत्र सिनेमा ही एकमात्र ऐसी विधा है, जो सिनेमा की कला के प्रति सच है। स्वतंत्र सिनेमा को मार्गदर्शन देने का समय आ गया है, जो भारतीय सिनेमा के विकास को सुनिश्चित कर सकता है। इसके बिना सिनेमा कुछ और नहीं, बल्कि सिर्फ और सिर्फ एक कारोबार बन जाएगा।”

अभिनय कला और भारतीय सिनेमा के भविष्य पर विचारों से भरपूर मनोज बाजपेयी की यह बातचीत अभिनय के प्रति जुनून और समाज को प्रतिबिंबित करने तथा उसे आकार देने वाली फिल्म की कहानी उनके विश्वास को दर्शाती है। इस मनोरंजक सत्र का संचालन प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक सुधीर श्रीनिवासन ने किया।

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