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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से महान शिक्षा शास्त्री, दार्शनिक, साहित्यकार एवम् महापुरूषों का पथ-प्रदर्शन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

 

 

  • ख़ास बातें
    डॉ. अनुपमा ने दर्शन, कर्म, कर्ता पर विस्तार से समझाया
    डॉ. एसके जैन बोले, संपूर्ण ब्रह्मांड तीन शब्दों में निहित
    मनुष्य ईश्वर की सर्वाेच्च रचनाः रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा
    डॉ. मंजुला बोलीं, अनुभवसिद्ध विचारों में अनंत शक्ति का वास
    निदेशक प्रो. एमपी सिंह ने आयोजन मंडल की पीठ थपथपाई
    संगोष्ठी में चालीस से अधिक विश्वविद्यालयों ने की शिरकत

—-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह जाने- माने शिक्षा मनोवैज्ञानिक डॉ. बेंजामिन ब्लूम का भावपूर्ण स्मरण करते हुए बोले, आउटकम बेस्ड एजुकेशन -ओबीई समय की दरकार है। ब्लूम टेक्सोनोमी के जरिए ही शिक्षा की जड़ों तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने नामचीन मनोवैज्ञानिकों-जेरोम ब्रूनर, जीन पियाजे, अल्बर्ट बंडूरा आदि की थ्योरी पर प्रकाश डालते हुए कहा, शिक्षक ब्लूम टेक्सोनोमी को आत्मसात करें। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, गुरू रविंद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानन्द का उदाहरण देते हुए कहा, शिक्षा विद्यार्थियों में संस्कार के रूप में पहले से ही विद्यमान है, जिसको शैक्षणिक सिद्धांतों के जरिए निखारने की आवश्यकता है। प्रो. सिंह फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से भारत के महान शिक्षा शास्त्री, दार्शनिक, साहित्यकार एंव महापुरूषों का पथ-प्रदर्शन पर आयोजित तीन दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी एवम् शोधपत्र वाचन पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पूर्व फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से ब्लेंडेड मोड में आयोजित इस संगोष्ठी का मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके शंखनाद किया। इस मौके पर रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन, निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह, प्राचार्य- प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. अशोक लखेरा की भी गरिमामयी मौजूदगी रही। तीन दिनी इस संगोष्ठी के दौरान तकरीबन 40 से भी अधिक विश्वविद्यालयों के 205 से भी अधिक शोधार्थियों एवं शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में 450 से भी अधिक रजिस्ट्रेशन हुए थे।

जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनुपमा शांडिल्य ने समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि दर्शन, कर्म, कर्ता आदि को विस्तार से समझाया। बतौर विशिष्ट अतिथि तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एवम् रिसर्च सेंटर के उप प्राचार्य डॉ. एसके जैन ने कहा, संपूर्ण ब्रह्मांड 3 शब्दों में निहित है। सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी अपने इन्हीं उद्देश्यों को पूर्ण करता है। साथ ही आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। बतौर विशिष्ट अतिथि रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा बोले, शिक्षक को मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक होना चाहिए। स्वामी विवेकानंद जी की मनुष्य में बहुत आस्था थी। वह सोचते थे कि मनुष्य ईश्वर की सर्वाेच्च रचना है।

एसोसिएट डीन डॉ. मंजुला जैन ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा, महान विचारकों के अनुभव जब शब्दरूप में कागज पर कलम से उतरते हैं तो वे नई क्रांति ला सकते हैं। उनके अनुभवों के निचोड़ से सदियों तक समाज लाभान्वित होता है, एक नई दिशा प्राप्त करता है। अनुभवसिद्ध विचारों में अनंत शक्ति छिपी होती है, जिन्हें पढ़कर विश्वास, प्रेरणा, ऊर्जा और ज्ञान का संवर्धन किया जा सकता है। निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने बतौर कार्यक्रम अध्यक्ष महापुरुषों, दार्शनिकों एवम् साहित्यकारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उनके बताए सामाजिक कार्यों और प्रदर्शन पर आगे बढ़ने की सलाह दी। उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी की सफलता के लिए आयोजन मंडल की पीठ थपथपाई और पुरस्कार भी वितरित किए। उन्होंने भविष्य में ऐसे प्रोग्राम करने हेतु प्रेरित भी किया।

कार्यक्रम संयोजिका डॉ. कल्पना जैन और प्राचार्या डॉ. रश्मि मेहरोत्रा ने अलग-अलग मौकों पर अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. नम्रता जैन ने किया। अंत में प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जिनमें सात शिक्षाविदों को ऑफलाइन मोड पर प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। आयोजन मंडल में शामिल डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. नम्रता जैन, श्री दीपक मलिक, श्री विनय कुमार, श्री धर्मेंद्र सिंह, शाजिया सुल्तान, डॉ. सुगंधा जैन, श्रीमती पायल शर्मा, हेमंत कुमार, मयंक अतिवाल आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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