नंदादेवी की डोली के लिए देवराड़ा क्षेत्र के लोगों ने बिछाए पलक पावड़े

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-थराली से हरेंद्र बिष्ट–

अपनी लाडली भांजी के स्वागत सत्कार के लिए देवराड़ा (थराली) सहित आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। एक तरह से भांजी के आगमन को लेकर क्षेत्रीय लोग पलक पांवड़े बिछाए हुए हैं।

दरअसल कुरूड़ क्षेत्र को नंदा देवी का मायका माना जाता है। इसी के साथ देवराड़ा क्षेत्र को नंदा का ननीहाल माना जाता है। यही कारण है कि बधाण की नंदा भगवती का उत्सव डोला कैलाश यात्रा के बाद प्रति वर्ष आयोजित होने वाली लोकजात यात्रा जो कि वेदनी बुग्याल तक जाती हैं। इसके साथ ही 12 वर्षों के दौरान आयोजित होने वाली  नंदा देवी राजजात  जो कि त्रिशूली हिमपर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित होमकुंड से लौट कर देवराड़ा स्थित नंदा सिद्धपीठ में छः माह के लिए विराजमान हों जाती हैं।

इसके बाद पौष मास में डोला देवराड़ा से सिद्धपीठ कुरूड़ के लिए रवाना होकर भादों मास तक के लिए विराजमान हो जाती हैं। इस बार 3 सितंबर को वेदनी बुग्याल में जात के बाद देवी की उत्सव डोली देवराड़ा के लिए वापस लौट गई हैं।

आज डोला रात्रि प्रवास के लिए देवाल के ल्वाणी गांव पहुंच चुकी हैं।देवी का डोला लगातार नजदीक क्षेत्रों में आने के साथ ही देवराड़ा सहित आसपास के क्षेत्र के देवी भक्त अपनी लाडली भांजी के स्वागत, सत्कार के लिए पलक पांवड़े बिछाए हुए हैं। नंदा डोला 10 सितंबर को देवराड़ा पहुंचेगी उसी दिन विधि-विधान के साथ उसे गर्भगृह में विराजमान करवा दिया जाएगा।


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पहले नंदा देवी का उत्सव डोला सिद्धपीठ बधणगढ़ी में रहता था। बताया जाता है उन्नीसवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में बधाण की नंदा देवी का उत्सव डोला गढ़वाल के 52 गढ़ियों में सुमार किंतु आवादी क्षेत्रों से कोसों दूर बधाणगढ़ी में ही रहती थी। परंतु यहां के मंदिरों एवं डोली की उचित सुरक्षा नही होने पर देवी के कार्यक्रमों के मुख्य आयोजक 14 सयानों ने देवराड़ा मंदिर में उत्सव डोले को रखकर नियमित पूजा अर्चना करने की सहमति के बाद अब डोला देवराड़ा में ही रखा जाता है।
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नंदा के मामा कोट देवराड़ा में पिछले 7 दिनों से आयोजित श्येलपाती “श्री कृष्ण लीला” की धूम मची हुई हैं। रात्रिकालीन इस कार्यक्रम में जहां नंदा भगवती की पूजा अर्चना तों की ही जा रही हैं।वही श्री कृष्ण के द्वारा खेली गई लीलाओं का मंचन किया जा रहा हैं। आयोजन कमेटी के संरक्षक धनराज सिंह रावत, अध्यक्ष बलवंत रावत, कोषाध्यक्ष बीरेंद्र रावत, सचिव खिलाप रावत, पार्षद सीमा देवी,ममंद अध्यक्ष गौरा देवी, बिमला देवी, महादेवी इंद्र सिंह शाह, दिलबर गुसाईं,मोहन गुसाईं, प्रमोद पंत आदि ने बताया कि 28 अगस्त से आयोजित श्री कृष्ण लीला का 5 सितंबर को केली के कौंथीग के साथ सम्पन होगा, जबकि 6 सितंबर को भंडारे के साथ इसका विधिवत समापन होगा। इसके साथ ही नंदा के उत्सव डोलें को गर्भगृह में विराजमान करने की तैयारियां शुरू कर दी जाएगी।

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