पर्यावरण

अध्ययन से निकली बात : जन भागीदारी से ही वनाग्नि पर नियंत्रण संभव

-दिग्पाल गुसाईं  की रिपोर्ट –

गौचर, 4 दिसंबर । फारेस्ट फायर की रोकथाम के लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करने होंगे। यह बात सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र की ओर से चमोली ज़िले के वनाग्नि की दृष्टि से अति संवेदनशील धनपुर के इलाके में चल रही वनाग्नि की रोकथाम के लिए आयोजित जनजागरण एवं अध्ययन यात्रा के दौरान आयोजित गोष्ठियों मे निकली।

रविवार को गौचर के समीप दुआ से पूर्व प्रधानाध्यापक बचन सिंह रावत के नेतृत्व में शुरू हुए इस अभियान में पत्रकार, समाजसेवी,शिक्षक और स्थानीय ग्रामीणों खासकर महिलाओं के वन विभाग के अधिकारी तथा वन पंचायतों के पदाधिकारी भाग ले रहे हैं।

दुआ गांव में दुआ के वन पंचायत सरपंच लक्ष्मण सिंह की अध्यक्षता में शुरू हुई गोष्ठी में ग्रामीणों ने इस इलाके में वनाग्नि के कारणों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर गोपेश्वर शहर को हरा- भरा कर रहे केदार सिंह रावत पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित मनोज तिवारी ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए दुआ के ग्रामवासियों के र्न प्रयासों की सराहना करते हुए वनाधिकारियों से आग्रह किया कि ऐसे ग्रामवासियों के कार्यो को सामुहिक और व्यक्तिगत रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

वरिष्ठ पर्यावरण कार्यकर्ता मंगला कोठियाल ने वनाग्नि को अभिशाप बताया और कहा कि सभ्य समाज में इस तरह की दुष्प्रवृत्ति के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इससे न केवल हम अपना बुरा करते हैं अपितु आने वाली पीढ़ी का भी अहित कर रहे हैं। डायट में विज्ञान के प्रवक्ता सुबोध डिमरी ने कहा कि समय आ गया है कि हमें वनाग्नि की रोकथाम के लिए भ्रांतियां को तोड़ना होगा। इसके नुकसानों को समझना होगा। इसके लिए निरंतर जनजागरण के कार्यक्रम संचालित होने चाहिए।

वन विभाग की ओर से वबीता रावत और वी एस नेगी ने विभाग से जुड़ी शंकाओं का निराकरण करते हुए वनाग्नि की रोकथाम के लिए सभी को आगे आने का आह्वान किया। सीपीभट् पर्यावरण विकास केन्द्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने कहा कि बिना स्थानीय लोगों के सहयोग के वनाग्नि की रोकथाम के प्रयास सफल नहीं हो सकते। उन्होंने इसके लिए वन पंचायत स्तर पर गठित वनाग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इन समितियों को साधन-संपन्न बनाने और इसके सदस्यों की क्षमतावर्द्धन के लिए व्यवस्थित कार्यक्रम बनाए जाने चाहिए। उन्होंने इसके लिए वन पंचायत और ग्रामवासियों की ओर से भी इस दिशा में पहल करने का अनुरोध किया।

कार्यक्रम का संचालन सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र के समन्वयक विनय सेमवाल ने किया।

रविवार को दुआ,कांडा, बरतोली और ढमढमा में गोष्ठियां हुई जिसमें स्थानीय ग्रामीणों के साथ समीपवर्ती गांवों से भी ग्रामीणों ने शिरकत की।

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