भारत में बिजली क्षेत्र पहुंचा नई ऊंचाइयों पर : उत्पादन क्षमता में 175 जीडब्ल्यू से अधिक वृद्धि
— निमिष रुस्तगी
भारत के बिजली क्षेत्र में उल्लेखनीय बदलाव हुए हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को विश्वसनीय, किफायती और सतत ऊर्जा प्रदान करना है। भारत में बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने, बिजली तक पहुंच का विस्तार करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और अभिनव नीतियों को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यहां हम उन प्रेरणादायक उपलब्धियों और बदलाव लाने वाली पहलों पर विचार कर रहे हैं, जिन्होंने भारत के बिजली क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
हरित भविष्य की दिशा में भारत की यात्रा को वैश्विक मान्यता मिली है। उत्पादन क्षमता में 175 जीडब्ल्यू से अधिक की वृद्धि के साथ, भारत बिजली की कमी वाले देश से एक बिजली अधिशेष राष्ट्र में परिवर्तित हो गया है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए देश की प्रतिबद्धता ने इस उपलब्धि को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सौर और पवन ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि ने नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने में विश्व के अग्रणी देश के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। आज, भारत नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता के सन्दर्भ में पूरी दुनिया में चौथे स्थान पर है, इसकी कुल स्थापित बिजली क्षमता का 43% गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों पर आधारित है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए, 2014 में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) शुरू की गई थी। डीडीयूजीजेवाई कार्यक्रम ने 28 अप्रैल, 2018 को 18,374 गैर-विद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण करके 100% ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल किया। इसके लिए वितरण नेटवर्क को मजबूत किया गया तथा यह सुनिश्चित किया गया कि बिजली ग्रामीण भारत के हर कोने तक पहुँचे।
सरकार द्वारा ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के प्रयासों के भी उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। किफायती एलईडी द्वारा सभी के लिए उन्नत ज्योति (उजाला) योजना के तहत, 2014 और 2019 के बीच एलईडी बल्बों की खरीद कीमत में लगभग 90% की कमी आई है। एक एलईडी बल्ब की कीमत 310 रुपये से घटकर 39.90 रुपये रह गयी है। इस योजना के तहत अब तक 36.86 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए जा चुके हैं। इस पहल से न केवल घरों में बिजली की लागत कम हुई है, बल्कि एलईडी बल्बों के घरेलू निर्माण को भी बढ़ावा मिला है और “मेक इन इंडिया” अभियान को समर्थन मिला है। परिणामस्वरूप, भारत ने ऊर्जा-कुशल प्रकाश समाधानों को व्यापक रूप से अपनाया है, जिसने ऊर्जा की खपत को कम करने के साथ हरित पर्यावरण में भी योगदान दिया है।
बिजली वितरण की दक्षता बढ़ाने के लिए, सरकार ने पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस)जैसी पहलों को लागू किया है। आरडीएसएस से बिजली वितरण कंपनियों का वितरण घाटा वित्त वर्ष 2020-21 के 21.5% से कम होकर वित्त वर्ष 2021-22 में 16.5% रह गया है। ये पहलें; तकनीकी और वाणिज्यिक घाटे को कम करने, मीटर और बिल प्रणाली में सुधार करने और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। स्मार्ट ग्रिड, उन्नत मीटर अवसंरचना और मांग प्रतिक्रिया व्यवस्था के एकीकरण से ग्रिड स्थिरता में वृद्धि हुई है और उपभोक्ताओं को अपनी ऊर्जा खपत को सक्रिय रूप से प्रबंधित करने की सुविधा मिली है।
2014 से भारत के बिजली क्षेत्र में हुए बदलाव, प्रगति और सहनीयता की एक उल्लेखनीय गाथा है। सार्वभौमिक विद्युतीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा का तेज विस्तार, बेहतर वितरण प्रणाली और बढ़ी हुई ऊर्जा दक्षता जैसी उपलब्धियों के साथ भारत ने दुनिया के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण पेश किया है। हितधारकों की भागीदारी के साथ भारत सरकार की प्रतिबद्धता से देश स्थायी, किफायती और विश्वसनीय ऊर्जा संचालित भविष्य की ओर आगे बढ़ रहा है। इस यात्रा के दौरान, भारत के बिजली क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए निरंतर निवेश, नवाचार और सहयोग महत्वपूर्ण होगा, ताकि देश के सभी नागरिकों के लिए एक उज्ज्वल व समृद्ध कल सुनिश्चित किया जा सके।
*लेखक: निमिष रुस्तगी, अपर महानिदेशक; हिमांशु पाठक, उप निदेशक; और मेडोनो जहासा, यंग प्रोफेशनल, अनुसंधान इकाई, पत्र सूचना कार्यालय।