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Santa-Banta on landslides : भू-स्खलन पर पढ़िए अत्यंत मौजू सवाल जवाब और बचिए इस गंभीर खतरे से

by Team RPM-MF Nov 17, 2022

(रिस्क प्रिवेंशन मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट फोरम की  जन जागरूकता के लिए अभिनव पहल।  लोग जागेंगे तो आपदा से बचेंगे। .. )

संता – भाई रोज सुनते रहते हैं, आखिर यह भू-स्खलन होता क्या है ?

बंता – Land यानी आम भाषा में कहे तो चट्टान, पत्थर, मिट्टी व मलबा। यह सब जब Slide करे या ढाल पर नीचे आये, तो उसे  हम Landslide या भू- स्खलन कहते हैं।

संता – वो तो ठीक है, परन्तु यह मलबा नीचे आता क्यों हैं ?

बंता – भाई चट्टान, पत्थर, मिट्टी व मलबा हो या फिर मैं और तुम; नीचे तो हर किसी को Gravity या गुरुत्वाकर्षण बल ही लाता  हैं। और चट्टान हो या फिर पत्थर, मिट्टी या मलबा – जो आज ऊपर है उसका देर-सबेर नीचे आना तय हैं।

मलबे के नीचे आने की प्रक्रिया के आधार पर कहे तो भू-स्खलन के चार प्रकार हैं – Fall, Flow, Slide और Topple यानी  FFST.

संता – सर जी भू-स्खलन के प्रकार मतलब FFST; अब इन सब के बारे में भी कुछ बताओ।

बंता – तीव्र ढाल या खड़ी चट्टान से नीचे गिरने की स्थिति में होने वाले भू-स्खलन को Fall कहते हैं। इसमें चट्टान, पत्थर, मिट्टी व मलबा हवा में उछल कर भी नीचे आ सकता हैं। 1998 में उत्तराखण्ड के मालपा में इसी प्रकार का भू-स्खलन हुवा था और इसमें 250 से ज्यादा लोग मरे गये थे।

पानी की अधिकता होने पर जब मलबा ढाल पर बहने लगे तो उसे Flow कहते हैं और इस स्थिति में होने वाला मलबे का यह प्रवाह ढाल पर काफी बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता हैं। ज्वालामुखी से सम्बन्धित होने पर इस प्रकार के प्रवाह को Lahar कहते हैं और यह काफी विनाशकारी होता हैं। 13 नवम्बर, 1985 को कोलंबिया में Nevado del Ruiz से हुवे ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न Lahar  से ज्वालामुखी से 50 किलोमीटर दूर स्थित Armero शहर में 25000 व्यक्ति मारे गये थे।

और यदि मलबा ढाल पर किसी सपाट या वक्राकार सतह के सापेक्ष नीचे आता हैं तो इस स्थिति में इसे Slide कहते हैं और इस प्रकार के भू-स्खलन में इस सतह के नीचे की सतह या चट्टान सामान्यतः स्थिर अवस्था में रहती हैं और इस सतह को Slip Surface  कहते हैं। सतह के सपाट होने पर भू-स्खलन को Translational Slide व वक्राकार होने पर Rotational Slide कहते हैं।

चट्टान या मलबा यदि ढाल के आधार पर किसी बिन्दु या रेखा के सापेक्ष बाहर की ओर आये तो उसे Topple कहते हैं।

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संता – नीचे आने वाला भू-स्खलन ही है, तो फिर ये Dormant या Active landslide क्या हैं ?

बंता – सक्रियता के आधार पर भू-स्खलन  के अलग – अलग प्रकार हैं। कहो तो SARI.

संता – क्या मतलब?

बंता – SARI मतलब Suspended, Active, Reactivated और Inactive.

और आगे Inactive के भी चार प्रकार हैं – DRAS यानी Dormant, Relict, Abandoned एवं Stabilised.

संता – अब इन भू-स्खलनों के बारे में भी कुछ तो बताइये।

बंता – Suspended ऐसा भू-स्खलन हैं, जो विगत एक वर्ष में सक्रिय रहा हो परन्तु जिसमें वर्तमान में सक्रियता के कोई चिन्ह न हों।

Active ऐसे भू-स्खलन हैं जो वर्तमान में सक्रिय हैं।

और Reactivated वह भू-स्खलन हैं जो लम्बे समय तक निष्क्रिय रहने के बाद सक्रिय हुवे हो।

इसी प्रकार Inactive भू-स्खलन वो है जिसमें विगत 12 महीनो सक्रियता के कोई चिन्ह न हों।

संता – और Inactive भू-स्खलन के प्रकार ?

बंता – अब Inactive भू-स्खलन के वर्गीकरण की बात करे तो Dormant ऐसे Inactive भू-स्खलन हैं जिसके अनुकूल परिस्थितियों में सक्रिय होने की सम्भावना हो।

Relict ऐसे Inactive भू-स्खलन हैं जिसकी उत्पत्ति वर्तमान से एकदम अलग जलवायु व भू-आकृतीय काल में हुयी हो।

इसी प्रकार Abandoned वो Inactive भू-स्खलन हैं जिसमें वर्तमान में उसकी उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारणों का कोई प्रभाव ना पड़ रहा हो।

अन्त में बचा Stabilised. यह वो Inactive भू-स्खलन हैं जिस पर प्रकृति या मानव द्वारा किये गये न्यूनीकरण उपायों के कारण उसकी उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारणों का कोई प्रभाव ना पड़ रहा हो।

संता – और यदि भू-स्खलन से होने वाले नुकसान की बात करे तो ?

बंता – आम तौर पर देखे तो भू-स्खलन बहुत बड़े भू-भाग को प्रभावित नहीं करता हैं, परन्तु यदि पहाड़ो की बात करे और वहाँ घटित होने वाली अन्य आपदाओं से तुलना करे तो भू-स्खलन से ही सर्वाधिक नुकसान होता हैं।

संता – ऐसे में क्या भू-स्खलन की चेतावनी नहीं दी जा सकती हैं ?

बंता – अब देखा जाये तो भू-स्खलन पहाड़ी ढाल पर होने वाली मलबे की हलचल हैं और वर्तमान में इन हलचलों का पता लगाने के लिये अनेको तकनीक उपलब्ध हैं। सिद्धांततः इन तकनीकों का उपयोग कर के भू-स्खलन की चेतावनी भी दी जा सकती हैं।

संता – तो फिर ऐसा किया क्यों नहीं जा रहा हैं ?

बंता – सबसे पहले कहें तो भू-स्खलन से प्रभावित हो सकने वाला इलाका बहुत बड़ा हैं। फिर इस पूरे के पूरे इलाके की निरन्तरता में निगरानी कर पाना भी सम्भव नहीं हैं।

संता – फिर भी कुछ तो किया ही जा सकता हैं ?

बंता – एक बार पहाड़ी ढाल के अस्थिर हो जाने के बाद ज्यादातर स्थितियों में एक ही स्थान पर बार – बार भू-स्खलन होता हैं ऐसे में कम से कम उस क्षेत्र में रहने वाले लोगो को तो पता होता ही हैं कि कहाँ भू-स्खलन हो सकता हैं और कहाँ नहीं।

संता – इससे तो यही लगता हैं कि ज्यादातर नुकसान क्षेत्र में काफी समय के बाद भू-स्खलन होने की स्थिति में होता हैं।

बंता – बिलकुल सही कहाँ तुमने। काफी समय से भू-स्खलन न होने के कारण लोग सुरक्षा के प्रति आश्वस्त या फिर भू-स्खलन के प्रति लापरवाह जो हो जाते हैं।

संता – ठीक वैसे ही जैसे हम सभी भूकम्प के प्रति लापरवाह हो गये हैं ?

बंता – इसी कारण तो Active भू-स्खलनो की अपेक्षा Dormant व Reactivated भू-स्खलनो के कारण अपेक्षाकृत अधिक नुकसान होता हैं और इन भू-स्खलनो की निरन्तरता में निगरानी कर पाना अत्यन्त कठिन हैं। यही भू-स्खलनो की चेतावनी ना दे पाने का व्यावहारिक कारण हैं।

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