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एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की मई 2023 की उत्तराखंड उदास रिपोर्ट

जोशीमठ भूकंप की आशंका, टिफिन टॉप में दरारें और तुंगनाथ मंदिर में झुकाव

–uttarakhandhimalaya.in–

देहरादून,9 जून। देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम मे एसडीसी ने अपनी अब तक की आठवीं और इस वर्ष की पांचवीं, मई 2023 की रिपोर्ट जारी की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है।

यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संग्रहित करने का प्रयास है। रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।

*मई 2023 उदास की रिपोर्ट*

उदास की मई 2023 की रिपोर्ट के अनुसार मई महीने में राज्य में प्राकृतिक आपदा अथवा रोड एक्सीडेंट की कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है। हालांकि इस महीने जोशीमठ भूधंसाव को लेकर एक नई रिसर्च सामने आई है। दून यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्राफेसर विपिन कुमार की इस रिसर्च के अनुसार यदि निकट भविष्य में चमोली और उत्तरकाशी जैसा भूकंप आता है तो भूधंसाव से प्रभावित जोशीमठ में जमीन 20 से 21 मीटर तक खिसक सकती है। उदास की रिपोर्ट में इस बार तुंगनाथ मंदिर में 6 से 10 डिग्री तक झुकने और नैनीताल के टिफिन टॉप टूरिस्ट प्लेस में दरारें बढ़ने से उसे टूरिस्ट के लिए बंद किये जाने की खबरों को प्रमुखता दी गई है।

*21 मीटर धंस सकता है जोशीमठ*

उदास की रिपोर्ट में दून यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विपिन कुमार की हाल में की गई रिसर्च के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस रिसर्च के अनुसार जोशीमठ बेहद संवेदनशील स्थिति में है। यदि 1991 में उत्तरकाशी या 1999 में चमोली में आये 6 तीव्रता तक का भूकंप आता है तो जोशीमठ की जमीन 20 से 21 मीटर तक खिसक सकती है। विपिन कुमार के अनुसार यह रिसर्च जोशीमठ में भू धसाव की गणना वर्षा, सीवेज और भूकंप के आधार पर की गई है। जोशीमठ मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) में स्थित है। यहां भूकंप की उच्च संभावना है। रिपोर्ट में जोशीमठ में भूधंसाव के बाद की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया है। अप्रैल के अंत तक 132 परिवार अपने घरों को छोड़ चुके थे। रिपोर्ट में 11 मई को जोशीमठ संघर्ष समिति की ओर से मशाल जुलूस निकाले जाने और भूधंसाव के बाद से बंद किया गया हेलंग बाईपास निर्माण को फिर से शुरू किये जाने की खबर को भी जगह दी गई है।

*टिफिन टॉप में दरारें*

नैनीताल के एक प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशन में दरारें आने के बाद इसे टूरिस्ट के लिए बंद किये जाने की घटना को उदास की रिपोर्ट में प्रमुखता दी गई है। टिफिन टॉप 2,290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और नैनीताल आने वाले टूरिस्ट की पसंदीदा डेस्टिनेशन है। यहां से हिमालय का विहंगम दृश्य नजर आता है। रिपोर्ट कहती है कि नैनीताल भूस्खलन की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। 1880 में हुए एक बड़े भूकंप में यहां 151 लोग मारे गए थे। हाल के वर्षों में नैनीताल में भूस्खलन की घटनाओं में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

*तुंगनाथ मंदिर में झुकाव*

उदास की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के मंदिर में 6-10 डिग्री झुकाव आने की खबर का भी जिक्र किया गया है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक अध्ययन में पाया है कि रुद्रप्रयाग जिले में 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर में लगभग 5 से 6 डिग्री झुकाव आया है। मंदिर परिसर में स्थित छोटी संरचनाओं में तो यह झुकाव 10 डिग्री तक दर्ज किया गया है। एएसआई के अधिकारियों के अनुसार केंद्र सरकार को इस बारे में अवगत करा दिया है।

*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*

अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

*आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल*

उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।

ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है। हाल ही में ओडिशा में 2 जून की बालासोर ट्रेन दुर्घटना मे भी ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स ने फर्स्ट रिस्पांडर की भूमिका में बेहतरीन कार्य कर कई लोगों की जान बचाने का काम किया।

 

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