एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की अप्रैल 2023 की उत्तराखंड उदास रिपोर्ट
*बड़ी आपदा नहीं, लेकिन कई जगहों से भूधंसाव की खबरें*
–uttarakhand himalaya.in —
देहरादून, 15 मई। देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम मे एसडीसी ने अपनी अब तक की सातवीं और इस वर्ष की चौथी, अप्रैल 2023 की रिपोर्ट जारी की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है। यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संग्रहित करने का प्रयास है। रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।
*अप्रैल 2023 उदास की रिपोर्ट*
उदास की अप्रैल 2023 की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष के चौथे महीने में भी राज्य में कोई बड़ी आपदा या दुर्घटना नहीं हुई। हालांकि जोशीमठ में भूधंसाव की कुछ नई खबरें आई। इसके अलावा जोशीमठ भूधंसाव को लेकर कई अन्य खबरें में इस महीने सुर्खियों में रही। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और जोशीमठ मे भूधंसाव के कारण प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए 2,942 करोड रुपये देने का आग्रह किया। 4 अप्रैल को जोशीमठ आपदा के प्रभावितों ने तय किया कि बद्रीनाथ के कपाट खुलने के दिन, यानी 27 अप्रैल 2023 को जोशीमठ में चक्का जाम किया जाएगा। हालांकि, बाद में यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया। 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ का दौरा किया। उन्होंने कहा कि वहां पर स्थिति स्थिर है। लेकिन, कुछ लोग नकारात्मक प्रचार कर रहे हैं।
*500 करोड़ नुकसान का दावा*
एनटीपीसी ने दावा किया कि जोशीमठ में 98 दिनों से उनका काम बंद होने के कारण 500 करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। 19 अप्रैल को स्थानीय लोगों ने दावा किया कि कुछ और घरों में दरारें आई हैं। इस बारे में लोगों ने प्रशासन को भी सूचित किया। राज्य सरकार ने घोषणा की कि आपदा पर नजर रखने के लिए जोशीमठ में डिजास्टर कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।
*अन्य घटनाएं*
जोशीमठ के अलावा अप्रैल में चमोली जिले के हरसारी , बागेश्वर के कांडा और पिथौरागढ़ जिले के सिरसोलीपट्टी-बनकोट गांव में भी भूधंसाव की खबरें सामने आई। उदास की रिपोर्ट के अनुसार बागेश्वर जिले के कांडा गांव स्थित कालिका मंदिर में दरारें आई। स्थानीय लोगों का कहना था कि बजरी और पत्थर निकालने के लिए जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे यह दरारें आई हैं। पिथौरागढ़ जिले के सिरसोलीपट्टी- बनकोट गांव में 50 घरों में दरारों की रिपोर्ट आई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह बात भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में सामने आई। चमोली जिले के हरसारी गांव में भी कई घरों में दरारें आने की रिपोर्ट अप्रैल 2023 में मीडिया में आई। यहाँ के लोगों का मानना है कि 444 मेगावाट की पीपलकोटी-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के कारण घरों में दरारें आ रही हैं।
*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*
अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
*आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल*
उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है।