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ओपीनियन/अभिमत : धर्मनिरपेक्ष बनाम पंथनिरपेक्ष

 

– त्रिलोचन भट्ट

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में संविधान और संवैधानिक मूल्यों पर आयोजित कार्यक्रम में मैंने अपनी बात रखते हुए ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द का इस्तेमाल किया।

कार्यक्रम के बाद एक छात्रा ने मुझसे कहा कि मैंने धर्मनिरपेक्ष शब्द गलत कहा। यह शब्द ‘पंथनिरपेक्ष’ है।

छात्र की बात बिल्कुल दुरुस्त है। संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित शब्द धर्मनिरपेक्ष अथवा पंथनिरपेक्ष को लेकर भारी असमंजस की स्थिति है। पंथनिरपेक्ष शब्द के समर्थक कहते हैं की धर्म का अर्थ नैतिकता है और पंथ का अर्थ संप्रदाय, इसलिए संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द गलत और पंथनिरपेक्ष शब्द सही है।

लेकिन यह तर्क मेरे गले नहीं उतरता। संविधान के मौलिक अधिकारों में हमें ‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार’ दिया गया है न कि पंथ स्वतंत्रता का। यदि यहां धर्म का अर्थ नैतिकता है तो मुझे संविधान की उद्देशिका में पंथ निरपेक्ष शब्द से कोई एतराज नहीं है। लेकिन, यहां अर्थात मौलिक अधिकारों में धर्म का अर्थ संप्रदाय है तो संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष नहीं, धर्मनिरपेक्ष शब्द उचित जान पड़ता है।

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