पौड़ी के रिखणीखाल क्षेत्र में थम नहीं रहा बाघों का आतंक
–रिखणीखाल से प्रभुपाल रावत की रिपोर्ट-–
पौड़ी जिले के रिखणीखाल प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों में बाघ का आतंक बदस्तूर जारी रहने के कारण जनजीवन सामान्य नहीं हो पा रहा है। पहाड़ों में टाइगर नहीं होते हैँ और लोग गुलदार को ही बाघ कहते हैँ। ये गुलदार जहाँ तहा मौत बन कर घूम रहे हैँ।
रिखणीखाल विकास खंड के ग्राम मरगाव पातल (सेरोगाढ)निवासी मनवर सिंह रावत उम्र 68 वर्ष पर नर-भक्षी बाघ ने अचानक घर के पास ही पीछे से हमला कर दिया। यह घटना विगत दिवस प्रातः 8:30 बजे की है। घायल व्यक्ति ने किसी तरह जान बचायी। जान बचाने में नजदीक पड़ीं बड़ी कुदाल काम आयी। घायल व्यक्ति ने कुदाल से ही दो चार चोट उल्टी तरफ से बाघ के सिर पर ठोकी, तभी जान बच पायी। मनवर सिंह काफी लम्बा चौड़ा व ताकतवर आदमी है,तभी जान बचाने में सफल हो गया।दोनों में काफी रोचक मुकाबला हुआ। बाघ ने उसके पांव पर गहरा जख्म कर दिया।
इस इलाके में बाघ का आतंक लगातार बना हुआ है,रोज कहीं न कहीं कोई घटना हो रही है।लेकिन सरकार मौन है।कुछ जगह वन विभाग की टीम तैनात है लेकिन वे सिर्फ बाघों की सुरक्षा के लिए है,न कि आम जन मानस की सुरक्षा के लिए है।दो माह बाद भी न बाघ पकड़े गये न मारे।सिर्फ लोगों का नुकसान हो रहा है।वे सिर्फ बाघ की चौकीदारी कर रहे हैं।
अब आम जन मानस करे तो क्या करे?सरकार का आम जन मानस को बचाने का कोई लक्ष्य व नीति नहीं है।अब गुहार लगायें तो कहाँ लगायें, इलाज कराये तो कहाँ करायें। नजदीक ऐसा कोई अस्पताल नहीं है।सिर्फ कोटद्वार, देहरादून, काशीपुर, दिल्ली ही सहारा है। अब तो चुनावी बिगुल भी बज चुका है कि कैसे जीतें।