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किसके संरक्षण में चल रहे अय्याशी और गैरकानूनी गतिविधियों के अड्डे ?

किसके संरक्षण में चल रहे अय्याशी और गैरकानूनी गतिविधियों के अड्डे ?

जयसिंह रावत

पहाड़ की बेटी अंकिता भण्डारी की एक सत्ताधारी दल के नेता की बिगड़ैल औलाद के रिसॉट में नृसंश हत्या के बाद प्रदेेश का जनमानस हतप्रभ है और हर कोई सवाल कर रहा है कि क्या उत्तराखण्ड के लोगों ने राज्य आन्दोलन में की लड़ाई कुछ अमीरजादों के इन रिसॉर्टाें के लिये लड़ी थी जहां न तो बहू बेटियां, न वन्य जीवन और ना ही सरकारी तथा निजी जमीनें सुरक्षित हैं। देखा जाय तो इन अय्याशी के अड्डों के कारण इस छोटे से राज्य की सरकारें भी सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि विधायकों की खरीद फरोख्त कर ऐसे ही रिसॉर्टों में बाड़े बनाकर रखा जाता है। ऐसे ही रिसॉटों में सत्ता पलट की साजिशें भी रची जाती हैं। एसे कथित आरामगाहों से उत्तराखंड की संस्कृति तार -तार हो रही है। रिजॉर्ट शुकून के लिए होते हैं, लेकिन उन्हें अय्याशी और गैरकानूनी गतिविधियों के अड्डे बनाया जा रहा है।  अंकिता की हत्या के खुलासे से जाहिर हो गया कि उत्तराखण्ड को ऐसे रिसॉर्टो  के जरिये थाइलैंड बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है। अंकिता हत्याकाण्ड में जिस तरह लड़की के रूम सहित तत्काल जीसीबी चला कर कुछ संवेदनशील हिस्सों को जेसीबी से तोड़ा गया उससे भी मामला संदिग्ध हो गया है। कुछ लोग भाजपा की यमकेश्वर की विधायक की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे हैं।

पवित्र नगरी ऋषिकेश के निकट सत्ताधारी दल के प्रमुख नेता की बिगड़ैल औलाद के वन्तरा रिसॉर्ट में पहाड़ की बेटी के उत्पीड़न और फिर हत्या की साजिश के खुलासे से पहले सरकारी नौकरियों के नकल माफिया हाकम सिंह का उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती मोरी ब्लाक के सांकरी स्थित रिसॉर्ट चर्चाओं में आ गया था। उसी रिसॉर्ट में हाकम सिंह बड़े-बड़े नामचीन और पहंुच वाले लोगों को औब्लाइज करता था और उनके साथ फोटो खिंचा कर अपना रुतवा बढ़ाता था। जिससे उसकी शासन प्रशासन में पैठ मजबूत होती गयी और वह सरकारी नौकरियों को बेच कर या दलाली कर करोड़ों रुपये कमाता रहा।

इन दोनों रिसॉटों में से एक में पहाड़ की बेटी की जान गयी और उसकी अस्मिता को लुटवाने का प्रयास किया गया और दूसरे रिसॉर्ट में प्रदेश के होनहार नौजवानों के हिस्से की सरकारी नौकरियों के अवसर पहले ही चुरा कर बेच दिये गये। कितनी हैरानी का विषय है कि दोनों मामलों में सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों की ही असली भूमिका सामने आई। पहले तो पहाड़ के युवाओं की नौकरियां चुरा ली जाती हैं और अंकिता जैसी गरीब बाप की 19 साल की बेटी जब अपने पैरों पर खड़ी होकर स्वावलम्बी बनना चाहती है तो न केवल उसके सपनों को रौंद दिया जाता है बल्कि मारपीट कर नहर में फेंक दिया जाता है, ताकि वह ऐसे रिसॉर्ट की गैरकानूनी गतिविधियों का पर्दाफाश न कर सके।

अंकिता की हत्या का ख्ुलासा होते ही और अभियुक्तों के गिरफ्तार होते ही जिस तत्परता से रिसॉर्ट को तोड़ने के लिये जेसीबी को मैदान में उतारा गया और लड़की के कमरे सहित इमारत के कुछ संवेदनशील हिस्सों पर आगजनी की गयी उससे कई मजबूत सबूत नष्ट हो गये हैं। जेसीबी से तोड़फोड़ करने के आदेश पर भी अब सवाल उठ रहा है। अगर जिला प्रशासन ने जेसीबी से तोड़फोड़ का आदेश नहीं दिया तो फिर किसके कहने से सबूतों के लिये महत्वपूर्ण हिस्सों को तोड़ा गया, यह सवाल गुत्थी बना हुआ है। यूकेडी सहित कुछ संगठनों ने इस दौरान भाजपा की यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट की भूमिका को भी संदिग्ध बता रहे हैं। जब सबूत ही नहीं होंगे तो किसे सजा दिलवावोगे? इस कार्यवाही पर विपक्षी दल ही नहीं बल्कि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने सवाल उठाये हैं और इन दो में से एक भाजपा के त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी हैं।

अंकिता हत्याकांड के बाद लगभग 3500 रिसॉर्ट और होटल संदेह के घेरे में आ गये हैं। राजाजी पार्क से लेकर बिन्सर वन्यजीव विहार और उससे भी आगे अमीरों के लिये बने इन कथित आरामगाहों की एक लम्बी श्रंृखला बनी हुयी है। इनमें से ज्यादातर गैरकानूनी ढंग से बने हुये पाये गये। अकेले नैनीताल जिले में ऐसे आधा दर्जन रिसॉर्ट मिले जिनका संचालन नियम विरुद्ध हो रहा है। किसी ने सरकारी जमीन कब्जाई हुयी है तो किसी ने वन्यजीव अधिनियम 1972 का उल्लंघन किया हुआ है। जो वन्तरा रिसॉर्ट अंकिता की हत्या के बाद चर्चा में आया है वह भी गैरकानूनी ढंग से बना हुआ मिला। नकल माफिया हाकम सिंह के रिसॉर्ट का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा वनभूमि को कब्जा कर बना हुआ पाया गया। अब तक की सरकारों ने इन गतिविधियों की ओर क्यों आंखें मूंदीं रखी, इसका स्वयं अन्दाजा लगाया जा सकता है। सरकारी जमीनें कब्जाने, वन्यजीव अधिनियम का उल्लंघन करने और तस्करी करने या कराने की शिकायतें उन रिसार्टों से मिल रही हैं जिन्हें पूरा संरक्षण मिलने के कारण कानून का भय नहीं रहा। हाकमसिंह और पुल्कित आर्य के रिसॉर्ट राजनीतिक और नौकरशाही के संरक्षण के जीते जागते उदाहरण हैं।

वन्तरा रिसॉर्ट का मालिक आज से नहीं बल्कि कई साल पहले से अपनी हरकतों के कारण चर्चित रहा। लेकिन कोई उसका क्या बिगाड़ता क्योंकि उसके पिता विनोद आर्य भाजपा के वरिष्ठ नेता थे जिनका पार्टी के अन्दर शक्तिशाली गुट से ताल्लुक था। इन्हीं ताल्लुकों के चलते उन्हें पिछली सरकार में राज्यमंत्री स्तर का पदधारी बनाया गया। विनोद आर्य और उनके बेटे अंकित आर्य को भाजपा से तब निकाला गया जब अंकिता हत्याकाण्ड में पुल्कित और उसके दो सहअभियुक्त मैनेजरों को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन 24 सितम्बर को पुल्कित के भाई अंकित आर्य को राज्यमंत्री स्तर के पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष पद से हटाया गया। लेकिन भाजपा के ही कुछ लोग हत्यारोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। विनोद आर्य भाजपा के एक शक्तिशाली नेता जो मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके, से करीबी संबंध जगजाहिर है।

राज्य गठन के बाद एक नहीं अनेक मामले युवतियों के शोषण के सामने आ चुके हैं। हैरानी का विषय यह है कि सभी में किसी न किसी तौर पर राजनीतिज्ञ या फिर नौकरशाह शामिल मिले हैं। सन् 2008 में नौकरी का झांसा देकर 12 वीं कक्षा की एक मजबूर छात्रा से रिजॉर्ट में गैंग रेप प्रकरण में पुलिस ने कांड के सूत्रधार भाजपा एनजीओ प्रकोष्ठ के महामंत्री अशोक कुमार, रिसॉर्ट प्रबंधक प्रवीन कुमार और तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें तत्कालीन सत्ताधरी दल से सम्बन्धित दो बलात्कारियों को 10 साल की सजा हुयी थी। सन् 2007 में नीलम शर्मा नाम की महिला की संदिग्ध मौत के तार भी हरिद्वार से ही जुड़े थे। सन् 2009 में अल्मोड़ा की गीता खोलिया द्वारा पीलीभीत में कथित आत्महत्या का राज कभी नहीं खुला। वर्ष 2013 नवंबर के नवम्बर माह में देहरादून के नारी निकेतन में एक मूक-बधिर संवासिनी के साथ दुष्कर्म और उसका गर्भपात के मामले ने सारी मानवता को ही शर्मसार कर दिया था। मई 2014 में देहरादून के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सहस्रधारा में हरियाणा पानीपत के पूर्व सांसद किशनसिंह सागवान के बेटे के रिसॉर्ट में भी एक लड़की ने मालिक पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। सन् 2018 में संजय कुमार नाम के बाहरी नेता पर भी उसी की पार्टी के एक नेता की बेटी ने यौनशोषण का आरोप लगाया था। मगर उस लड़की की मदद के लिये न तो सरकार और ना ही पुलिस आगे आयी।

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