पहाड़ों में शादियों के मौसम में बेमौसमी बरसात की खलल
–रिखणीखाल ( नावेतल्ली) से प्रभूपाल —
एक ओर झमाझम बारिश दूसरी ओर शादी-ब्याह का भोजन पकाने की असुविधा दिखाई दे रही है।इन चार दिनों में बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया,जैसे की दिखाई दे रहा है कि खुले मैदान में पन्नी डालकर गढवाली ब्यंजन व भोजन बनाने की तैयारी चल रही है।ये भोजन रात्रिभोज के लिए परोसा जायेगा।किसी चूल्हे में भात,दाल,शिकार,भुटवा,कलेजी,कचमोली,सब्जी,चाय आदि बन रही है।भोजन लकड़ियों में पकाया जा रहा है जो कि अत्यधिक पौष्टिक व स्वादिष्ट होता है।भोजन गाँव के ही लोग पका रहे हैं।जैसा कि दिखाई दे रहा है कि पतीले में शिकार खौल रहा है तथा स्नैक्स के लिए कचमोली,कलेजी ,भुटवा,पकौड़ी आदि तैयार हो रही है।
झमाझम बारिश का दृश्य भी देखने लायक है।भोजन पकाने ,आने जाने की परेशानी तो है लेकिन इसका मजा भी कुछ और है।ऐसा भी कभी कभी देखने को मिलता है।
दूसरी तरफ वेदी पूजन की तैयारी चल रही है।पंडित जी वर वधू को वेदी की परिक्रमा व मंत्र पढ रहे हैं। एक छोर पर कुछ नवयुवक गढ़वाली बैंड बाजों के साथ गढ़वाली धुन पर नाच गाना कर रहे हैं।सब अपने रंगत में हैं।
वाहनों का जमावड़ा भी लगा है।गाँव का विहंगम दृश्य भी देखने लायक है।बारिश की वजह से हर कार्य में व्यवधान व विलम्ब हो रहा है।लडकों का समूह अपनी ही मस्ती में है।वे शोरगुल कर रहे हैं।वेदी में महिलाओं द्वारा मांगलिक गीत गाये जा रहे हैं।चारों ओर कोहरा आच्छादित है।
ऐसा भी कभी कभी देखने को मिलता है कि मूसलाधार बारिश में भी शादी-ब्याह सम्पन्न हो रहा है।क्योंकि शादी का दिन व समय नियत होता है।ये बेमौसम की बरसात की शादी भी स्मरणीय रहेगी।