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असमय बारिश ने बढ़ा दी कास्तकारों की चिंता ; गेंहू की फसल को नुक्सान की आशंका

 

गौचर, 4 मार्च (गुसाईं) । क्षेत्र में हो रही असमय बारिश ने कास्तकारों की चिंताएं बढ़ा दी है। उन्हें इस बात की चिंता शताने लगी है कि आगे भी मौसम का यही हाल रहा तो उनकी गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंच सकता है।


पिछले साल से मौसम में हो रहे बदलाव ने कास्तकारों के सामने कई मुसीबतें खड़ी कर दी है। अमूमन जाड़ों का सीजन नवंबर माह से शुरू हो जाता है। जाड़ों का सीजन शुरू होते ही जहां ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी होती तो निचले इलाकों में बारिश होने से जहां कास्तकार ऊसर खेतों के जुताई में जुट जाते थे। जिन खेतों में फसलों की बुवाई हो जाती थी। बारिश उनके लिए वरदान साबित होती थी। लेकिन मौसम में आए बदलाव की वजह से पिछले साल से जहां ऊंचाई वाले इलाके बर्फ़ के लिए तरह रहे हैं वहीं निचले इलाकों में बारिश न होने की वजह से कास्तकारी पर विपरीत असर पड़ता नजर आ रहा।

मार्च के महीने में गेहूं की फसल में परागीकरण का समय होता है। अप्रैल माह के आखिरी दिनों में गेहूं की कटाई का काम शुरू हो जाता है। लेकिन असमय हो रही बारिश ने कास्तकारों की चिंताएं बढ़ा दी है। उन्हें इस बाकी चिंता शताने लगी है कि समय रहते मौसम का मिजाज नहीं सुधरा तो उन्हें नुक़सान उठाना पड़ सकता है।

कास्तकारों का कहना है कि इन दिनों गेहूं की फसल में फ्लावरिंग व परागीकरण का समय है बारिश से गेहूं की बाली पर आए फूलों के झड़ने का खतरा बना हुआ है। इससे दानें का आकार छोटा होने से नुक़सान होने की संभावना बनी रहती है।

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