माँ के दम पर हम दुनिया को श्रेष्ठ बना सकते हैं: राज्यपाल कोश्यारी
भारतीय महिला: सत्य आधारित दृष्टिकोण पर अन्तरतरष्ट्रीय सम्मेलन का समापन
–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –
देहरादून, 26 नवंबर। दून विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अन्तरतरष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भारतीय सभ्यता में महिला की भूमिका पर कई सारगर्भित बातें कहीं । अपने विस्तृत व्याख्यान का सार देते हुए उन्होंने कहा कि एक अच्छी माँ के दम पर ही हम श्रेष्ठ बन सकते हैं और दुनिया को भी श्रेष्ठ बना सकते हैं।
माता भूमि’:, पुत्रो अहं पृथिव्या:।त अर्थात भूमि मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूं… अथर्ववेद के इस श्लोक से बात शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि हम अन्न देने वाली धरती को माँ और माँ को धारिणी कहते थे। अतीत में हम श्रेष्ठ थे तो इसलिए कि तब माताएं विदुषी होती थी।
कोश्यारी ने कहा कि बीच के कालखंड में हमने बहुत खोया। 14 वीं सदी की भाषा अंग्रेजी और उसे बोलने वाले श्रेष्ठ हो गए। आज फिर स्थितियां बदल रही है विदेशी राजनयिक भी कह रहे हैं कि भारत विश्व नेता बन रहा है। विद्यालयों में छात्राओं का श्रेष्ठता प्रतिशत संकेत दे रहा है।
कोश्यारी ने कहा कि आज मैं मलाल करता हूँ कि काश मेरी माँ और दीदी पढ़ी लिखी होती। अगर समाज में महिला ज्ञानवान है तो समाज खुशहाल है।
उन्होंने कहा कि कोई अपराध होता है तो हम कहते कि इसकी माँ ने इसे अच्छे संस्कार दिए होते तो ये न होता। इस तरह एक संस्कारी माँ ही सभ्य और सफल समाज की कुंजी है। वैदिक मंत्रों और गीता के श्लोकों के हवाले से उन्होंने भारतीय महिलाओं के सत्य आधारित दृष्टिकोण को कई तरह से सामने रखा।
इससे पूर्व राष्ट्रसेविका समिति की प्रमुख कार्यवाह सुश्री सीता गायत्री ने बताया कि भरतीय समाज में स्त्री के स्थान और योग्यता पर संदेह करने वालों को यह समझना चाहिये के इस समाज का आधार बहुत मज़बूत है और क्षमताऐं अपार। 75000 महिलाओं पर हुए सर्वे मेँ यह बात भी सामने आयी कि उनका हैप्पीनेस इंडेक्स 63 है। यानी यहां 100 में 63 महिलाएं खुश है। इस मामले में दुनिया बहुत पीछे है।
अंत में संवर्धिनी व्यास की मेधा जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस आयोजन में गोंडवाना विद्यापीठ के कुलपति डा. प्रशांत श्री बोकारे, और सोलापुर विद्यापीठ की डा. मृणालिनी फणनवीस, डा. शरद रेनू शर्मा, डा. अलका इनामदार और प्रो संतोष, वेदनंदा सेंटर फॉर इंटरनेशनल एंड कॉपरेटिव लॉ यूनिवर्सिटी ऑफ डेनवर स्टर्म के प्रो वेदनंदा, डा सुचिता परांजपे, रेनू सिंह,प्रो मधु सिंह और सुश्री चित्रा सिंह आदि के वक्तव्य प्रेरक रहे।