उत्तराखण्ड में भूमाफियाओं का दबदबा क्यों ?

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-अनंत आकाश –

आये दिन समाचार पत्रों , सोशल मीडिया तथा सरकार एवं प्रशासन के वक्तव्य सुर्खियों में रहते हैं कि भूमाफियाओं के खिलाफ शक्ति की जाऐगी । किन्तु भूमाफियाओं पर अंकुश लगाने के बजाय उसका ही शिंकजा दिनो दिन राज्य में कसता जा रहा है । राजनीति में उसकी दखलंदाजी आज शीर्ष पर है ।

आज.उसके कालेधन पर दोनों प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा एवं कांग्रेस निर्भर है । यूं कहें कि राज्य के कई मन्त्री एव पूर्व मन्त्री एवं विधायक इन्हीं के धन से फल फूल रहे हैं । जो लोग कल गली कूंचों में फांके मारते थे तथा असमाजिक गतिविधियों में लिफ्त थे ,आज वे राज्य के खैवनहार बने बैठे हैं ।यहाँ तक कि आज राज्य के मुखिया का भी निर्धारण दिल्ली की मन पसन्द पर ही निर्भर है ।हमारे राज्य में केन्द्रीय नेताओं की अकुत सम्पत्ति है जो कि उनके वास्तविक चरित्र को ही दर्शाता है । ऐसा क्यूँ होता है कि चुनाव जीतने का नारा ,जनता एवं राज्य का चहुंमुखी विकास होता है ,चुनाव जीतने के बाद होता है नेताओं का विकास !

आज नदी नालों ,मैदान ,जंगल पहाड, नदी तट सभी जगह माफियाओं का कब्जा है । इस अवैध कब्जे में सत्ताधारी दलों एवं भ्रष्ट नौकरशाहों का बरदहस्त उन्हे प्राप्त है । जरा दूनघाटी ही देखिये नदी ,नालों ,पहाड़ियों को पाटकर भीमकाय भवनों की निर्माण में वे कौन लोग हैं ? वह या तो सत्ता से जुड़ा नेता है ,या फिर किसी भ्रष्ट नौकरशाह का आदमी है । गरीब लोगों की बस्तियों में आये दिन प्रशासनिक कार्यवाहियां देखी जा सकती हैं ।

हाल ही में उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड द्वाराअतिक्रमण/भूमि पर कब्जों के हटाने के आदेश पारित किया है किन्तु अकेले देहरादून में ही सरकारी मशीनरी ने सीधे बेदखली के नोटिस ग्राम समाज ,भूमि तथा मलिन बस्तियों में बसे लोगों को ही दिये है ,या फिर इस आढ़ में अपनी रोजी रोटी के लिये महानगरों एवं उपनगरों में फुटपाथ पर बैठे गरीब लोगों का ही उत्पीड़न होता रहा है । सदैव की तरह बड़े भूमाफियाओं को छेड़ने की हिम्मत नहीं हुई है हैं ,न्मीडिया की स्थिति मी इस सन्दर्भ में गुमराह करने से ज्यादा नहीं रही है ।

सरकार की ये सभी कार्यवाहियां यायालय को दिखाने के लिये तथा कागजी खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं है । आज अकेले देहरादून में ही रिस्पना ,विन्दाल के किनारे एवं प्रत्येक चौक चौराहे पर भीमकाय शापिंग माल ,बहुमंजिली इमारतें किसके हैं ? जो लगभग या तो अवैध हैं या फिर फर्जीवाड़े से बनी हुई है ,ये किसी मन्त्री या फिर सत्ताधारी दल के नेता की या फिर किसी भ्रष्ठ नौकरशाहों की है ।
इसलिए भूमाफियाओं ,भ्रष्ट राजनेताओं एवं भ्रष्ट नौकरशाहों की संलिप्तता से लेकर कारपोरेट एवं उनकी नीतियों को पालने पोषने वालों के खिलाफ व्यापक संघर्ष चलाने की आवश्यकता है ।यही एकमात्र रास्ता है ।

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