एल्युमिनाई टीएमयू की असली धरोहर: वीसी
एल्युमिनाई रिलेशन्स सेल- एआरसी की ओर से पुरातन छात्र कनेक्ट प्रोग्राम के तहत जर्मनी के दो छात्रों का ऑनलाइन सार्थक संवाद
ख़ास बातें
- जर्मनी के पुरातन छात्रों ने साझा किए अनुभव
- जर्मनी में स्टूडेंट्स कैसे पाएं जॉब, दिए टिप्स
- पुरातन छात्र मूल्यवान राजदूत: डॉ. आदित्य शर्मा
- पूर्व छात्र प्रतिबिम्ब की मानिंद: प्रो. मंजुला जैन
- एल्युमिनाई आशाओं का अभिन्न अंग: प्रो. निखिल रस्तोगी
–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने कहा, पुरातन छात्र ही यूनिवर्सिटी की असली धरोहर है। किसी यूनिवर्सिटी की तरक्की का आधार एल्युमिनाई स्टुडेंट्स ही हैं। उन्होंने कहा, यदि आपको अपने करियर में आगे बढ़ना है तो अपने कंफर्ट ज़ोन से बाहर आना होगा। वैश्विक बाजार में आपके जॉब की खातिर तमाम सम्भावनाएँ हैं, लेकिन घर पर ही रहकर सब कुछ हासिल हो जाए, आपको ऐसा माइंडसेट बदलना होगा। प्रो. सिंह एल्युमिनाई रिलेशन्स सेल- एआरसी की ओर से ऑनलाइन पुरातन छात्र कनेक्ट प्रोग्राम में बोल रहे थे। इससे पूर्व पुरातन छात्रों का स्वागत करते हुए एल्युमिनाई रिलेशन्स सेल- एआरसी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार प्रो. निखिल रस्तोगी ने दोनों मेधावी पूर्व छात्रों का परिचय कराया। प्रो. रस्तोगी ने कहा, पुरातन छात्र सदा टीएमयू की वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य की आशाओं का एक अभिन्न अंग हैं। उल्लेखनीय है, श्री राजीव मिश्रा जर्मनी की कंपनी बीयरिंगपाइंट में टेक्नोलॉजी आर्किटेक्ट औऱ श्रीमती निशा वर्मा जर्मनी की ही इनफ़ोसिस में बतौर टेक्नोलॉजी एनालिस्ट अनमोल सेवाएं दे रहे हैं।
कुलसचिव डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, पुरातन छात्र हमारे मूल्यवान राजदूत हैं। हमें इनसे निरंतर जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। पुरातन छात्रों से यह भी आग्रह किया कि जब भी वे भारत आएं, तो अपने पूर्व शिक्षण संस्थान टीएमयू में आने के लिए कुछ समय ज़रूर निकालें, जिसे पुरातन छात्रों ने सहर्ष ने स्वीकार कर लिया। एसोसिएट डीन- अकेडमिक प्रो. मंजुला जैन ने कहा, किसी संस्थान के पूर्व छात्र ही इसके प्रतिबिम्ब होते हैं। उन्होंने पुरातन छात्र कनेक्ट प्रोग्राम को एल्युमिनाई औऱ स्टुडेंट्स के बीच ब्रिज की संज्ञा दी। जर्मनी में तैनात तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के पुरातन छात्रों- श्री राजीव मिश्रा और श्रीमती निशा वर्मा ने खुद को तैयार करने के गुण छात्रों को बताए। उन्होंने बताया, किस प्रकार से आज के दौर में डिजिटल विशेषज्ञ बन सकते हैं? उन्होंने वर्तमान कॉर्पोरेट कार्यप्रणाली पर भी प्रकाश डाला। पुरातन छात्रों ने प्रतिस्पर्धा वाले तनाव के माहौल में खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए तौर-तरीके पर मार्गदर्शन किया। साथ ही उन्होंने शिक्षा और कॉर्पोरेट क्षेत्र में मूल्यों औऱ सिद्धातों क़ी उपयोगिता बताई।
उन्होंने अपने पुराने दिनों की स्मृतियाँ साझा करते हुए टीएमयू से जर्मनी तक के सफर के विभिन्न पड़ाव पर भी प्रकाश डाला। जर्मनी में नौकरी कैसे मिलती है? जर्मनी में जॉब के क्या-क्या फ़ायदे हैं? इस पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया, किस प्रकार से शिक्षा, अनुशासन औऱ सुविधाओं के मेल से आज वे सफलता-दर-सफलता छू रहे हैं। अंत में उन्होंने अपने सभी शिक्षकों और विद्वानजनों का ह्रदय से आभार प्रकट किया। मेहमान छात्रों से यूनिवर्सिटी के स्टुडेंट्स- राहुल यादव, हमज़ा खान, अमीषा भारद्वाज, मोहित चौधरी और विपुल ने सवाल भी पूछे। पुरातन छात्र कनेक्ट कार्यक्रम के अंत में यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार- एआरसी, प्रो. रस्तोगी ने दोनों पूर्व छात्रों का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, भविष्य में टीएमयू में इस तरह के कार्यक्रम होते रहेंगे। ऐसे कार्यक्रमों से छात्र अपने लक्ष्य सहजता से अचीव कर लेते हैं।