धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रा

इस साल बदरीनाथ यात्रा का बनेगा नया रिकॉर्ड

  • तीर्थयात्रियों को हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराने के हो रहे प्रयास
  • दर्शन पूजन से लेकर बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क पर प्रशासन दे रहा विशेष ध्यान

 

 

-गोपेश्वर से महिपाल गुसाईं –

भारत के भाल हिमालयी प्रदेश उत्तराखंड, जिसे देवभूमि या देवताओं की भूमि के रूप में अभिहित किया जाता है। यह धरती कई मंदिरों का घर है और पूरे वर्षभर यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है यानी यहां अतिथि देवोभव की भावना के साथ श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है।

उत्तराखंड में वैसे तो पग पग पर अनगिनत धार्मिक स्थल हैं किंतु प्रमुख रूप से तीर्थाटन के सर्किटों में से एक सबसे प्रमुख है चार धाम यात्रा। यह तीर्थयात्रा उत्तराखंड के चार पवित्र स्थलों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – की यात्रा है जो हिमालय में ऊंचाई पर बसे तीर्थ हैं। हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित ये मंदिर हर साल सर्दियों में करीब छह महीने के लिए बंद रहते हैं, जो गर्मियों (अप्रैल या मई) में खुलते हैं और सर्दियों (अक्टूबर या नवंबर) की शुरुआत के साथ बंद हो जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा को घड़ी की सुई की दिशा में पूरा करना चाहिए। इसलिए, तीर्थयात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, गंगोत्री की ओर बढ़ती है, केदारनाथ पर जाती है और अंत में भू वैकुंठ धाम बदरीनाथ में संपन्न होती है। यात्रा सड़क या हवाई मार्ग से पूरी की जा सकती है। कुछ श्रद्धालु दो धाम यात्रा या दो तीर्थस्थलों – केदारनाथ और बदरीनाथ की तीर्थयात्रा भी करते हैं जबकि कतिपय लोग अत्यंत सुगम बन चुके बदरीनाथ की यात्रा कर ही जीवन को धन्य कर लेते हैं।

सौभाग्य से बदरीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और इस कारण तीर्थाटन के लिहाज से चमोली जिले का विशेष महत्व भी है। भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन पूजा पांडुकेश्वर में होती है, और शंकराचार्य की गद्दी की पूजा जोशीमठ में होती है, इस कारण इन दोनों का अत्यंत धार्मिक महत्व है। एक संयोग यह भी है कि पुराणों में पंच बदरी का उल्लेख हुआ है, वह सभी तीर्थ चमोली जिले में ही हैं। आदि बदरी, बदरी विशाल, योग ध्यान बदरी, भविष्य बदरी और वृद्ध बदरी सारे तीर्थ इसी जिले में हैं और पंच केदार में से दो केदार रुद्रनाथ और कल्पनाथ भी इसी जिले में हैं। इस दृष्टि से चमोली जिले का विशेष धार्मिक महत्व है।

इस वर्ष विगत 12 मई को बदरी विशाल धाम के कपाट खुले थे। तब से लाखों लोग इस तीर्थ में दर्शन पूजन कर अपने जीवन को धन्य कर चुके हैं। बदरी विशाल से चार किमी की दूरी पर माणा गांव है। उसे अतीत में भारत का अंतिम गांव माना जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद से उसे अब भारत का पहला गांव कहा जाने लगा है। उसके बाद से माणा गांव में तेजी से पर्यटन गतिविधियां बढ़ी हैं और आर्थिकी का पहिया तेजी से घूमने लगा है।

इस वर्ष जब तीर्थ के कपाट खुले तो उस समय मैदानी क्षेत्रों में भीषण गर्मी का दौर था। इस कारण पिछले सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ आया। तीर्थ क्षेत्र में जितनी सुविधाएं उपलब्ध थी, वह कम पड़ने लगी और एक तरह से अव्यवस्था की सी स्थिति उत्पन्न हो गई। देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के बीच ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कमान संभाली तो व्यवस्थाएं पटरी पर लौटी। इसी बीच हेमकुंड साहिब के कपाट भी खुले और फूलों की घाटी भी पर्यटकों के लिए खोल दी गई। मुख्यमंत्री द्वारा यात्रा के प्रवेश बिंदु हरिद्वार और ऋषिकेश में ही ऑफलाइन पंजीकरण सुविधा को दुरुस्त करने के बाद यात्रा व्यवस्थित हो गई है।

चमोली के जिला पर्यटन अधिकारी बिजेंद्र पांडे इस बात की पुष्टि करते बताते हैं कि हरिद्वार में ऑफलाइन पंजीकरण फिर से शुरू होने से श्री बदरीनाथ धाम में यात्रियों की संख्या में फिर से बढ़ोत्तरी हुई है। प्रचार प्रसार व अन्य माध्यम से श्रद्धालुओं को अपने स्लॉट के अनुसार ही दर्शन हेतु जागरूक किया जा रहा है जिससे भीड़ प्रबंधन में सुविधा हो रही है।

जोशीमठ के एसडीएम पर बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी का सारा दारोमदार रहता आया है। एसडीएम चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि यात्रा की शुरुआत में बिजली पानी की कुछ दिक्कतें सामने आई थी। प्रशासन ने तत्परता से इन समस्याओं का समाधान किया। आज रोजाना औसतन 18 से 20 हजार श्रद्धालु धाम में पहुंच रहे हैं और मंदिर समिति के साथ सामंजस्य बनाते हुए सभी के दर्शन पूजन को सुनिश्चित करने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। श्री वशिष्ठ ने बताया कि यात्रा सुचारू रूप से व्यवस्थित है और श्रद्धालुओं को हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन दृढसंकल्पित है।

चमोली के पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार ने कहा कि तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए पुलिस फोर्स पूरे मनोयोग से जुटी है और हमारा प्रयास है कि देवभूमि में आ रहे श्रद्धालु यहां की सुखद यादें लेकर जाएं।

कुल मिलाकर चमोली जिले में यात्रा व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है। श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुविधा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है और उन्हें समुचित सुविधाएं प्रदान करने के लिए हर स्तर पर प्रशासन जुटा हुआ है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अनुमान है कि इस बार बदरीनाथ, हेमकुंड और फूलों की घाटी आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या का नया रिकॉर्ड बनेगा।

मुख्यमंत्री खुद कर रहे मॉनिटरिंग

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यात्रा व्यवस्थाओं की खुद निगरानी कर रहे हैं। तीर्थस्थानों में सुविधाओं की कमी की शिकायतें मिलने के बाद उन्होंने न सिर्फ स्थलीय निरीक्षण किया, बल्कि अधिकारियों को श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित भी किया। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद भीड़ प्रबंधन से लेकर बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित कर दिया गया है। प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि कोई भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन से वंचित न रहे। पुलिस के जवान भी पूरी मुस्तैदी से श्रद्धालुओं की सहायता कर मित्र पुलिस के सूत्र वाक्य को सार्थक करते दिख रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा सीधे मॉनिटरिंग किए जाने का नतीजा यह हुआ है कि विभागों के बीच निरंतर समन्वय बना हुआ है।

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