अशोक चक्र विजेता भवानी दत्त जोशी की याद में शहीद मेला 6 से ; पूर्व सैनिकों में भारी उत्साह
–-हरेंद्र बिष्ट/महिपाल गुसाईं–
थराली/चमोली, 4 जून। गत 14 वर्षों के लंबे समयांतराल बाद एक बार फिर से इस राज्य के प्रथम शांतिकालीन अशोक चक्र विजेता (मरणोपरांत) शहीद भवानी दत्त जोशी की स्मृति में आगामी 6 से 8 जून तक शहीद मेले का आयोजन शुरू होने को हैं।जिसे लेकर गढ़वाल की पिंडर घाटी में ही नही कमाऊं की कत्यूर घाटी में भी पूर्व सैनिकों, सेना में कार्यरत सैनिकों एवं उनके परिजनों में खाशा उत्साह देखा जा रहा है। आखिर देश के महत्वपूर्ण राज्य पंजाब से आतंकवाद का खात्मा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शहीद की स्मृति में लगने वाले इस मेले में सिरकत करना वास्तव में फ़क्र की बात है।
दरअसल शहीद जोशी को यूं ही शांतिकालीन अशोक चक्र से नही नवाजा गया है। जिस तरह से उन्होंने देश की अखंडता, अक्षुणता को बनाएं रखने के लिए हंसते हुए अपने प्राणों की बाजी लगाई वह अपने आप में जानकर देश के लिए मौत को गले लगाना ही था।
बात उस दौर की है, जब 1984 में पंजाब में आतंकवाद चरम पर था, आतंकवादियों ने अमृतशहर के मे एक महत्वपूर्ण बिल्डिंग पर कब्जा जमा लिया था। उसे खाली कराने के लिए एवं पंजाब को आतंकवाद से मुक्त करवाने के लिए भारत सरकार ने अॉप्रेसन ब्लू स्टार की घोषणा की थी। महत्वपूर्ण बिल्डिंग को आतंकवादियों से खाली कराने की जिम्मेदारी सेना के नायक जोशी की सातवीं एवं नौवीं प्लाटून को सौंपा। जब प्लाटून उस कांप्लेक्स के करीब पहुंची तो अतातकियों ने अंदर से गोलियों की बरसात कर दी जिस पर कंपनी आगे नही बढ पाई ऐसे में कंपनी कमांडर ने अपने जवानों से इस समस्या से निपटने के लिए आगे आने की अपील की तो सबसे पहले थराली विकासखंड के चेपड़ो गांव निवासी शहीद जोशी आगे आएं और उन्होंने कांप्लेक्स के अंदर छिपे आतंकियों पर सबसे पहले धावा बोल कर गेट के पास मौजूद एक आतंकी को ढ़ेर कर दिया, इस दौरान वे गोलियों से घायल हो गए थे। बावजूद उनका देश की रक्षा का जज्बा कम नही हुआ था। और वे अपनी करबाइन से गोलियों की बौछार करते हुए आगे बढ़ते रहे जिससे उनकी प्लाटून के अन्य सैन्य कर्मी भी आगे बढ़ते रहे।
एक तरह से वे अपनी प्लाटून का ढाल बने हुए थे।इसी दौरान वें वीर गति को भी प्राप्त हो गए किन्तु तब तक उसकी प्लाटुन को आगे बढ़ाने का रास्ता मिल गया। बाद में सेना ने इस इमारत पर अपना कब्जा कर लिया। इस आपरेशन में देश के जोशी सहित 7 जवान शहीद हुए थे। जबकि 10 से अधिक सैन्य अधिकारी व जवान घायल हुए। इस आपरेशन को 5 व 6 जून 1984 को अंजाम दिया गया। अपने प्राणों की परवाह किए बगैर जिस तरह से शहीद जोशी ने शहादत दी उसे देखते हुए सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शांतिकालीन अशोक चक्र से नवाजा। 1989 में शहीद जोशी की स्मृति को चीरस्थाई रखने एवं क्षेत्र के युवाओं में देश की रक्षा का जज्बा उत्पन्न करने के लिए उनके परिजनों,चेपड़ो गांव सहित आसपास के लोगों ने चेपड़ो में स्थित शहीद के स्मारक के पास एक शहीद मेले का आयोजन शुरू किया।जोकि प्रति वर्ष 6 जून को शहीद स्मारक पर सेना की ओर से रीत चढ़ाने के साथ शुरू होता था।
ये मेला 2009 तक लगातार चलता रहा। किंतु राज्य सरकार के द्वारा मेले को अपेक्षित सहयोग नही मिल पाने के कारण 2010 से मेले का आयोजन बंद हो गया। हालांकि 6 जून को सेना एवं स्थानीय लोग स्मारक पर रीत चढ़ा कर शहीद को याद करते रहे। किंतु इस साल एक बार फिर से शहीद स्मृति मेले का 6 से 8 जून तक आयोजन का निर्णय लिया गया। आयोजन कमेटी के द्वारा मेले को भव्य रूप देने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं।
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आयोजन कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र जोशी (वीरू),मेला व्यवस्थापक देवी जोशी उपाध्यक्ष दर्शन सिंह शाह, महासचिव देवेंद्र रावत आदि ने बताया कि 6 जून को मेले का उद्घाटन प्रात:काल प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सेना के सैन्य धुनों एवं थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में करेंगे। तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 14 वर्षों के लंबे समयांतराल के बाद आयोजित हो रहे मेले की सफलता के लिए रविवार को स्थान एवं ग्राम देवता की यज्ञहवन के साथ पूजा-अर्चना की इस मौके पर विधायक के अलावा भाजपा नेता गिरीश चमोला, मेला सचिव भरत शाह,धीरू शाह, कोषाध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद जोशी, विकास जोशी, सांस्कृतिक सचिव नीलू शाह, राजेंद्र चौहान, दिनेश जोशी, दामोदर जोशी, गंगा दत्त जोशी, विकास जोशी आदि मौजूद थे।