विश्व पर्यावरण दिवस पर हुयी हिमालय में बुग्याल एवं ताल पर परिचर्चा
देहरादून 05 जून ।उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ द्वारा आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर शहीद स्मारक कचहरी परिसर में एक खुली परिचर्चा आयोजित की। परिचर्चा का मुख्य विषय ‘उत्तराखंड हिमालय में बुग्याल एवं ताल के संरक्षण का सवाल।
परिचर्चा के दौरान जहां बुग्याल एवं तालों के संरक्षण पर गंभीर विमर्श किया गया, वहीं पर्यावरण संरक्षण हेतु बीज गोला (Seed Bomb) बनाने की विधि बताई गई। जैविक खाद, मिट्टी एवं बीज के सम्मिश्रण की तकनीकी जानकारी दी गई व बताया गया कि फलों व सब्जियों के बीजों को बीज गोला बनाकर बंजर भूमि मे डालकर पेड पौधे उगाये जा सकते हैँ जिससे हरियाली को प्राप्त किया जा सकता हैं। वर्मी कंपोस्ट एवं मिट्टी के गोले जिसके भीतर बीज को संरक्षित कर रखा जाता है और इस बीच बम को बरसात में जंगलों में फेंका जाता है ताकि बीज अपने आप रोपित को सकते हैं। इस विधि से बड़े क्षेत्र में पौधों के रोपण की संभावना पैदा होती है।
आज की परिचर्चा विषय पर बात करते हुए संघ के के अध्यक्ष “सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी ने बताया कि उत्तराखंड में पर्यटन एवं तीर्थाटन के बीच एक बड़ा धार्मिक चल रहा है जिसके तहत पिछले कुछ समय में देखने को मिला है कि बड़े-बड़े समारोह यहां तक कि शादी समारोह भी विद्यालय में आयोजित किए गए हैं विज्ञान सूची के विषय पर उन्होंने कहा कि उजालों के संरक्षण की आवश्यकता बहुत अधिक है और यह केवल लोक संस्कृति के सिद्धांतों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गढ़वाल हो या सुनाओ वहां विद्यालयों व एवं सालों को बहुत ही पवित्र भाव से देखा जाता है एवं उजालों में सीटी बजाने ताली बजाने समझदार कपड़े पहन कर जाने तक में लोग वक्त के सिद्धांतों आते हैं जबकि सरकार की नीतियां वहां पर पर्यटन शोर-शराबा डीजे बजाना प्राप्त की थी पर उसे अधिक से अधिक करती हैं।
सरकार का ध्यान हर किसी के इर्द-गिर्द रहता है और इस कारण फूलों और तारों को बहुत बड़ा पैदा हुआ है उन्होंने कहा कि जालौर सालों में एक ही समस्या सामने बड़े रूप में दिखाई देते हैं और वह प्लास्टिक कचरे का एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व दिवस का मुद्दा भी स्वास्थ्य से पार पाना है को देखते हुए आज की परीक्षा विषय में वक्ताओं ने इस विषय पर गंभीरता से अपने विचारों को सरकार के समक्ष रखा उन्होंने कहा कि गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा में यदि 30 मार्च के हिसाब से एक एक व्यक्ति एक एक पल भी ले जाता है।