गणित प्रकृति में है,बस महसूस करने की दरकार : प्रो. रश्मि भारद्वाज
टीएमयू के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग में गणित विभाग की ओर से एंशिएंट मैथमैटिक्स एंड इट्स इमर्जिंग एरियाज- एएमईए 2022 पर हुई एक दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस
ख़ास बातें : –
- आईआईटी रुड़की के डॉ. उदय सिंह ने दिया फूरियर अनंत श्रेणी पर व्याख्यान
- सूर्य में ठोस प्लाज़्मा और इसके विभिन्न प्रकार हैं मौजूद: प्रो. नागेंद्र कुमार
- भारत की ओर से किया गया शून्य का आविष्कार ही है गणित एवं कम्प्यूटिंग का आधार: प्रो. आरके द्विवेदी
- दस राज्यों- उत्तराखंड, केरल, तमिलनाडु, आसाम, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 92 शोधार्थी रहे मौजूद
- नेशनल कॉन्फ्रेंस में पढ़े गए कुल 42 शोध पत्र
मुरादाबाद, 20 नवंबर (उ हि)।तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फ़ैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज़-एफओईसीएस में गणित विभाग की ओर से एंशिएंट मैथमैटिक्स एंड इट्स इमर्जिंग एरियाज- एएमईए 2022 पर आयोजित एक दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ मुख्य अतिथि गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली की प्रोफेसर डॉ. रश्मि भारद्वाज, मुख्य वक्ता आईआईटी रुड़की के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उदय सिंह, मुख्य वक्ता एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद के प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र कुमार, कांफ्रेंस जनरल चेयर और एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी, टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, टीएमयू की एसोसिएट डीन एकेडेमिक्स डॉ. मंजुला जैन ने संयुक्त रूप से माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया ।
ओपनिंग सेरेमनी के अवसर पर टीएमयू की ज्वाइंट रजिस्ट्रार रिसर्च एंड डवलपमेंट डॉ. ज्योति पुरी,कांफ्रेंस कंवीनर डॉ. विपिन कुमार, कांफ्रेंस को-कंवीनर एवं गणित विभाग के एचओडी डॉ. अजीत कुमार एवं सीसीएसआईटी के एचओडी प्रो. अशेंद्र कुमार सक्सेना आदि भी मौजूद रहे। प्रो. द्विवेदी ने कॉन्फ्रेंस की थीम प्रस्तुत की। डॉ. आदित्य शर्मा, डॉ. मंजुला जैन और डा. ज्योति पुरी ने गणित में शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। डिग्निटरीज़ की ओर से कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग का विमोचन भी किया गया। कांफ्रेंस का आयोजन ब्लेंडेड मोड- ऑनलाइन और ऑफ लाइन दोनों मोड में हुआ। विभिन्न राज्यों- उत्तराखंड, केरल, तमिलनाडु, आसाम, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुल 92 पंजीकृत प्रतिभागियों ने कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग किया। कॉन्फ्रेंस में प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए। इससे पूर्व सभी अतिथियों को बुके देकर उनका स्वागत किया गया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किए गए। कांफ्रेंस का संचालन डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमैनिटीज़ की असिस्टेंट प्रो. मिस नेहा आनंद ने किया।
मुख्य अतिथि गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली की प्रोफेसर डॉ. रश्मि भारद्वाज ने प्राचीन गणित, इसके अनुप्रयोग और फ्रैक्टल सिद्धांत पर अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, वेदों के मंत्र गणित पर आधारित हैं। गणित प्रकृति में है, हमें इसे देखने और महसूस करने की आवश्यकता है। भारतीय प्राचीन मंदिरों के गर्भगृह गुरुत्वाकर्षण के केंद्र में स्थित हैं। अधिकांश प्राचीन भारतीय मंदिरों को भग्न सिद्धांत के आधार पर डिजाइन किया गया है। सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि पूरे भारत में सभी आठ शिवलिंग इस तरह से स्थित हैं कि उनके भौगोलिक निर्देशांक एक सीधी रेखा पर हैं और यह काम भारतीयों द्वारा आधुनिक जीपीएस सिस्टम के बिना किया गया है। यह प्राचीन भारतीय गणितज्ञों की गणना एवं उत्कृष्टता को दर्शाता है। प्रो. भारद्वाज ने कोविड-19 पर गणितीय मॉडलिंग भी साझा की। उन्होंने मानव, उसके मूल्यों एवं विज्ञान के विभिन्न आयामों पर अपने विचारों को साझा किया। प्रो. भारद्वाज तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के गणित विभाग की ओर से एंशिएंट मैथमैटिक्स एंड इट्स इमर्जिंग एरियाज- एएमईए 2022 पर आयोजित नेशनल कांफ्रेंस के मौके पर बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रही थीं।
कांफ्रेंस जनरल चेयर और एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने अपने स्वागत भाषण में कांफ्रेंस की थीम प्रस्तुत करते हुये कहा कि उभरती हुयी प्रोद्योगिकी में मैथ्स मानव कल्याण के लिये अनेक तरीकों से सहायक सिद्व हो रहा है। प्रो. द्विवेदी ने प्राचीन भारतीय गणितज्ञो जैसे आर्यभट्ट, वाराहमिहिर, लीलावती, नागार्जुन और भास्कारचार्य आदि के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, भारत द्वारा किया गया शून्य का आविष्कार ही गणित एवं कम्प्यूटिंग का आधार है।
मुख्य वक्ता आईआईटी रुड़की के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. उदय सिंह ने फूरियर अनंत श्रेणी के बारे में प्रकाश डालते हुए इस श्रेणी के अनुप्रयोग एवं इसकी सार्थकता का वर्णन किया। डॉ. सिंह ने अनंत श्रेणी के अभिसारी और अपसारी होने की दशा का उल्लेख किया तथा प्राचीन गणित और उभरते गणित में इसकी भूमिका पर चर्चा की।
तकनीकी सत्र की अध्यक्षता एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद के प्रोफेसर मुख्य वक्ता डॉ. नागेंद्र कुमार ने की । डॉ. नागेंद्र ने डायनामिक सूर्य एवं एमएचडी वेव्स पर अपना व्याख्यान दिया। डॉ. नागेंद्र ने सूर्य की गति एवं संरचना पर प्रकाश डालते हुये कहा, पृथ्वी से सूर्य की दूरी, इसकी त्रिज्या और हाइड्रोजन परमाणु के फ़्यूज़न के बारे में बताते हुए कहा, इन सभी गणनाओं को डिफरेंशियल समीकरण के माध्यम से हल किया गया है। उन्होंने सूर्य के जरिए उत्पन्न पर्यावरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुये कहा, सूर्य में ठोस प्लाज़्मा और इसके विभिन्न प्रकार मौजूद हैं। तकनीकी सत्र के दौरान, ओरल प्रेज़ेंटेशन हुआ, जिसमें कुल 42 मौखिक प्रस्तुतियां दी गईं।
वैलेडिक्टरी सेशन में कांफ्रेंस कंवीनर डॉ. विपिन कुमार ने कांफ्रेंस रिपोर्ट प्रस्तुत किया। कांफ्रेंस ऑर्गनाइज़िंग सेक्रेटरी डॉ. अभिनव सक्सेना ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. कामेश कुमार, डॉ. गोपाल कुमार गुप्ता, श्री अशोक कुमार, श्री विजेन्द्र सिंह रावत, श्री प्रशान्त कुमार, श्री प्रदीप कुमार वर्मा, डॉ. अजय कुमार उपाध्याय, डॉ. अमित कुमार शर्मा, डॉ. गजेन्द्र सिंह, डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. गुलिस्ता खान, श्री एके पिपरसेनिया, श्री राहुल विश्नोई, डॉ. शम्भू भारद्वाज, डॉ. असीम अहमद, डॉ. आरके जैन, डॉ. हिमाश कुमार, श्री अजय चक्रवर्ती, श्रीमती शिखा गंभीर, श्री मनोज गुप्ता, श्री राजेश कुमार आदि मौजूद रहे।