एक राष्ट्र एक चुनाव की चर्चा : तो क्या फिर विधानसभा चुनाव ?
-कोटद्वार से राजेंद्र शिवाली –
एक राष्ट्र एक चुनाव की चर्चाओं के बीच उत्तराखंड विधान सभा के मध्यावधि चुनाव की संभावनाओ की अटकलें भी शुरु हो गयी हैं । यही नहीं चर्चा यहाँ तक छिड़ गयी है कि अगर लोकसभा के साथ विधान सभा चुनाव हुए तो कोटद्वार से भाजपा प्रत्याशी कौन होगा ? चुंकि मौजूदा विधायक ऋतु खंडूरी का अब तक का कार्यकाल असंतोषजनक रहा है इसलिए चर्चा है कि सुरेंद्र सिंह नेगी के मुकाबले के लिए एक बार फिर शैलेन्द्र रावत की भाजपा में वापसी कराई जा सकती है।

राजनीतिक हल्कों में सुगबुगाहट है कि केन्द्र की भाजपा सरकार ने यदि वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव आगामी 17,18 सितम्बर को संसद में पास कर दिया तो इसी वर्ष या अगले वर्ष उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपना इस्तीफा दे सकते हैं और लोक सभा के साथ विधानसभा चुनाव हो जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो पोड़ी जनपद की कई विधानसभा सीटों के विधायकों की विधायकी चली जाएगी और उनके दोबारा जीतने की स्थिति नहीं है।
कोटद्वार विधानसभा में क्षेत्रीय विधायक एवं विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी की स्थिति डांवाडोल है। क्योंकि सवा साल में कोटद्वार विधानसभा की स्थिति बद से बद्तर हो गई है। आपदा ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया। नदियों के चुगान पट्टे और चैनेलाइजेशन न होने के कारण भी कोटद्वार में आपदा की स्थिति पैदा हुई है। अतिक्रमण के नाम पर किए जा रहे उत्पीड़न से भी लोग श्रीमती खंडूरी से लोग बेहद नाराज़ हैं। सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे हैं। ऋतु खंडूरी को लग्जरी कार में इन गड्ढों का एहसास नहीं होता है।

भाजपा के ही सूत्रों के अनुसार अति महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री पद की दावेदार रहीं श्रीमती खंडूरी और मुख्यमंत्री धामी के बीच छत्तीस का आंकड़े के चलते कोटद्वार विधानसभा का बेड़ा गर्ग हो गया है। कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र में विकास के मामले में श्रीमती खंडूरी को अधिकांश जनता ने जीरो नम्बर दिया है।
चर्चा है कि भाजपा से कांग्रेस में गए पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत की भाजपा में घर वापसी हो सकती है। शैलेन्द्र रावत भाजपा के प्रबल दावेदार होंगे। सूत्रों को अनुसार रावत भाजपा पार्टी हाईकमान के सम्पर्क में हैं। पार्टी हाईकमान इस बार शैलेन्द्र रावत पर दांव खेल सकता है। यमकेशवर और श्रीनगर में भी भाजपा विधायकों की हालत नाज़ुक बताईं जा रही है।
गत विधानसभा चुनाव में विपक्ष के एक न होने तथा मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे काल्पनिक और सम्प्रदायिक मुद्दे के बलबूते कोटद्वार समेत कई क्षेत्रो. में भाजपा उम्मीदवार हारते हारते बच गये। लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ सकती। इसलिए अगर विधान सभा के तत्काल चुनाव हुए तो कई भाजपा विधायकों के टिकट कट सकते हैं ।