“ऑप्रेशन विजय” में ‘गन और गनर्स’ के योगदान के लिये करगिल स्थित प्वॉइंट 5140 का नामकरण ‘गन हिल’ किया गया
-उषा रावत –
“ऑप्रेशन विजय” में भारतीय सशस्त्र बलों की विजय की याद में और गनर्स के सर्वोच्च बलिदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुये, करगिल सेक्टर में द्रास स्थित प्वॉइंट 5140 का नामकरण ‘गन हिल’ कर दिया गया है।
कारगिल युद्ध को 23 साल बीत चुके हैं। इस युद्ध के दौरान हमारे वीर जवानों ने ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था और 26 जुलाई 1999 को कारगिल के द्रास सेक्टर की प्वॉइंट 5140 पहाड़ी पर तिरंगा फहराया था। भारत के बहादुर जवानों की इसी जीत का जश्न मनाने के लिए भारतीय सेना ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस युद्ध के दौरान बोफोर्स जैसी तोप और गनर्स की अहम भूमिका की याद में 5140 पहाड़ी का नाम बदलकर अब ‘गन हिल’ कर दिया गया है।
अपनी घातक और सटीक गोलाबारी के बल पर भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट ने दुश्मन फौजों के दांत खट्टे कर दिये थे और उनकी रक्षापंक्ति को छिन्न-भिन्न कर दिया था। इसमें प्वॉइंट 5140 भी शामिल था, जो अभियान को जल्द पूरा करने में प्रमुख घटक था।
आर्टिलरी रेजीमेंट की तरफ से आर्टिलरी के महानिदेशक ले. जन. टीके चावला ने द्रास के करगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। उनके साथ पूर्व गनर्स भी उपस्थित थे, जिन्होंने अभियान में हिस्सा लिया था। फायर-एंड-फ्यूरी कोर के जनरल ऑफीसर कमांडिंग ले. जन. अनिंद्य सेनगुप्ता ने भी इस गंभीर अवसर पर पुष्पांजलि अर्पित की।
यह कार्यक्रम सभी आर्टिलरी रेजीमेंटों के पूर्व सैनिकों की उपस्थिति में आयोजित हुआ, जिन्हें ऑप्रेशन विजय में सम्मानजनक उपाधि “करगिल” प्राप्त हुई है। इस अवसर पर तोपखाने के सेवारत अधिकारी भी उपस्थित थे।
1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान भारतीय सेना के आर्टिलरी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी। इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को हो गई थी। पाकिस्तान ने कारगिल की ऊँची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था।