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वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए  चमोली में दिया जा रहा है प्रशिक्षण

गौचर, 12 जनवरी (गुसाईं) । वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए  चमोली में जिला प्रशासन, वन विभाग और फायर सर्विस के संयुक्त तत्वाधान में वन पंचायत सरपंच, ग्राम प्रधान, महिला एवं युवक मंगल दलों को 11 से 13 जनवरी तक तीन दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन जिला पंचायत सभागार में आयोजित गोष्ठी में वनाग्नि की बढ़ती घटनाएं और उसके दुष्प्रभावों की जानकारी दी गई। साथ ही वनाग्नि के दौरान उपयोग में आने वाले फायर सेफ्टी उपकरण, फस्ट एंड किट और वनाग्नि सुरक्षा को लेकर मॉकड्रिल किया गया।

इस दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे 200 से अधिक वन पंचायत सरपंच, ग्राम प्रधान, महिला एवं युवक मंगल दलों को फायर सेफ्टी सूज वितरित किए गए। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने विगत वर्ष फायर सीजन में उत्कृष्ट कार्य करने पर कुजो मैकोट के वन पंचायत सरपंच किशन सिंह बिष्ट, देवराड के सरपंच वीरेन्द्र सिंह रावत, देवाल पूर्णा के गोविंद सोनी, ग्राम बणसोली के कैलाश चन्द्र खण्डूरी और ग्राम सीरी के भगवती प्रसाद सती को स्मृति चिन्ह, शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशन में यह पहल शुरू की गई है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यही है कि वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी रोक लग सके और ऐसी घटनाएं घटित होने पर कम से कम समय में उस पर काबू किया जा सके।जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। जंगलों में आग की घटना होने पर हम सब परिसीमन के दायरे से बाहर आकर एक टीम भावना के साथ आग बुझाने का काम करें। कहा कि सीमांत जनपद चमोली चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पडाव होने के नाते हमारी जिम्मेदारी और अधिक बड़ जाती है कि हम वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाएं। ताकि वनाग्नि घटनाओं से हमारे जनपद का पर्यटन और लोगों की आर्थिकी प्रभावित न हो।

उन्होंने मातृ शक्ति को नमन करते हुए कहा कि वनों की सुरक्षा के लिए चमोली जनपद प्रसिद्व चिपको आंदोलन के लिए जाना जाता है। वनों को बचाने के लिए महिला शक्ति का सहयोग पहले भी था और आगे भी हमारी मातृ शक्ति इसमें अपना बहुमूल्य सहयोग देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी‌ । कहा कि वनाग्नि रोकने में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को जनपद के कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाएगा। जंगल में आग लगाने वालों की गोपनीय सूचना देने पर 10 हजार रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वनों में आग लगाने वाले अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही कारावास जैसी सख्त कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। प्रशिक्षण गोष्ठी में प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश प्रकृति के मूल तत्व एवं हमारी सृष्टि के आधार है। हम इन्हें बना नहीं सकते, केवल बचा सकते है। वन और वन्य जीवों की सुरक्षा से इनकी सुरक्षा होती है। इसलिए वनाग्नि और वन को क्षति पहुंचाने वाले अन्य कारकों के नियंत्रण में सभी लोग प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने बताया कि चमोली जिले में 6 लाख है0 वन क्षेत्र है।

इसमें से 03 लाख है0 वन क्षेत्र अति संवेदनशील है। विगत वर्ष जिले में वनाग्नि की 228 घटनाएं हुई थी। जिले में अधिक वन क्षेत्र, वनों का दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होना और मानव संसाधनों के अभाव के कारण वनाग्नि की रोकथाम में व्यावहारिक कठिनाई रहती है। वनाग्नि की रोकथाम के लिए 106 क्रू स्टेशन है, जिनमें 473 फायर वाचर तैनाती की जाएगी। जिले में 441 किमी. में फायर लाइन की सफाई करवाई जा रही है।

प्रशिक्षण गोष्ठी में मुख्य विकास अधिकारी नंदन कुमार, उप वन प्रभागीय अधिकारी जुगल किशोर, एसडीओ विकास, वन विभाग के रेंज अधिकारी सहित वन पंचायत सरपंच, ग्राम प्रधान, महिला एवं युवक मंगल दलों के अध्यक्ष एवं सदस्य उपस्थित थे।

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