दूसरी बार ट्रम्प सरकार : अमेरिका फर्स्ट और स्वर्ण युग की शुरुआत का किया दावा : भारत के लिए मिश्रित उम्मीदें
By-Jay Singh Rawat
इस एक ध्रुवीय विश्व में अमेरिका अब अकेला मठाधीश रह गया है जिसको रूस और चीन से चुनौती मिलती रहती है, इसलिए अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह पर 20 जनवरी 2025 के दिन सारे विश्व की निगाह टिकी हुयी थी। खास कर ट्रम्प का पहले उद्घाटन भाषण को सारी दुनियां दिल थाम कर सुन रही थी। क्योंकि विश्व राजनीति का केंद्र आज भी अमेरिका ही है। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने अमेरिका के “स्वर्ण युग” की शुरुआत की घोषणा की और देश की संप्रभुता, सुरक्षा, और न्याय की पुनर्स्थापना पर जोर दिया।
ट्रंप ने अपने संबोधन में “अमेरिका फर्स्ट” की नीति को पुनः स्थापित करते हुए कहा कि वे अमेरिकी लोगों के हितों को सर्वोपरि रखेंगे। उन्होंने दक्षिणी सीमा पर आपातकाल घोषित करने की योजना बनाई, जिससे अवैध प्रवास को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल की घोषणा की, जिसका उद्देश्य तेल और गैस उत्पादन में वृद्धि करना है।
अपने कार्यकाल के पहले दिन, ट्रंप ने कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इनमें से एक प्रमुख आदेश पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका की पुनः वापसी था, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रयासों के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सब्सिडी को समाप्त करने और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए।
ट्रंप ने अपने भाषण में सामाजिक नीतियों में भी बदलाव की घोषणा की, जिसमें केवल दो लिंगों की मान्यता और “रंग-अंध” तथा योग्यता-आधारित समाज की स्थापना शामिल है। उन्होंने सरकारी विभागों में दक्षता बढ़ाने के लिए “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” की स्थापना की भी योजना बनाई।
भारत के संदर्भ में, ट्रंप की नीतियों के मिश्रित प्रभाव हो सकते हैं। पेरिस समझौते से अमेरिका की वापसी से वैश्विक जलवायु प्रयासों में भारत की भूमिका और जिम्मेदारी बढ़ सकती है। इसके अलावा, व्यापारिक नीतियों में संरक्षणवाद के बढ़ने से भारतीय निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, चीन के प्रति ट्रंप के सख्त रुख से भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूती मिल सकती है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए लाभदायक होगा।
ट्रंप के उद्घाटन भाषण और प्रारंभिक कार्यकारी आदेशों से यह स्पष्ट होता है कि उनका प्रशासन अमेरिका की आंतरिक नीतियों में बड़े बदलाव लाने के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भी नए समीकरण स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। यह नई विश्व व्यवस्था भारत सहित अन्य देशों के लिए अवसरों और चुनौतियों दोनों का प्रस्तुतिकरण करती है, जिनसे निपटने के लिए सूझबूझ और रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।