यूजेवीएन के बिजलीघरों ने भी मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

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देहरादून, 5 जून ।  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यूजेवीएन लिमिटेड के मुख्यालय उज्ज्वल सहित विभिन्न विद्युत गृहों, निर्माणाधीन परियोजनाओं तथा अन्य कार्यालयों में वृहद वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर प्रबंध निदेशक श्री संदीप सिंघल, निदेशक परिचालन श्री पुरुषोत्तम सिंह, अधिशासी निदेशक श्री पंकज कुलश्रेष्ठ, महाप्रबंधक श्री विवेक आत्रेय, श्री आशीष जैन, श्री सी.पी. दिनकर, उपमहाप्रबंधक श्री दीपक अग्रवाल, श्री नीरज जैन, श्रीमती अर्चना बहुगुणा, श्रीमती बबीता कोहली, के साथ ही निगम के अन्य अधिकारियों द्वारा देहरादून स्थित निगम के मुख्यालय उज्ज्वल परिसर में वृक्षारोपण किया गया।

इस अवसर पर यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री संदीप सिंघल ने सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि तेज गति से हो रहे विकास के इस दौर में आज पर्यावरण का विशेष ध्यान रखे आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें प्रयास करने होंगे कि पर्यावरण संरक्षण द्वारा हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतरीन विरासत छोड़ जाएं। वृक्षारोपण का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि वृक्ष हमारे पर्यावरण के अत्यंत महत्वपूर्ण घटक हैं तथा वृक्ष हमारे जल स्रोतों, जमीन और वायु के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज की जीवन शैली एवं विकास गतिविधियों के कारण जो प्लास्टिक एवं अन्य अपशिष्ट छोड़ा जा रहा है उसे यथासंभव सीमित करने एवं उसका ठोस प्रबंधन किए जाने की आवश्यकता है।
साथ ही यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा पर्यावरण एवं विकास विषयक गोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें बड़ी संख्या में निगम अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में वाडिया इंस्टीट्यूट आफ जियोलॉजी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पी.एस.नेगी ने अपने विचार रखे। डॉ. नेगी ने पर्यावरण दिवस मनाए जाने के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि विकास कार्यों आवश्यक हैं किंतु साथ ही साथ पर्यावरण संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। हमें दोनों गतिविधियों का समन्वय बनाए रखकर कार्य करना होगा। डाॅ. नेगी ने प्लास्टिक कचरे की विकराल होती समस्या के बारे में बताते हुए कहा कि हर वर्ष लगभग आठ मिलियन टन प्लास्टिक कचरा महासागरों में पहुंच कर जल को दूषित कर रहा है और विभिन्न माध्यमों से लगभग पांच ग्राम प्लास्टिक प्रति सप्ताह हमारे शरीर में जा रहा है।

डॉ. नेगी ने कहा कि आज प्लास्टिक हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है और इसे पूर्ण रूप से हटाना मुश्किल है लेकिन इसके समुचित प्रबन्धन एवं इसके प्रति आमजन को जागरूक किये जाने से हम इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं। केदारनाथ आपदा का जिक्र करते हुए श्री नेगी ने कहा कि उस समय यह भ्रान्ति फैली थी कि यह आपदा जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण तथा जंगलों के कटने से आई थी जबकि वस्तुस्थिति अलग थी। उस समय पश्चिमी विक्षोभ उत्पन्न होने एवं उसके दक्षिण पश्चिम मानसून से टकराने से हिमालयी क्षेत्र में एक निर्वात या वैक्यूम बना जिसने एक बड़े भूभाग से मानसून को अपनी ओर खींच कर जम्मू-कश्मीर से लेकर चीन तक के हिमालयी क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में बरसा दिया। हालांकि उस समय जल विद्युत परियोजनाओं के बांधों एवं बैराजों ने नदियों की बाढ़ एवं जलसैलाब से बचाव का महत्वपूर्ण कार्य किया। डॉ. नेगी ने अपने संबोधन में ब्लैक कार्बन से पर्यावरण को होने वाले नुकसानों पर भी चर्चा की तथा इसके उत्सर्जन को कम करने के उपायों पर प्रकाश डाला। गोष्ठी में यूजेवीएन लिमिटेड के अधिशासी निदेशक श्री हिमांशु अवस्थी एवं श्री पंकज कुलश्रेष्ठ ने भी अपने विचार रखे।

निगम कार्मिकों ने इससे पूर्व प्रातः काल देहरादून से पुरकुल गांव तक साईकिल यात्रा कर पर्यावरण संरक्षण एवं स्वस्थ जीवन का संदेश दिया। साईकिल यात्रा में श्री रचित फर्त्याल, श्री प्रदीप कैड़ा, श्री संजय कुमार, श्री अशोक बिष्ट एवं श्री विमल डबराल आदि ने प्रतिभाग किया।

 

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