अनोखी दुनिया है परिंदों की : रोमांचित और  अचंभे में डालती है

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-उषा रावत –

किसी ने बहुत खूब कहा है “बर्डिंग प्रकृति के रंगमंच के लिए आपका जीवनभर का टिकट है।” पक्षियों के औपचारिक वैज्ञानिक अध्ययन को ‘ऑर्निथोलॉजी’कहा जाता है। पक्षियों को निहारने की प्रक्रिया में उनकी पहचान करना और मन बहलाव के लिए उनके व्यवहार को समझना शामिल है। पक्षियों के प्रति आकर्षण तेजी से बढ़ रहा है और इसका आनंद सभी आयु समूहों द्वारा लिया जा रहा है।

भारत की जैव विविधता दुनिया में सबसे समृद्ध है। भारत हिमालय, रेगिस्तान, तट, वर्षावन और उष्णकटिबंधीय द्वीपों सेलेकर लगभग सभी प्रकार के पारिस्थ्‍िातिकी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है और यह 1300 से अधिक विदेशी पक्षी प्रजातियों के साथ-साथ भारत में ही मिलने वाली कुछ विशेष प्रजातियों जैसे इंडियन रोलर, हॉर्नबिल्स, सॉर्स क्रेन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड,वुडपैकर्स, किंगफिशर के अलावा कई अन्‍य मनमोहक पक्षियों का पर्यावास है।

पक्षियों के बारे में जो बात सबसे अधिक रोमांचित और  अचंभे में डालती है, वह है उनका हवा में जहां चाहे वहाँ उड़ सकना। लेकिन हमें पता नहीं होगा कि पंख लगाकर ‘फुर्र’ से उड़ जाने वाले पक्षियों का आसमान और उनका संसार कई तरह की चुनौतियों से भरा है। आकाश में, ज़मीन पर या जल में विचरने वाले ये पक्षी अपने पंखों से लंबी दूरियाँ तय कर भोजन तलाशते हैं। अंडे और बच्चे देते हैं और दूसरे मांस-भक्षी पक्षियों या जानवरों से अपनी जान भी बचाते हैं। प्रकृति के विधान में पेड़ों, पक्षियों, जानवरों और इनके साथ साथ इंसान— सबकी अपनी अपनी जगह है। सबका जीवन एक दूसरे के साथ गुंथा हुआ है और जाने अनजाने में सभी एक दूसरे पर निर्भर भी हैं। इनमें से किसी एक के न रहने से प्रकृति का लाखों वर्षों से साधा हुआ संतुलन बिगड़ सकता है। जब हम अकारण एक पेड़ काटते हैं तो इससे सिर्फ जीवन देने वाली हरियाली ही नष्ट नहीं होती। बल्कि इससे उस पेड़ पर घोंसला बनाने वाले पक्षी, गिलहरियाँ और उन पक्षियों का भोजन बनने वाले कीट-पतंगे, सभी बेघर हो जाते हैं। पेड़ों के कटने का प्रभाव आबोहवा पर भी पड़ता है।

भारतीय संस्कृति में पक्षी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पौराणिक कथाओं में, विभिन्न पक्षियों को देवों और देवताओं के वाहन के रूप में दर्शाया जाता है। पक्षी भी युगों से मनुष्‍यों के बहुत करीब रहे हैं और यह पाषाण युग से लेकर आधुनिक युग तक रॉक पेंटिंग, गुफा पेंटिंग, मुगल पेंटिंग में उकेरे चित्रों में मनुष्य के जीवन के लिए बहुत प्रेरणादायक होने के साथ-साथ उनका अभिन्न अंग रहे हैं।

आर्कटिक से अंटार्कटिका तक विभिन्न प्रकार की जलवायु परिस्थितियों, विभिन्न जैव विविधताओं और पर्यावासों में पक्षी हर जगह पाए जाते हैं। बर्डिंग न सिर्फ हमारी संवेदनाओं को और भावपूर्ण बनाती है अपितु यह हमें प्रकृति के करीब भी लाती है। प्रकृति की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। एक उत्साहपूर्ण यात्रा में स्थानीय संस्कृति की जानकारी लेना और उसे समझना, स्थानीय समुदायों के साथ रहना और उनके परिवेश का अध्ययन करना, खान-पान की आदतों, वृक्षों पर बने मोखों में रहने वाले पक्षियों का अध्‍ययन करना और पशु-पक्षियों की आवाजों का श्रवण करते हुए उस क्षेत्र की यात्रा करना शामिल है। यह अनुभवों की एक बेहतरीन दुनिया है। बर्डिंग एक ऐसी गतिविधि है जो हमें प्रकृति और स्थानीय समुदायों के करीब लाने में मदद करती है।

दुनिया भर में लगभग 11,000 पक्षी प्रजातियां हैं और इनमें से 1300 से अधिक प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं। बर्डिंग पर्यटन दुनिया भर में एक बिलियन डॉलर का उद्योग है। बर्डिंग उद्देश्य के साथ हर वर्ष लाखों अंतर्राष्‍ट्रीय यात्राएं की जाती हैं और भारत में ट्रांस हिमालय से लेकर रेगिस्तान, पश्चिमी घाट, डेक्कन प्रायद्वीप, गंगा के मैदान, उत्तर-पूर्व क्षेत्र और द्वीपों के विभिन्न क्षेत्रों में जैव विविधता की व्‍यापक क्षमता है। भारत में स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर और तितलियों की अनुमानित 91,000 प्रजातियां है। इन प्रजातियोंऔरपर्यावरण की रक्षा करने के लिए जागरूकता पैदा करने हेतु सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं।

 

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