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सुगंध दशमी पर टीएमयू में शीतलनाथ भगवान की आराधना

उत्तम संयम धर्म: प्रतिष्ठाचार्य बोले – पांचों इंद्रियों को जीतना ही उत्तम संयम

प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि – सिद्धि भवन समेत पूरा कैंपस सुगंध दशमी पर धूप खेवन से सुगंधित हो उठा। सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन ने विधि विधान से शीतलनाथ भगवान की पूजा – अर्चना कराई। इसके संग – संग देव शास्त्र पूजा,श्री शीतलनाथ जिन पूजन,सोलह कारण पूजन, परम ऋषि,स्वस्ति मंगल पाठ,पूजा प्रतिष्ठा पाठ,पूजा पाठिका, दसलक्षण पूजा भी हुई। कल्चरल ईवनिंग में विद्याधर से विद्या सागर जी के प्ले में सभी किरदारों ने मन मोह लिया। अंततः करीब 80 स्टुडेंटस का ग्रुप फर्स्ट परफॉर्मर ऑफ द डे चुना गया। भोपाल से आए संगीतकार रजनीश एंड पार्टी की सुरीली आवाज और धुनों पर श्रावक – श्राविकाएं भक्ति के सागर में डूब गईं। प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक का सौभाग्य अतिशय जैन और अतिशय बड़कुल को मिला, जबकि प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य सीसीएसआईटी और टिमिट के 09 श्रावकों को मिला। सुगंध दशमी को जैनाचार्य श्रीमद विजय धर्म धुरंधर श्री सुरीश्वर जी महाराज की भी गरिमामयी मौजूदगी रही। धूप खेवन के मौके पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन और श्रीमती ऋचा जैन आदि की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

सत्य साधना से प्राप्त होने वाली एक सिद्धि : सुरीश्वर जी महाराज

जैनाचार्य श्रीमद विजय धर्म धुरंधर श्री सुरीश्वर जी महाराज यंत्र,तंत्र और मंत्र, गुरु दर्शन, उत्तम सत्य, साधना आदि पर अपना प्रवचन दिया। महाराजश्री बोले, मंत्रों को सही लय में पढ़ना चाहिए,जबकि यंत्र और तंत्र की व्याख्या संस्कृत में की। गुरुदर्शन पर बोले, हममें हमेशा गुरु से कुछ ना कुछ सीखने की ललक होनी चाहिए। युद्धिष्ठिर और हाथी की कहानी के जरिए सत्य का महत्व बताया। ऑडी में सत्य और झूठ का अंतर बताते हुए बोले, झूठ कभी अकेले नहीं चलता है, बल्कि सत्य सदैव अकेले चलता है। सत्य को जानने के लिए हमें साधना करनी होगी। सत्य साधना से प्राप्त होने वाली एक सिद्धि है। इसीलिए हमारे तीर्थंकर साधना करते थे।

विद्याधर से विद्यासागर  तक … निरामय प्ले ने जीता दिल

कल्चरल ईवनिंग मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के नाम रही। इन कॉलेजों के करीब 80 किरदारों का जबर्दस्त अभिनय रहा। एक घंटे से अधिक के इस प्ले में आचार्यश्री विद्यासागर की भूमिका एमबीबीएस के स्टुडेंट प्रत्युष,माताश्री का रोल ऋतिका सिंघई और पिताश्री का किरदार अंचल मिश्रा ने निभाया। आचार्य ज्ञान सागर की भूमिका में अजय रहे। सैंड आर्ट के जरिए प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रही। परफॉर्मर ऑफ द डे का खिताब भी प्ले की पूरी टीम के नाम रहा, जबकि महाआरती के लिए मेडिकल कॉलेज का ग्रुप सेकेंड परफॉर्मर ऑफ द डे रहा। इसके कॉर्डिनेटर्स डॉ. आकाश गांधी और डॉ. सौम्या भाई जी रहे। जज के रूप में श्वेता जैन और अर्चना जैन ने मौजूद थीं। इस मौके पर निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या प्रो. श्यामोली दत्ता, नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. पूनम शर्मा,प्रो.एसके जैन, प्रो.सीमा अवस्थी, प्रो.आरके द्विवेदी आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। इससे पूर्व जिनालय से दिव्य-घोष के बीच जोत रिद्धि-सिद्धि भवन में लायी गयी। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. श्यामोली दत्ता और नर्सिंग कॉलेज की पूनम शर्मा के संग-संग श्रावक भी मौजूद रहे। गुरू चरण वंदना एमबीबीएस की छात्रा डॉ. सौम्या भाईजी, जबकि नर्सिंग के स्टुडेंटस ने गणेश वंदना प्रस्तुत की।

आत्मा में एकाग्रता होना ही उत्तम संयमः प्रतिष्ठाचार्य

सम्मेद शिखर से आए पंडित श्री ऋषभ जैन ने उत्तम संयम पर बोलते हुए कहा आत्मा में एकाग्रता होना ही उत्तम संयम कहलाता है। प्रत्येक प्राणी को जीवन में संयमित रहना चाहिए। पांचो इंन्द्रियों को जितना ही उत्तम संयम धर्म है। इससे पूर्व ओडी में बोलते हुए प्रतिष्ठाचार्य ने सत्यम, शिवम, सुंदरम को कोट करते हुए कहा, सत्य मोक्ष से भी सुंदर है। उन्होंने सत्य बालने के विभिन्न तरीकों पर भी प्रकाश डाला। राजा की कहानी के जरिए उन्होंने कहा, जीवन में हम सब कुछ बन जाते हैं, लेकिन मैन नहीं बन पाते हैं यानी समाज में शनैः-शनैः मानवता लुप्त होती जा रही है।

विद्यासागर नाम रे…, बोले सुबह शाम रे…

रिद्धि-सिद्धि भवन में भोपाल से आए संगीतकार रजनीश एंड पार्टी ने अपनी सुरीली आवाज और मधुर साज पर श्रावक-श्राविकाओं को भक्ति के सागर में बार-बार डुबकी लगवाई। ओ पालन हारे, निर्गुण ओ न्यारे, हम बन्दे हैं, आपके प्रभु…., अब न करेंगे मनमानी, सांवरिया पारसनाथ शिखर पर भला विराजा जी आदि भक्ति गीतों पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन के संग-संग श्रावक-श्राविकाएं आस्था के सागर में डुबते नजर आए। भक्ति में श्री विपिन जैन, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. अर्चना जैन, प्रो. विपिन जैन आदि भी भक्ति में लीन हो गए।

बीबीए और बीटेक के छात्रों को मिला प्रथम स्वर्ण कलश का सौभाग्य

प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य बीबीए के अतिशय जैन और बीटेक के अतिशय बड़कुल को मिला। द्वितीय स्वर्ण कलश बीबीए के प्रज्जवल जैन और अक्षत जैन, तृतीय स्वर्ण कलश बीटेक के अनमोल जैन, बीबीए के नमन जैन, जबकि चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य बीसीए के अभिनव जैन और हर्षित जैन को मिला। प्रथम शांतिधारा सीसीएसआईटी और टिमिट के नौ छात्रों, जबकि द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य एमबीबीएस के ग्यारह छात्रों को मिला।

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