पैनगढ़ भूस्खलन त्रासदी : प्रशासन ने मरने के लिए छोड़ दिया था ग्रामवासियों को, दो अन्य गांव भी गंभीर संकट में
–थराली से हरेंद्र बिष्ट–
शुक्रवार की देर दिन सीमान्त जिला चमोली के इस विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत पैनगढ़ में हुए दर्दनांक हादसे के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। इसके लिए क्या पीड़ित परिवार जिम्मेदार हैं अथवा शासन, प्रशासन की नीति जिम्मेदार हैं।यह प्रश्न तेजी के साथ फिजाओं में तैरने लगा हैं।पिंडर घाटी में दो अन्य गावों से ऐसी ही दर्दनाक खबर कभी भी आ सकती है मगर शासन और प्रशासन बेखबर है। जिनके बारे में उत्तराखंड हिमालय पहले ही आगाह कर चुका है।
दरअसल उत्तराखंड में 2013 की भीषण आपदा के दौरान अचानक पैनगढ़ गांवों के गदेरे पार तोक की पीछे खंडी पहाड़ी से अचानक हल्का भूस्खलन शुरू हो गया।जोकि बीतते वर्षों के साथ तेजी के साथ बढ़ते हुए 2021 में नासूर बन गया । शासन प्रशासन चेता। पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन के चलते 25 से अधिक परिवारों को प्राइमरी स्कूल के भवन, टेंटों में भेजने के साथ ही कई परिवारों को अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा।
बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र के 46 परिवारों को विस्थापित करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया और गांव के पास ही सेरा तोक का चयन विस्थापन के लिए किया गया। किंतु भूगर्भ विभाग ने इस स्थान को भी भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील बताया। जिससे विस्थापन की कार्रवाई थम सी गई। और प्रभावितों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। पिंडर घाटी में दो अन्य गावों से ऐसी ही दर्दनाक खबर कभी भी आ सकती है मगर शासन और प्रशासन बेखबर है।
हालांकि प्रशासन का दावा है, कि उसने इस प्रभावित गांव के ग्रामीणों के विस्थापन के लिए पैनगढ़ गांव में ही तलगांव तोक में जहां पर नाप भूमि हैं, विस्थापन के लिए चयन किया है।इस स्थान का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण किया जाना है। कब होगा पता नही है। अगर यह स्थान भी भूगर्भीय दृष्टि से अनुकूल नही पाई जाती हैं तो। प्रशासन प्रभावितों को कहा बसाएगा, इस का उत्तर फिलहाल प्रशासन के पास भी नही है।
किंतु हादसे स्थल का निरीक्षण करने के बाद थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा ने प्रभावितों के विस्थापन की कार्रवाई में तेजी लाने का आश्वासन दिया है उससे माना जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से डर के साए में जीवन जी रहे लोगों को राहत मिल सकेगी।———-
*प्रशासन की नजर में हादसे के लिए ज़िद्दीपन हैं जिम्मेदार*
पैनगढ़ हादसे के प्रशासन हादसे के शिकार लोगों को ही दबी जुबान जिम्मेदार ठहरा रहा हैं। कहना हैं कि शुक्रवार की दिन में ही इस क्षेत्र के परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कह दिया गया था। क्यूंकि दिन में ही पहाड़ी से छोटे-छोटे पत्थर लुढ़के शुरू हो गऐ थें। बावजूद इसके इस परिवार ने प्रशासन की चेतावनी को नजर अंदाज कर दिया और एक बेहद दुखद हादसा इसके बाद सामने आया।
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*तों क्या अस्थाई विस्थापन क्षेत्र भी नही है सुरक्षित*
दरअसल जिस प्राइमरी स्कूल एवं इसके आसपास के क्षेत्र को अस्थाई रूप से प्रभावितों को रखा गया हैं। वह स्थान भी सुरक्षित नही माना जा रहा है। यह स्थान भी उसी पहाड़ी के नीचे हैं जोकि लगातार दरक रही हैं। प्रधान जानकी देवी, पूर्व प्रधान दिनेश पुरोहित सामाजिक कार्यकर्ता उमेश पुरोहित आदि ने बताया कि प्राइमरी स्कूल के पीछे की पहाड़ी पर भी काफी दरारें पड़ी हुई हैं। जों की कभी भी विकराल रूप ले सकती हैं। ऐसे में प्रशासन को अस्थाई विस्थापन वाले क्षेत्र के प्रति भी ध्यान देने पर मजबूर होना पड़ रहा हैं।