बद्रीनाथ/जोशीमठ,12मई(प्रकाश कपरूवान)।
चारधाम यात्रा चरम पर है,दो वर्ष के कोरोना काल के बाद तय समय पर शुरू हुई चारधाम यात्रा मे श्रद्धालु उमड़ घुमड़ कर पहुंच रहे हैं।
राज्य सरकार ने जहाँ धामों मे प्रतिदिन पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या का निर्धारण किया है,वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति ने देशभर के श्रद्धालुओं से आवासीय ब्यवस्था सुनिश्चित करने के बाद ही धामों मे पहुंचने के आग्रह के साथ ही धामों मे अब्यवस्था से बचने के लिए अन्य पौराणिक महत्व के मंदिरों की यात्रा करने की भी सलाह दी है।
दरसअल हिमालय के चारों धामों के कपाट खुलने के बाद करीब 45 दिनों तक यात्रा चरम पर रहती है,जिसका एक कारण  स्कूल-कालेजों का ग्रीष्म कालीन अवकाश व मैदानी क्षेत्रों मे भीषण गर्मी का होना भी है।हालांकि बीते वर्षो से सितंबर से नवंबर माह तक भी यात्रियों का बेहतर आवागमन हो रहा है।
अब प्रश्न यह है कि जब मुख्यमंत्री ने अन्य धामों के साथ ही श्री बद्रीनाथ धाम के लिए प्रतिदिन पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 15 हजार से बढ़ाकर 16हजार कर दी,और बीकेटीसी आवासीय समस्या का हवाला दे रही है तो पीक सीजन मे पंडा पुरोहितों के लिए मंदिर समिति की धर्मशालाओं का अधिग्रहण क्यों जरूरी समझा गया?यह अधिग्रहण 45 दिन की मुख्य यात्रा के बाद भी तो किया जा सकता था।
लेकिन प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट बद्रीनाथ महायोजना का भूत ऐसा सर चढ़ कर बोल रहा है कि ना तो तीर्थ यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है और ना ही ब्यापारियों की समस्याओं का। हालांकि महायोजना निर्माण के बाद बद्रीनाथ धाम का कायाकल्प होना निश्चित है।
वर्तमान मे बद्रीनाथ मास्टर प्लान कार्यों की मोनेटरिंग कर रहे संयुक्त मजिस्ट्रेट ने बद्री-केदार मंदिर समिति की डालमिया व मोदी धर्मशालाओं के 12 कमरों का अधिग्रहण कर उन पंडा पुरोहितों को आवंटित कर दिया है जिनके पुश्तैनी मकानों को मास्टर प्लान के तहत जमीदोंज किया जाना है।
बद्रीनाथ मे अब तक मंदिर के आसपास ही कई दुकानों व मकानों को ध्वस्त किया जा चुका है।