नये राज्यों का जन्मदाता है नवम्बर महीना
In India, November is a month rich in celebrations, marked by the birth anniversaries of several prominent personalities, including Nobel laureate C.V. Raman, Pandit Jawaharlal Nehru, Sardar Vallabhbhai Patel, Lata Mangeshkar, and R.K. Narayan. This month is also significant for the birth anniversaries of the maximum number of states in the country. On November 1st, seven states, including Madhya Pradesh (the second-largest state in India), celebrate their foundation day. Among these, Chhattisgarh stands out, having been formed in 2000, and it is the only state among the three created that year to have enjoyed the most political stability over the past 24 years. November also sees the celebration of Diwali, the most widely observed festival in India, as well as the closing of the doors of Badrinath, one of the country’s four sacred Dhams, for the winter season. Additionally, November is National Diabetes Month, a time dedicated to raising awareness about the chronic disease and educating the public. In India, November marks the departure of the monsoon and the arrival of winter, alongside festivals like Diwali, Chhath, and Guru Parv.–JSR
–जयसिंह रावत
भारत में नवम्बर का महीना नोबल पुरस्कार विजेता सीबी रमन, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, लता मंगेशकर और आर.के. नारायण जैसी महान हस्तियों की जयन्तियों के कारण उत्सवों से भरपूर रहता है वहीं यह महीना देश के सर्वाधिक 9 राज्यों के जन्मोत्सवों के उपलक्ष्य में भी जगमगाता है। इसी महीने की पहली तारीख को तो देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश सहित 7 राज्यों का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इनमें नवीनतम राज्य छत्तीसगढ़ है जिसका जन्मोत्सव 1 नवम्बर को मनाया जा चुका है। वर्ष 2000 में गठित 3 राज्यों में से छत्तीसगढ़ अकेला राज्य है जहां पिछले 24 सालों में सबसे अधिक राजनीतिक स्थिरता रही। भारत में सर्वाधिक जनसंख्या द्वारा मानायी जाने वाली दीवाली सामान्यतः इसी महीने आती और देश के चार सर्वोच्च धामों में से एक बदरीनाथ के कपाट भी इसी महीने शीतकाल के लिये बंद होते हैं। नवंबर में राष्ट्रीय मधुमेह माह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस दीर्घकालिक बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को शिक्षित करना है। भारत में नवम्बर मानसून की विदाई और शीत ऋतु के आगमन के साथ ही दीवाली, छट और गुरु पर्व जैसे त्योहारों का महीना है।
नवम्बर महीने में ही 6 नये राज्यों का जन्म हुआ
नवम्बर का महीना छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड और झारखण्ड के लोगों के दशकों से संजोये गये अलग प्रदेश के सपने के साकार करने का महीना तो है ही, क्योंकि वर्ष 2000 में इसी महीने की पहली तारीख को छत्तीसगढ़ भारतीय गणतंत्र को छब्बीसवां, 9 नवम्बर को उत्तराखण्ड 27वां और 15 नवम्बर को झारखण्ड 28वां राज्य बना था। भारत के इतिहास में सम्पूर्ण नवम्बर महीने से भी महत्वपूर्ण इस महीने की पहली तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के 6 अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ। सन् 1956 में नवम्बर के महीने पहली तारीख को जन्में राज्यों में कर्नाटक, केरल, राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। पश्चिम बंगाल का नये क्षेत्रों के साथ पुनर्गठन भी 1 नवम्बर 1956 को ही हुआ था। इनके अलावा इसी महीने की इसी तिथि को वर्ष 1966 में पंजाब और हरियाणा राज्य अस्तित्व में आये थे।
राज्यों के पुनर्गठन के लिये संविधान का 7वां संशोधन
दरअसल अंग्रेजों ने एक भाषा बोलने वालों की भू-क्षेत्रीय समरसता की अनदेखी कर अपनी प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए मनमाने ढंगे से भारत को 21 बड़ी प्रशासनिक इकाइयों में बँटा हुआ था। स्वतंत्रता के बाद नये ढंग से राज्यों का पुनर्गठन करने एवं नये राज्यों की मांग के जोर पकड़ने पर सबसे पहले 1 अक्टूबर, 1953 को आंध्र प्रदेश राज्य का गठन किया गया। यह राज्य स्वतन्त्र भारत में भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था। उसके बाद 22 दिसम्बर 1953 को न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस पुनर्गठन अयोग के अन्य सदस्य हृदयनाथ कुंजरू और सरदार के. एम. पणिक्कर थे। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के उद्देश्य से संसद द्वारा सातवाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 पारित किया गया। इसके अनुसार भारत में नये राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश स्थापित किए गए।
1 नवम्बर को ही मध्य प्रदेश बना तो उससे छत्तीसगढ़ छिटका
देश के मध्य में स्थित दूसरे सबसे बड़े राज्य मध्यप्रदेश की स्थापना भी 1 नवंबर 1956 को ही हुई थी। बाद में सन् 2000 में 1 नवंबर के ही दिन छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर, एक नए राज्य का दर्जा दिया गया। सन् 1966 में पुनर्गठन से पूर्व पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, सभी एक ही बड़े राज्य पंजाब प्रान्त का हिस्सा थे। शाह कमीशन की सिफारिश पर पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अनुसार पंजाब का दक्षिणी भाग, जहां हरियाणवी बोली जाती थी, को हरियाणा के रूप गठित किया गया और जहां पहाड़ी बोली जाती थी, उस भाग को केन्द्र शासित हिमाचल प्रदेश में जोड़ा गया। चंडीगढ़ को छोड़कर शेष क्षेत्रों को एक नए पंजाबी बहुल राज्य के रूप में पुनर्गठित किया गया। इसी तरह 1 नवंबर 1956 को सभी कन्नड़ भाषी क्षेत्रों का एक ही राज्य में विलय कर दिया गया था। वर्तमान कर्नाटक राज्य पहले 20 से भी ज्यादा अलग-अलग इकाइयों में बंटा था, जिनमें मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और निजामांे की हैदराबाद रियासत भी शामिल थीं। इसी साल 1956 में 1 नवम्बर को केरल को भाषा के आधार पर एक राज्य घोषित किया गया था। इससे पहले इसमें शामिल मालाबार, कोचीन और ट्रैवनकोर नाम से तीन अलग-अलग प्रान्त हुआ करते थे। यद्यपि राजस्थान 1949 में ही भारत संघ का एक राज्य बन गया था लेकिन विभिन्न रियासतों के विलय में उहापोह की स्थिति के कारण राजस्थान के एकीकरण की प्रकृया सात चरणों में 1 नवम्बर 1956 को ही पूरी हो सकी। इसी तरह वर्तमान पश्चिम बंगाल में निकटवर्ती क्षेत्रों का संविलयन 1 नवम्बर 1956 को ही पूरा हुआ।
पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों पर 14 राज्य और 6 के.शा. प्रदेश बने
फजल अली की अध्यक्षता वाले पहले राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के आधार पर देश में 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने के बाद भी विभिन्न क्षेत्रों की जनता की शासन प्रशासन के रिमोट कण्ट्रोल से मुक्ति तथा भौगोलिक तथा संास्कृतिक पहचान के आधार पर नये राज्यों की मागों के जोर पकड़ने से सन् साठ के दशक में राज्यों के गठन का दूसरा दौर शुरू हुआ। दूसरे चरण में 1 मई, 1960 को मराठी एवं गुजराती भाषियों के बीच संघर्ष के कारण बम्बई राज्य का बंटवारा कर महाराष्ट्र एवं गुजरात नाम के दो राज्यों का गठन किया गया। नागा आंदोलन के कारण असम को विभाजित करके 1 दिसंबर, 1063 को नागालैंड को अलग राज्य बनाया गया। असम से अलग होने वाला उत्तर पूर्व का यह पहला राज्य था। इसी तरह 1 नवंबर,1966 को पंजाबी भाषी और हिन्दी भाषी क्षेत्रों को पृथक कर पंजाब तथा हरियाणा का गठन किया गया जबकि कुछ पहाड़ी हिस्से तत्कालीन केन्द्र शासित हिमाचल प्रदेश में मिलाने के बाद 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश को भी पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।
70 के दशक में पूर्वोत्तर में नये राज्यों का उदय
सन् सत्तर का दशक उत्तर पूर्व के नये राज्यों के उदय का दशक साबित हुआ। पूर्वोत्तर पुनर्गठन अधिनियम 1971 के तहत कभी असम का हिस्सा रहे उत्तर पूर्व के राज्यों में से मणिपुर, त्रिपुरा एवं मेघालय को 21 जनवरी, 1972 पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। 20 फरवरी, 1987 को मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। इसी दौरान 26 अप्रैल, 1975 को सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना। भारत सरकार ने 18 दिसंबर, 1961 को गोवा, दमन द्वीप को पुर्तगालियों से मुक्त कर इसे केन्द्र शासित बना लिया था जिसे 30 मई, 1987 को देश के 25वें राज्य का दर्जा दिया गया।
सत्तर के दशक के बाद नये राज्यों का पिटारा बंद
सन् साठ और सत्तर के दशकों में कई नये राज्यों के गठन के बाद भारत सरकार ने नये राज्यों के गठन के सिलसिले को ‘‘पैण्डोराज बॉक्स’’ मान कर एक तरह से बंद ही कर दिया था। जहां तहां से उठ रही अलग राज्य की मांगों के आलोक में केन्द्र सरकार को लगता था कि अगर एक राज्य के गठन की मांग मान ली गयी तो पैण्डोराज बॉक्स का मुंह ऐसा खुलेगा कि जिसे बन्द करना मुश्किल हो जायेगा। नये राज्यों के गठन को उस दौर में पृथकतावादी भी माना गया। खास कर नये राज्यों की मांग को हिंसक गोरखालैण्ड आन्दोलन के आलोक में देखा जाने लगा। इसलिये अस्सी के दशक में मीजो नेता लालडंेगा से एक समझौते के तहत 1987 में केवल मीजोरम राज्य का गठन हुआ जबकि गोवा जो तब तक केन्द्र शासित प्रदेश था एसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
उत्तराखण्ड राज्य के लिये भारी बलिदान देना पड़ा
नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश के उत्तराखण्ड में पृथक राज्य के लिये ऐसा जबरदस्त आन्दोलन भड़का जिसे स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रित आन्दोलनों के इतिहास में अहिंसक जनक्रांति भी कहा गया। इस आन्दोलन में लगभग 3 दर्जन लोगों ने अपनी शहादत दी। गांधी जयन्ती के दिन मुजफ्फरनगर में पुलिसकर्मियों द्वारा 7 आन्दोलनकारी महिलाओं से बलात्कार और 17 अन्य की लज्जा भंग की गयी। उत्तर प्रदेश सरकार के एडवोकेट द्वारा हाइकोर्ट में जमा रिपोर्टों के अनुसार 18 अगस्त 1994 से लेकर 9 दिसम्बर 1994 तक चमोली, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़ एवं पौड़ी गढ़वाल जिलों में कुल 20,522 गिरफ्तारियां की गयीं जिनमें से 19,143 लोगों को उसी दिन रिहा कर दिया गया जबकि 1,379 को जेलों में भेजा गया। इनमें से भी 398 लोगों को पहाड़ों से बहुत दूर बरेली, गोरखपुर, आजमगढ़, फतेहगढ़, मैनपुरी, जालौन, बांदा, गाजीपुर बलिया और उन्नाव की जेलों में भेजा गया। इस आन्दोलन को मुजफ्फरनगर काण्ड ने ऐसा मोड़ दिया कि तत्कालीन नरसिम्हाराव सरकार उत्तराखण्ड राज्य देने से तो कतरा गयी मगर हिल काउंसिल जैसी प्रशासनिक इकाई के लिये लोगों को मनाने लगी।
देवगौड़ा ने घोषणा की और बाजपेयी ने नये राज्य बनाये
इसी दौरान केन्द्र में सरकार बदली और नये प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने 15 अगस्त 1996 को लाल किले की प्राचीर से उत्तराखण्ड राज्य के गठन की घोषणा कर डाली। हालांकि संयुक्त मोर्चा के अपने अन्तर्विरोधों के कारण यह घोषणा फलीभूत नहीं हो पायी, मगर केन्द्र में संयुक्त मोर्चा की जगह अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आयी तो उसने न केवल उत्तराखण्ड अपितु झारखण्ड और छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन कर डाला। इस प्रकार 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ 26वां राज्य, 9 नवंबर 2000 में उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) 27वां राज्य, 15 नवंबर 2000 को झारखंड 28वां राज्य और 02 जून 2014 को तेलंगाना को भारत का 29वां राज्य बनाया गया।
( नोट- लेखक और पत्रकार जयसिंह रावत इस न्यूज़ पोर्टल के संपादक मंडल के मानद सदस्य और अवैतनिक सलाहकार हैं -एडमिन )