खेल/मनोरंजन

पुष्कर सिंह धामी के कृतित्व पर आधारित है नाटक ’’कर्मयोगी’’

 

– उषा रावत
कर्मयोगी वह व्यक्ति होता है जो अपने कार्यों को बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ या अपेक्षाओं के करता है। वह केवल कर्तव्य की भावना से काम करता है और अपने कर्मों को भगवान की सेवा मानकर करता है। कर्मयोगी अपने कार्यों में भाग्य, परिश्रम और साधना को समाहित करता है। उसका उद्देश्य केवल निष्कलंक कार्य करना होता है, न कि किसी परिणाम या पुरस्कार की प्राप्ति। ऐसे कर्मयोगियों में महात्मा गांधी, ए.पी.जे अब्दुल कलाम आजाद, स्वामी विवेकानन्द मदर टेरेसा और सन्त तुकाराम जैसे मनीषियों के नाम लिये जा सकते हैं। लेकिन यहां हम एक नाटक का जिक्र कर रहे हैं, जिसका शीर्षक ‘‘कर्मयोगी’’ है और जो उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित है। नाटक में धामी को राजनीतिक ‘‘कर्मयोगी’’ के रूप में पेश किया गया है।

वरिष्ठ पत्रकार मदन मोहन  सती की मूल कृति ‘‘नायक से जन नायक’’ पर आधारित नाटक ‘‘कर्मयोगी’’ में कोरियोग्राफी एवं सह निर्देशन श्रीवर्णा रावत और आलेख, परिकल्पना एवं निर्देशन डा0 सुवर्ण रावत का है। यह नाटक रिस्पना पुल और आकाशवाणी दूरदर्शन केन्द्र के निकट संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में निरन्तर तीन दिन तक मंचित किया गया।

नाटक का कथानक यह है कि एक राजनीति प्रशासक के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने अपने निर्णयों से देश के अन्य राजनीति शासकों के समक्ष उदाहरण पेश किये हैं। नाटक में पुष्कर सिंह धामी के नकल विरोधी कानून और धर्मान्तरण कानून से लेकर समान नागरिक संहिता तक के निर्णयों को कलाकारों द्वारा अपने अभिनय के माध्यम से मंचित किया गया है। यद्यपि भारतीय जनता पार्टी के पसंदीदा कुछ धार्मिक प्रसंग भी डाले गये हैं जो कि अल्पसंख्यकों को नापसंद हो सकते हैं। मंचन और संगीत दर्शकों को बोर होने नहीं देता।


चूंकि यह नाटक हिन्दी में है लेकिन नाटक को आम लोगों तक पहुंचाने के लिये कुछ कलाकारों से गढ़वाली और कुमाऊंनी में भी संवाद कराये गये हैं। कुछ कलाकारों के संवाद हिन्दी में हैं मगर उनका लहजा ठेट गढ़वाली और कुमाऊनी में रखा गया है। बैकग्राउंड म्यूजिक और गीत आकर्षक हैं और नाटक के स्तर को उठाते हैं। सिलक्यारा सुरंग हादसे के प्रसंग में अर्नोल्ड डिक्स की भूमिका में सुजय रावत से अंग्रेजी में संवाद कराये गये हैं। डिक्स और पंडित जी (दिनेश चन्द्र बौड़ाई) के संवाद में हास्य का पुट भी डाला गया है। पुष्कर सिंह धामी की भूमिका अभिनव गोयल ने अदा की है। अगर मूसक खनिक ( रैट माइनर) मुन्ना कुरेशी के चरित्र को कुछ और उभारा जाता तो नाटक के हित में ही होता, लेकिन शायद निर्माता निर्देशक को अपनी सीमाओं ने रोक दिया। कुल मिला कर नाटक में 22 अभिनय कलाकारों की पूरी फौज है जिनमें अभिनय की परिपक्वता साबित होती है। नाटक का चरित्रचित्रण ठीकठाक है।


गौरतलब  है कि उत्तरकाशी में 2023 में 8 राज्यों के 41 मजदूर सिलक्यारा सुरंग आपदा में 17 दिनों तक फंसे रहे थे। दुनियां के इस सबसे बड़े रस्क्यू आपरेशन पर मार्च 2024 में नाटक ‘‘मशिन सिल्क्यारा’’ के देहरादून में अनेकों शो मंचित हुये। दरअसल यह नाटक ‘‘कर्मयोगी’’ मदन मोहन सती की मूल कृति ‘‘नायक से जननायक’’ का ही विस्तार है। वर्तमान परिपेक्ष्य में उत्तराखण्ड के घटनाक्रमों को लेकर कलाकारों के अपने अनुभव से नये-नये दृष्य बनते गये जुड़ते गये और पूरी टीम के सहयोग से नाटक का प्रारूप तैयार हुआ।

एक अच्छे नाटक में दिलचस्प कथा, मजबूत पात्र, और सशक्त संवाद होना चाहिए, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ सके। नाटक का विषय समाज या जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़ा होना चाहिए, ताकि वह विचारणीय हो। अद्भुत निर्देशन और अच्छा अभिनय भी जरूरी है, ताकि हर दृश्य जीवंत और प्रभावी हो। इसके साथ ही, नाटक को एक नैतिक संदेश या गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करना चाहिए, जो दर्शकों को सोचने के लिए प्रेरित करे। नाटक ‘‘कर्मयोगी’’ में भी लेखक और निर्देशक ने अपनी और से पूरा प्रयास किया है।

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