उत्तराखंड कांग्रेस का आरोप-फोर्टिफाइड चावल के रूप में देश की 80 करोड़ जनता को जहर परोस रही केंद्र सरकार
देहरादून, 7 जून। उत्तराखंड कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार फोर्टिफाइड चावल के रूप में देश की 80 करोड़ जनता को जहर परोस रही है।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी एवं मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि फोर्टिफाइड चावल के बारे में इंडियन कौंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और नीति आयोग के दो वरिष्ठ सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को आगाह किया है की इस मिनरल युक्त चावल का वितरण किया गया तो एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां विकराल रूप लेंगी। जोशी ने कहा की इतने पढ़े लिखे अनुभवी साइंटिस्ट के ऑब्जर्वेशन और आपत्ति के बाद भी मोदी सरकार देश की जनता के बीच धीमा जहर परोसने का काम कर रही है ।
जोशी ने कहा की सरकार भले ही हम राजनीतिक लोगों की बात को नजरअंदाज कर दे और इन आरोपों को पॉलिटिकल वेंडेटा समझे लेकिन सरकार के जो वैज्ञानिक हैं और नीति आयोग के सदस्य हैं जो नीति बनाने का काम करते हैं, अगर उनकी आपत्ति को भी नजरअंदाज करके फोर्टिफाइड चावल का वितरण करना चाहती है तो ये निश्चित रूप से बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है।
मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा की सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पीडीएस में फोर्टिफाइड राइस वितरण कर रही है , जबकि विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों द्वारा कई चेतावनियों के बावजूद फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया गया है। क्या देश के 80 करोड़ लोग इसकी कीमत चुकाएंगे? गरिमा मेहरा दसौनी ने दावा किया कि पोषण पर नीति आयोग के राष्ट्रीय तकनीकी बोर्ड की सदस्य, प्रोफेसर डॉ. अनुरा कुरपड ने उन बच्चों में सीरम फेरिटिन के स्तर में वृद्धि देखी, जिन्हें आयरन-फोर्टिफाइड चावल दिया गया था. सीरम फेरिटिन मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. डॉ कुरपड सार्वजनिक रूप से आयरन-फोर्टिफाइड चावल के जोखिमों के बारे में चेतावनी देते रहे हैं।
गरिमा ने कहा कि सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राष्ट्रव्यापी पीडीएस में जिस फोर्टिफाइड चावल को दे रही है उसमें 20 एमजी आयरन है. भारत में पहले से ही दुनिया में मधुमेह रोगियों की कुल संख्या का 17 फीसदी हिस्सा है और इसे दुनिया की ‘मधुमेह राजधानी’ के रूप में जाना जाता है. उन्होंने दावा किया कि कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों ने बच्चों के स्वास्थ्य पर आयरन-फोर्टिफाइड चावल के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।
नीति आयोग की अध्ययन रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे आयोग के अधिकारियों ने भारत के खाद्य सुरक्षा नियामक (FSSAI) द्वारा फोर्टिफाइड चावल के दानों-सूक्ष्म पोषक तत्वों से युक्त चावल के दानों को ‘उच्च जोखिम’ श्रेणी में सूचीबद्ध करने के बावजूद मंज़ूरी दी. उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत खाद्य पदार्थों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया जाना चाहिए क्योंकि जब वे अच्छी तरह से उत्पादित नहीं होते हैं तो वे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं।
कांग्रेस ने कहा कि भारत की आधी आबादी पर फोर्टिफाइड चावल थोपने के पीछे एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का भी एंगल है. एक डच कंपनी जो सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ चावल की गिरी को कवर करने में माहिर है और फोर्टिफाइड चावल के लिए प्रीमिक्स की वैश्विक आपूर्तिकर्ता है, उसने भारत में इससे जुड़े 1800 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है. आरोप है कि खाद्य सुरक्षा मानक नियामक FSSAI ने निजी कंपनी को बढ़ावा दिया। दसोनी ने कहा की मोदी सरकार को देश की जनता ने मैंडेट दिया इसका मतलब यह नहीं की जनता ने अपना जीवन मोदी सरकार को सौंप दिया हो। खाद्यान्न में मिनरल्स को मिलाने के लिए मोदी सरकार ने किसी से पूछा तक नहीं मनमाने तरीके से वितरित किए जा रहे चावल में मिनरल्स को मिला दिया गया और कोई परीक्षण ना वितरित करने से पहले किया गया ना लोगों के द्वारा सेवन करने के बाद।
प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया एवं राजनीतिक सलाहकार अमरजीत सिंह पछवा दून जिला अध्यक्ष लक्ष्मी अग्रवाल प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट इसी विभाग के अध्यक्ष आशीष सैनी मौजूद रहे।